एनओसी नहीं मिलने से दो साल से लटका है मछली बाजार बनाने का काम
पिछले दो साल से जिले में मछली बाजार बनाने का प्रस्ताव लटका है. संबंधित अंचलाधिकारियों द्वारा जमीन का हस्तांतरण नहीं करने व अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने के कारण यह मामला ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है
भभुआ. पिछले दो साल से जिले में मछली बाजार बनाने का प्रस्ताव लटका है. संबंधित अंचलाधिकारियों द्वारा जमीन का हस्तांतरण नहीं करने व अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने के कारण यह मामला ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है. जबकि, विभाग द्वारा जिले के सात प्रखंडों में पूर्व से ही मछली बाजार के लिए जगह चिह्नित किया जा चुका है. मत्स्य विपणन योजना के तहत जिले में बनाये जाने वाले मछली बाजार आज तक सरजमीं पर नहीं उतर सके, जिसका सबसे बड़ा नुकसान मछली खाने वाले शौकीन मांसाहारियों काे हो रहा है. क्योंकि, व्यवस्थित बाजार नहीं होने के कारण लोग मछली खरीदने के लिए अलग अलग मुर्गा, मांस और मछली बेचने वाले जगहों पर जाकर मछली खरीदते हैं. जहां दुकानदारों द्वारा विभिन्न प्रजाति की मछलियों की कीमत अलग-अलग रखी जाती है. मछलियों की छोटे दुकान या मंडी होने के कारण मछली की कीमत की प्रतियोगिता समाप्त हो जाती है और विभिन्न तरह की मछली की प्रजातियां भी नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में दुकानदारों द्वारा अलग-अलग रेट पर मछली बेचकर मनमाना दाम भी वसूला जाता है. अगर मछली बाजारों को स्थापित कर दिया जाये तो एक ही बाजार में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों की कीमत प्रतियोगिता के कारण उचित रेट पर आ सकती है और उपभोक्ताओं को ताजा मछलियां खाने को मिल सकती हैं. मगर, फिलहाल जिले में इस तरह की सुविधा प्राप्त नहीं है. इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर जिला मत्स्य पदाधिकारी भारतेंदु जायसवाल ने बताया कि जिले में सात मछली बाजार प्रखंड स्तर पर बनाये जाने हैं. इसके लिए जगह चिह्नित करने के बाद दो वर्ष से संबंधित अंचलाधिकारियों से जमीन का हस्तांतरण करने व अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. लेकिन, आज तक अंचलाधिकारियों द्वारा न तो जमीन विभाग को हस्तांतरित किया गया, न तो एनओसी ही दिया गया है. इसे लेकर मछली बाजार का काम रुका हुआ है. = प्रखंड स्तर आठ हजार वर्ग फुट जमीन की आवश्यकता जिले में मछली व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए 11 में से सात प्रखंडों में मत्स्य विभाग द्वारा मछली बाजार बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत है. इस संबंध में जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया दुर्गावती, चांद, रामपुर, चैनपुर, भगवानपुर व अधौरा प्रखंड में बस स्टैंड के पास और कुदरा प्रखंड में कुदरा पुलिस थाना के पीछे बनाया जाना है. सभी मछली बाजार के लिए चिह्नित स्थल सड़क संपर्क से भी जुड़े हैं. उन्होंने बताया एक मछली बाजार बनाने के लिए प्रखंड स्तर आठ हजार वर्ग फुट तथा पंचायत स्तर पर चार हजार वर्ग फुट जमीन की आवश्यकता पड़ती है. प्रखंड स्तर पर मछली बाजार बनाने का मॉडल प्राक्कलन लगभग 23 लाख और पंचायत स्तर पर मछली बाजार बनाने का मॉडल प्राक्कलन लगभग 15 लाख के आसपास है. इन्सेट मछली बाजारों में मछुआरों को मिलेंगी सुविधाएं भभुआ. जिले में अगर मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मछली बाजारों का निर्माण करा दिया जाता है, तो मछुआरों को विभिन्न तरह की सुविधाएं प्रदान हो जायेंगी. विभागीय जानकारी के अनुसार, एक व्यवस्थित मछली बाजार में पानी, बिजली और शौचालय की सुव्यवस्थित व्यवस्था के साथ बड़े-बड़े टैंक या हॉज भी बनाये जायेंगे. इसमें हमेशा ताजा पानी आते-जाते रहेगा और विशेष मशीन पानी में हवा व ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी. इससे बड़े पानी के हॉज में मछलियां 48 से लेकर 72 घंटे तक जीवित रहेंगी. बाजार में मछली की खरीद और बिक्री के लिए अलग अलग स्टॉल भी बनाये जायेंगे. बाजार निर्माण से मछुआरे और व्यापारी दोनों को लाभ होगा, उन्हें घूम-घूम कर मछली बेचने के बजाय एक ही छत के नीचे अपना व्यापार चलाने की सुविधा मिल जायेगी. साथ ही उपभोक्ताओं को भी रेहु, नैनी, कतला आदि जैसी सभी प्रजाति की मनपसंद मछलियां उचित दाम पर एक जगह ही मिल जायेगी.
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