मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे भोखरा के ग्रामीण

देश के आजादी के सात दशक यानी 77 वर्ष गुजर जाने के बाद भी भोखरा गांव में अब भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है और व्यवस्था से बेहाल होकर नारकीय जीवन जीने को विवश हैं

By Prabhat Khabar News Desk | September 23, 2024 8:56 PM
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भभुआ सदर. देश के आजादी के सात दशक यानी 77 वर्ष गुजर जाने के बाद भी भोखरा गांव में अब भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है और व्यवस्था से बेहाल होकर नारकीय जीवन जीने को विवश हैं. इस गांव में ग्रामीणों को न तो पीने के लिए शुद्ध पानी है और ना ही पक्की सड़क. शुद्ध पेयजल के नाम पर मुसहर बस्ती में लगा एक सरकारी चापाकल है, जहां पर पानी के लिए हर समय भीड़ लगी रहती है. चापाकल बिगड़ने की स्थिति में ग्रामीणों को कुआं व तालाब का सहारा है. गांव के ग्रामीणों का कहना था कि सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के लिए विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन आज भी धरातल पर कुछ भी नहीं है. उनके गांव में आज भी यदि कोई बीमार होता है, तो उसे ग्रामीण अपनी पीठ या चारपाई पर ढोने को मजबूर हैं. गांव के समीप कोई भी अस्पताल नहीं है. जबकि, भोखरा गांव सौ घरों की बस्ती है जिसमें 70 प्रतिशत मुसहर, 20 प्रतिशत बिंद और 10 प्रतिशत अन्य समुदाय के लोग रहते आ रहे हैं. गांव के ग्रामीण सागर बिंद, रामजी मुसहर, रुक्मिणा देवी व नंदू मुसहर ने बताया कि उनके गांव के लोग आजादी के 77 साल बाद भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. सरकार की नलजल योजना का भी लाभ इस गांव को नहीं मिला है. मुसहर बस्ती में एक चापाकल है, जो बस्ती के लोगों का प्यास बुझाने का सहारा है. खराबी की स्थिति में लोग गंदे पानी को पीने को मजबूर रहते हैं. गांव के मुख्य मार्ग में गाजर बिंद के घर से भोला के घर तक कच्ची कीचड़ सने रास्ते से लोगों को गुजरना पड़ता है. इस गांव की बदतर स्थिति की जानकारी पर रविवार को भभुआ के जिला पर्षद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लु पटेल उक्त गांव पहुंचे, जहां उन्होंने चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्या का हाल जाना और स्थिति का जायजा लिया. गांव के हालात पर जिप सदस्य ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि बहुत जल्द ही वह अपने जिला पर्षद के फंड से पक्की सड़क का निर्माण करवायेंगे. जिप सदस्य के आश्वासन पर ग्रामीणों में काफी खुशी देखी गयी और इसके लिए ग्रामीणों ने जिप सदस्य को साधुवाद भी दिया है.

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