प्रशासन के भरोसे ई ठंडा में जान चल जाई ए भइया

हाड़ कंपा देनेवाली ठंड और सात से आठ डिग्री तक गिरे तापमान में जब लोग हीटर, रजाई व कंबल के साथ घरों में दुबके होते हैं, तो एक दुनिया ऐसी भी होती है जहां फुटपाथ पर फटे-पुराने कंबल और चादरों से लोग कड़ाके की ठंड का मुकाबला करते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 9, 2025 9:04 PM
an image

भभुआ शहर. हाड़ कंपा देनेवाली ठंड और सात से आठ डिग्री तक गिरे तापमान में जब लोग हीटर, रजाई व कंबल के साथ घरों में दुबके होते हैं, तो एक दुनिया ऐसी भी होती है जहां फुटपाथ पर फटे-पुराने कंबल और चादरों से लोग कड़ाके की ठंड का मुकाबला करते हैं. कोई एक शॉल में तो कोई एक फटे कंबल में सर्दी से दो-दो हाथ करता दिखता है. ठंड जितना इंसानों को सताती है उतना ही जानवरों को भी. इंसान तो फिर भी कोई जुगत भिड़ा लेता है लेकिन पशु क्या करें. कुछ ऐसा ही हाल संसाधन विहीन लोगों का भी है जो प्रशासन की ओर आस लगाये बैठे रहते हैं, लेकिन लगता है कि हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन रजाई ताने सोया हुआ है. शहर भर में आपदा विभाग के कार्यों को ढूंढ़ने और नगर पर्षद के अलाव जलाने की हकीकत को जानने प्रभात खबर की टीम भी बुधवार देर रात सड़कों पर निकली. नगर पर्षद दावा कर रही है कि शहर के 13 स्थानों पर अलाव जलाये जा रहे हैं, लेकिन प्रभात खबर की टीम जब रात में शहर की सड़कों पर निकली, तो नगर पर्षद के दावों की हकीकत खुलते देर नहीं लगी. पूरे शहर में नगर पर्षद का अलाव केवल सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू के बाहर जलता मिला. इसके अलावा नगर पर्षद के दावे के अनुसार, ना तो एकता चौक, न पटेल चौक और न ही पूरब बस पड़ाव, राजेंद्र सरोवर और अखलासपुर स्टैंड में ही अलाव जलता मिला. = रात 09:50 बजे, एकता चौक एकता चौक को शहर का ह्रदय स्थली भी कहा जाता है, यहां देर रात तक चहल-पहल रहती है. लेकिन यहां नगर प्रशासन और आपदा विभाग की ओर से कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं दिखी. वहां कूड़ा इकट्ठा कर आग तापते मिले अंडा विक्रेता कलीम राईन, वार्ड 14 के जमुना राम, मड़ैचा के रिक्शा चालक अजय राम, मजदूर शिव मंजिल आदि का कहना था कि इतनी ठंड पड़ रही है कि हाथ भी सुन्न हो जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा न तो अब तक कंबल ही मिले और न ही अलाव की व्यवस्था ही की गयी है. जब उनसे पूछा गया कि नप के अधिकारी दावा कर रहे है कि ठंड बढ़ने के बाद से ही एकता चौक पर कई किलो लकड़ी जलाये जा रहे हैं, इस पर प्रतिदिन ठेले पर देर रात तक अंडा बेचने वाले कलीम का कहना था कि आपके सामने ही एकता चौक है, देख लीजिए अगर कहीं लकड़ी जल रही हो. उनका कहना था कि नगर पर्षद केवल खानापूर्ति कर रही है और कागजों में अलाव जलवा रही है, बाकी हकीकत में ठंड भगाने के लिए दुकानों से निकले कूड़े से ही हाथ व शरीर गरम करना पड़ता है. = रात 10:25 बजे, पटनवार पेट्रोल पंप व राजेंद्र सरोवर पटनवार पेट्रोल पंप से ही देर रात के लिए सरकारी बसे खुलती है और वहां रात 11 बजे तक लोगों का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन, यहां भी कहीं नप का अलाव जलता नहीं दिखा. उधर, राजेंद्र सरोवर पर जब टीम पहुंची तो वहां अलाव जलना तो दूर पूरे एरिय में घुप अंधेरा पसरा हुआ था. जबकि, इसी स्थान से अधौरा की बसें भी खुलती हैं. यहां भी नप का अलाव नहीं दिखा. यात्री शेड में एक व्यक्ति सोया हुआ मिला, लेकिन उसने भी अलाव जलने से इंकार ही किया. = रात 10:35 बजे, अखलासपुर बस स्टैंड प्रभात खबर की टीम अखलासपुर बस स्टैंड पहुंची, तो अखलासपुर स्टैंड स्थित एक चौकी पर चादर ओढ़ कर सो रहे साधु व महुली निवासी विमल यादव दिखे. दूर