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वोट बहिष्कार की घोषणा वापस

किसान करेंगे मतदान

किसान करेंगे मतदान भभुआ नगर. भारत माला परियोजना में अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा नहीं मिलने पर किसानों ने वोट बहिष्कार की घोषणा की थी, जिसे जिला पदाधिकारी सावन कुमार की पहल पर किसानों ने वापस ले लिया है. अब सभी किसान लोकतंत्र के पर्व में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और एक जून को अपना मतदान करेंगे. मतदान के बाद भी अगर उचित मुआवजा नहीं मिलता है, तो आंदोलन जारी रखेंगे. दरअसल, भारत माला परियोजना के तहत अधिग्रहण भूमि का उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण 85 गांवों के किसानों ने वोट बहिष्कार करने की घोषणा करते हुए गांव-गांव में पोस्टर व बैनर टांगे थे कि गांव के कोई भी मतदाता एक जून को होने वाले लोकसभा चुनाव में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के समर्थन में भाग नहीं लेंगे और मतदान का बहिष्कार करेंगे. इधर, किसानों द्वारा मतदान बहिष्कार की घोषणा पर जिला पदाधिकारी सावन कुमार ने संज्ञान लेते हुए किसानों से वोट बहिष्कार की घोषणा को वापस लेने के लिए पहल की. कहा कि मैं भी आप लोगों के साथ हूं. लोकतंत्र के पर्व में आप सभी लोग शामिल होकर मतदान अवश्य करें. भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा मिले, इसके लिए मेरे द्वारा भी सरकार स्तर पर पत्र लिखा जायेगा. इधर, जिला पदाधिकारी सावन कुमार की पहल पर बुधवार को किसान नेता विमलेश पांडेय व पूर्व प्रमुख पशुपति परस सिंह के नेतृत्व में कई किसान समाहरणालय स्थित जिला पदाधिकारी कार्यालय पहुंचे, जहां वार्ता होने के बाद उपस्थित सभी किसानों ने सर्वसहमति से निर्णय लिया कि आगामी एक जून को हाेने वाले लोकसभा चुनाव में हम सभी किसान मतदान में शामिल होकर अपना शत प्रतिशत मतदान करेंगे. मौके पर अभय सिंह, रमाकांत पांडे सहित कई अन्य किसान मौजूद थे. = 12 सूत्री मांगों से संबंधित डीएम को सौंपा ज्ञापन जिला पदाधिकारी से वार्ता के दौरान किसानों ने अपनी 12 सूत्री मांगों से संबंधित एक ज्ञापन डीएम को सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि जिले में भारत माला परियोजना के तहत बनारस रांची टू कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए, एनएच 219 के चौड़ीकरण एवं बाइपास निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करते समय जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून का सही तरीके से नहीं पालन नहीं किया गया और ना ही किसानों को विश्वास में लिया गया. भूमि अधिग्रहण करते समय भूमि की प्रकृति एवं उपयोगिता के निर्धारण के लिए छह सदस्यों की समिति भी नहीं बनायी गयी. भूमि अधिग्रहण में आवासीय विकासशील व बहु फसली भूमि को केवल कृषि घोषित कर दिया गया. अनुचित तरीके से कॉमर्शियल भूमि को भी कृषि घोषित कर दिया गया. इसको लेकर किसानों में आक्रोश है. किसानों ने ज्ञापन में कहा है कि भूमि अधिग्रहण में किसानों की आपत्ति के संबंध में पर्याप्त समय व जानकारी नहीं दी गयी और ना ही आपत्ति का सही तरीके से सुनवाई या निस्तारण किया गया. कहा कि किसानों को मुआवजा देते समय बाजार मूल्य का बिना आकलन किये 2013 के सर्किल रेट पर मुआवजा का निर्धारण कर दिया गया है, जो बहुत कम है. उचित मुआवजे की मांग कर रहे किसानों की कोई सुनवाई भी नहीं की गयी सहित 12 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन डीएम को दिया गया है.

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