प्यास बुझाने को लेकर खेत बधार में भटक रहे वन्य जीव

पिछले कई दिनों से सुबह से लेकर शाम तक सूरज की तेज तपिश व बह रहे तेज लू के थपेड़ों के बीच क्षेत्र का तापमान 40 डिग्री तक पहुंचने से आम इंसान के साथ बेजुबान मवेशियों की भी पीड़ा बढ़ते दिख रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 19, 2024 9:43 PM

रामगढ़. पिछले कई दिनों से सुबह से लेकर शाम तक सूरज की तेज तपिश व बह रहे तेज लू के थपेड़ों के बीच क्षेत्र का तापमान 40 डिग्री तक पहुंचने से आम इंसान के साथ बेजुबान मवेशियों की भी पीड़ा बढ़ते दिख रही है. शुक्रवार को आलम यह रहा कि सुबह 10 बजे के बाद जहां क्षेत्र की सड़कें सुनी रहीं, वहीं क्षेत्र के गांव बधार में दूर-दूर तक लोग नजर नहीं आ रहे थे. सबसे ज्यादा परेशान पानी की तलाश में सैकड़ों मील दूर से पहाड़ से मैदानी भाग में आये पशुपालकों को हो रही, जो पिछले एक माह से अपने मवेशियों की प्यास बुझाने को लेकर पानी की तलाश में मैदानी भाग में आ गये हैं. अधौरा के पशुपालक अक्सर गर्मी के दिनों में मवेशियों की जान बचाने को लेकर मैदानी भाग में उनकी भूख प्यास बुझाने को लेकर आते हैं, जिनकी प्यास नहर, आहर, पोखर के साथ बधार में किसानों के लगाये गये सबमर्सिबल पंप से निकले गड्ढे में एकत्रित पानी से बुझती है, किंतु इस नहर के सूखे होने व ग्रामीणों द्वारा ज्यादातर ताल पोखर को पाटकर आशियाना बना लेने के चलते पानी की समस्या गंभीर हो गयी है. इसके साथ ही प्यास बुझाने को लेकर खेत बधारों में वर्षों से पहाड़ी क्षेत्र से भटक कर मैदानी भाग में आये वन्य जीव हिरण, नीलगाय, वन सुअर आदि भी प्यास बुझाने को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. दरअसल ,इसके जिम्मेदार भी धरती के सबसे खूबसूरत कहे जाने वाले इंसान ही हैं, जिन्होंने प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हुए अपने उपभोग के लिए गांव बधार में सरकारी ताल तलैया को मिट्टी भरते गये और अपना आशियाना बना लिया. पर्यावरण से राहत देने वाले पेड़ों की कटाई कर घर के दरवाजे व डाइनिंग टेबल बना लिये. इंसानों ने उपभोग के लिये पेड़ों की कटाई तो की, किंतु नये पौधे नहीं लगाये, जिसका दुष्परिणाम आज सभी को भुगतना पड़ रहा है. चंदेश के किसान टिंकू राय, बहुवरा के किसान रिंकू राय व बड्ढ़ा के किसान अनुरंजन राय ने कहा कि अभी से इंसान अगर जल संचय की कवायद में नहीं लगे, तो आने वाले समय में स्थित और ज्यादा भयावह होने वाली है. वहीं, किसानों ने बढ़ती तपिश को देखते हुए सिंचाई विभाग से नहरों में थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़े जाने की मांग की है, जिससे मवेशियों व वन्यजीवों की प्यास बुझ सके.

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