से देखने पर लग रहा था कि सामान की गठरी रखी है. जगाने पर वह बताने लगे कि नींद नहीं आती है, सारी रात चादर से छन-छन कर ठंडी हवा आती है और उससे मुकाबला करने में ही सुबह हो जाती है. स्टैंड के दक्षिणी छोर स्थित एक होटल पर कुछ लोग खड़े होकर चूल्हे की आग तापते दिखे. आग से शरीर गरम कर रहे पतरीहा के लालबाबू चौधरी ने बताया कि उन्हें अपने गांव जाना था, लेकिन वाहन नहीं मिले. अब रात काटनी है अगर कहीं आग जलती रहती तो रात गुजार लिया जाता, लेकिन स्टैंड में कहीं भी आग जलाने का प्रबंध नहीं किया गया है. = रात 10:50 बजे, मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के समीप मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के समीप मुख्य सड़क पर रिक्शा चालक महुला परसिया के मुन्ना राम, मोकरी के कपिलमुनि और कुछ दुकानदार कूड़े की ढेर इकट्ठा कर आग तापते मिले. पहले तो सभी कैमरा और पूछताछ करते देख सकपका गये, लेकिन दूसरे ही पल अपना सारा दर्द बयां कर दिया. उन्होंने कहा, साहब आप लोग खुद देख लीजिए कि हम लोग पापी पेट के लिए कैसे रात गुजार रहे हैं. उनका कहना था कि नगर पर्षद हर दिन अलाव जलवाती है, लेकिन मात्र खानापूर्ति के लिए और जो लकड़ियां जल नहीं पाती है उसे भी लोग उठा ले जाते हैं. = रात 11:05 बजे, पूरब पोखरा बस स्टैंड रात गहराती जा रही थी और इसी के साथ ठंड ने भी प्रचंड रूप ले लिया था. पूरब पोखरा बस स्टैंड पर सन्नाटा पसरा हुआ था. इस स्टैंड में भी चारों तरफ नजर दौड़ाने पर कहीं भी अलाव जलता नहीं मिला. स्टैंड के एक कोने में रिक्शा खड़ा कर उस पर फटा कंबल तान सोने की कोशिश कर रहे चालक मोकरी के कवलेश राम को जगाया गया, तो उसका पहला सवाल था-कहां चलना है. जब उन्हें बताया गया कि उनका हाल जानने आये हैं तो वे बोल उठे- गरीबन खातिर सरकार कुछो भेजेला उ सब गलत लोगन के हाथ भेंटा जाला एहिसे गरीब आदिमियन के पास कौनो सुविधा नइखे पहुंचत. = रात 11:20 बजे, सदर अस्पताल पूरब बस पड़ाव से लौटकर जब टीम सदर अस्पताल पहुंची, तो राहत मिली कि शहर भर में भले ही नगर पर्षद के अलाव जलवाने की हकीकत की पोल खुल गयी हो. लेकिन, केवल एक सदर अस्पताल में एसएनसीयू के बाहर नगर पर्षद का अलाव जलता मिला. अस्पताल परिसर में ही बनी बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) के बाहर शेड में लोग रात बिताते और भारी ठंड के बीच फर्श पर ही लेटे और बैठ कर नप के जलते अलाव के आगे आपस में बात कर ठंड भगाते मिले. महेंसुआ के केशव राम का कहना था कि वह चार दिन से अस्पताल में हैं, लेकिन, आग तो जल रहा है. लेकिन, नवजात के परिजनों के लिए कंबल और बंद कमरे की व्यवस्था नहीं की गयी है. अस्पताल के बाहरी परिसर स्थित चबूतरे के समीप रिक्शा लगा कर सोये तमाड़ के ऑटो चालक सुदर्शन राम का कहना था कि ऑटो की कमाई से बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चलता है, लेकिन ठंड इतनी पड़ रही है कि मन में आता है कि ऑटो चलाना छोड़ घर चले जायें, लेकिन घर चले जाने से अपना और परिवार का पेट कैसे भरेगा. = प्रशासन अलाव जलववत त कूड़ा काहे तपती जा – भईया हो अपने से व्यवस्था नाही करी जा त प्रशासन के भरोसे ई ठंडा में जान चल जाई. ना कंबल मिलल ह अउरी ना ही कही अलाव जात बा. सुरेंद्र कुमार – भईया कही अलाव जलावल नईखे गईल. अलाव जलत त हई कूड़ा काहे जलाके तपती जा. प्रशासन के तरफ से कउनो इंतजाम नईखे. सूरज कुमार – नगरपालिका का अलाव कहीं नहीं जल रहा है. इधर उधर से कूड़ा, टायर जुटाकर शरीर गर्म करना पड़ रहा है. दुर्गा हलवाई – नगर प्रशासन कही अलाव नहीं जलायी है. हमलोग अपने खर्च पर आग जला रहे है. प्रशासन को इतनी ठंड में अलाव जलवाना चाहिए. काजू कुमार

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version