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विभागीय पेच में उलझा अधौरा में बसे ग्रामीणों का सपना

जिले के अधौरा पहाड़ी क्षेत्र में बसे गांवों में भी ग्रिड से बिजली आपूर्ति के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी

भभुआ शहर. जिले के अधौरा पहाड़ी क्षेत्र में बसे गांवों में भी ग्रिड से बिजली आपूर्ति के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी. प्रस्ताव को स्वीकृति मिले करीब दो महीने बीत गये हैं, लेकिन विभागीय पेच में अब तक विद्युत सप्लाई का काम शुरू नहीं हो पाया है. अधौरा पहाड़ी क्षेत्र पूरे वन क्षेत्र में आता है, जिससे किसी भी कार्य को प्रगति में लाने के लिए सबसे पहले वन विभाग से एनओसी लिया जाता है. अगर वन विभाग एनओसी दे देता है, तो उसे कार्य को किया जाता है, अन्यथा नहीं. इसे लेकर विद्युत विभाग को अधौरा पहाड़ी क्षेत्र में कार्य करने के लिए वन विभाग से एनओसी अब तक नहीं मिल पाया है, जिसके कारण पहाड़ी क्षेत्रों में कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद भी बिहार डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की ओर से विद्युत सप्लाई का कार्य शुरू नहीं किया जा रहा है. गौरतलब है कि जिले के अधौरा पहाड़ी क्षेत्रों में बसे 108 गांव में सिर्फ तीन गांव अधौरा, बभनीकला और चैनपुरा गांव में ही बिजली की सप्लाइ होती है, बचे 105 गांव सड़की, सोढा, दुग्धा बंधा, सारोदाग, जामुनीनार, दीघार, सीकरी, कोल्हूआ आदि गांव में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत सोलर सिस्टम से बिजली सप्लाई की गयी थी, जो शुरुआत में तो दो से तीन साल अच्छा चला. लेकिन, अब पहाड़ी क्षेत्र के गांव का सोलर सिस्टम फेल हो गया है, जिससे कभी कभार एक से दो घंटे बिजली मिलती है, जिससे ग्रामीण की आवश्यकता के पूर्ति नहीं हो पाती है. इसको देखते हुए इन सभी गांवों में तारों से बिजली सप्लाई करने का निर्णय लिया गया, जिसको देखते हुए कैबिनेट ने कैमूर और रोहतास जिले के 132 गांवों को ग्रिड से बिजली आपूर्ति के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है, जिसमें योजना के तहत 117.80 करोड़ रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी गयी है. स्वीकृति मिलते ही पहाड़ी क्षेत्र में बसे ग्रामीण व सामाजिक कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गयी. ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद पहाड़ी क्षेत्र के गांव में बिजली सप्लाई करने की कोशिश की गयी थी, लेकिन वह सफल नहीं हुई, जो आज आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी पहाड़ी क्षेत्र के गांव बिजली से वंचित है. यहां ग्रामीण बिजली उपकरण जैसे फ्रिज, कूलर, टीवी ऐसी आदि चीजों से वंचित रह जाते हैं. = डीएम ने ऊर्जा विभाग को कराया था अवगत जिला पदाधिकारी सावन कुमार की ओर से कैमूर पहाड़ी पर स्थित गांव में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति नहीं होने से विकास प्रभावित होने व सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिलने को लेकर ऊर्जा विभाग को बताया था. इसके बाद अफसरों ने कैमूर जिला के अधौरा के कई गांवों में दौरा कर बिजली के बिना होने वाली कई परेशानियों का जमीनी हकीकत को जाना था और सौर ऊर्जा के माध्यम से दी जाने वाली बिजली को लेकर जमीनी सच्चाई का पता चला, तो साउथ बिहार इंडस्ट्रियल कंपनी की ओर से विभाग को अवगत कराया गया. = बिजली आने से खेती-बाड़ी में होगी सहूलियत अधौरा पहाड़ी क्षेत्र में बसे गांव के ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी इन गांवों में ग्रिड से बिजली आपूर्ति नहीं हो पायी थी, मंजूरी मिलने के बाद गांव में ग्रेड से बिजली की सप्लाई होती है, तो ग्रामीण को अब रोजगार के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वह स्वयं स्वरोजगार कर आमदनी कर सकते हैं तथा बिजली हो जाने से खेती-बाड़ी करने में किसानों को सहूलियत होगी तथा इससे रोजगार बढ़ेगा. ग्रामीण आधुनिक विद्युत यंत्रों से भी अवगत हो पायेंगे. कहते हैं ग्रामीण – सरकी पंचायत के मुखिया देवलाल सिंह ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रिड से बिजली की सप्लाई होना एक सपने जैसा लग रहा था, लेकिन अब बहुत जल्द सपना साकार होने वाला है. इससे ग्रामीणों में खुशी की लहर है. आजादी के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली सप्लाई करने का प्रयास किया गया था, जिसके लिए पोल-तार भी बिछा भी दिये गये थे, लेकिन वन विभाग से आपसी तालमेल न बनने के कारण सफल नहीं हो पाया था. पहाड़ी क्षेत्र के गांव में बिजली आ जाने से लोगों का रोजगार बढ़ेगा, खेती-बाड़ी में उपज की बढ़ोतरी होगी. लोगों को काम करने के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा. – जामुनीनार निवासी पिंगला देवी ने बताया कि हमारे गांव में 2017 में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली सप्लाई की गयी, लेकिन कारगर साबित नहीं हुई. मुश्किल से शाम में सिर्फ दो घंटे ही बिजली मिल पाती है, जिसे आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती. ग्रिड से बिजली मिलने के बाद महिलाओं को बच्चों को मजदूरों को पलायन नहीं करना पड़ेगा. बिजली आने से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा, तो खेती में उपज में बढ़ोतरी होगी. = कहते हैं विद्युत कार्यपालक अभियंता विद्युत कार्यपालक अभियंता गोरखनाथ प्रसाद ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में बसे गांवों में बिजली के लिए प्रस्ताव की मंजूरी मिलने के बाद अब तक वन विभाग से एनओसी नहीं मिल पाया है. एनओसी मिलने के बाद कार्य शुरू कर दिया जायेगा. = कहते हैं वन पदाधिकारी वन पदाधिकारी प्रकाश चंचलम ने बताया कि यहां से प्रस्ताव को मंजूरी के लिए ऊपर भेज दिया गया था, लेकिन बिजली विभाग ने जरूरत के सभी कागजात जमा नहीं किये थे. इसके कारण वापस आ गया है, जिसे सभी आवश्यक कागजात के साथ फिर से सुधार कर भेजा जायेगा.

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