मोहनिया सदर : लोगों की प्यास बुझा कर उनको जीवन देने वाले चापाकल को दो मिस्त्रियों के आपसी तर्क ने नया जीवन दे दिया. जी हां, हम बात कर रहे है प्रखंड मुख्यालय परिसर में स्थित मनरेगा कार्यालय के सामने लगे दो सरकारी चापाकलों की, जिसे विभाग के पदाधिकारी व कर्मी यह कह कर लगभग तीन वर्ष से नहीं बना रहे थे कि वे चापाकल डेड हो चुके हैं. लेकिन, पिछले सप्ताह पीएचइडी के मरम्मत दल में शामिल दो मिस्त्री अपने कार्य अनुभव को लेकर तर्क पर उतर गये.
एक पक्ष का कहना था कि दो में से एक चापाकल डेड नहीं है, उसको बनाया जा सकता है. जबकि, वरीय मिस्त्री का कहना था कि दोनों चापाकल डेड हो चुके है. उनको बनाया नहीं जा सकता है. इस मामले को लेकर दोनों मिस्त्री बहस पर अड़ गये.
मामला चापाकल को खोल कर जांच करने पर जा पहुंचा. किसको कितना कार्य का अनुभव है, इसे पेश करने की बात आ गयी. उपस्थित मरम्मत दल के लोगों ने चापाकल को खोल दिया और अंतत: उस चापाकल को सही कर लिया गया और वह आज बहुत से लोगों की प्यास बुझा रहा है.