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Bihar: भागलपुर में सूर्य ग्रहण से पहले काली मंदिरों के पट बंद, जानें सूतक काल के बाद अब कब से होगी पूजा?

Kali Puja 2022 Bihar: काली पूजा 2022 के बीच ही सूर्यग्रहण लग गया है. सोमवार को भागलपुर में काली मंदिर में प्रतिमाओं का प्राण-प्रतिष्ठा किया गया. लेकिन मंगलवार को तमाम पूजन कार्य बंद किये गये. जानिये कब होगी पूजा-अर्चना...

काली पूजा 2022 के बीच ही आज मंगलवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है. जिसके कारण पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य प्रभावित हुए हैं. सोमवार को मां काली की प्रतिमा विधिवत स्थापित कर दी गयीं. प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा भी कर लिया गया लेकिन उसके बाद मंगलवार सुबह ही मंदिरों के पट बंद कर दिये गये हैं. वहीं अब पूजा-पाठ व आरती ग्रहण समाप्त होने के बाद ही आज शाम से होगी. जबकि खिचड़ी, खीर व हलुआ का भोग या खोइचा वगैरह अगले दिन बुधवार को होगा.

प्राण-प्रतिष्ठा सोमवार को, मंगलवार को पूजन पर रोक

काली पूजा 2022 को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है. लेकिन आज मंगलवार को साल का अंतिम सुर्य ग्रहण लग रहा है. जिसके कारण आज पूरे दिन मंदिरों के पट बंद ही रहेंगे. सोमवार को माता की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा किया गया. हर बार की तरह अगले दिन यानि आज पूजन कार्य संपन्न नहीं होंगे. श्रद्धालु अब अगले दिन यानी बुधवार 26 अक्टूबर को मां काली की विधिवत पूजन करेंगे. भोग भी अब बुधवार को ही लगाया जाएगा.

सूतक काल के कारण समय में बदलाव

भागलपुर के पंडित विजयानंद शास्त्री बताते हैं कि सूतक काल के कारण पूजा-पाठ के समय में बदलाव रहेगा. मंगलवार को सुर्यग्रहण शाम 4 बजकर 22 मिनट पर लगने जा रहा है जो मंगलवार की शाम ही 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. लेकिन मंदिर के पट सुबह ही बंद कर दिये गये. दरअसल सूतक काल के कारण सुबह 3 बजकर 40 मिनट तक ही सभी पूजन कार्य संपन्न कर लिये गये. इसके बाद अब किसी भी तरह के पूजन कार्य मंदिर में नहीं रहेंगे. मंदिरों के पट बंद कर दिये गये हैं.

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मंदिरों में पूजन कार्य बंद

सुर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले ही सूतक के कारण मंदिरों में पूजन कार्य बंद हो जाते हैं. इसे खासकर सुर्योदय से माना जाता है. जिस कारण सुर्योदय के समय से ही मंदिरों के पट बंद कर दिये गये हैं. अब सुर्यग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर की सफाई होगी.

अगर सुर्यग्रहण रहते ही सुर्य अस्त हो…

सूतक काल के बाद पानी व गंगाजल से पूरा मंदिर धोया जाएगा. जिसके बाद संध्या आरती व पूजन वगैरह होगा. पंडित विजयानंद शास्त्री बताते हैं कि अगर सुर्यग्रहण रहते ही सुर्य अस्त हो जाते हैं तो अगले दिन ही पूजा-पाठ का कार्य किया जाता है. सुर्योदय का इंतजार किया जाता है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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