झारखंड के देवघर में स्थापित है बाबा बैद्यनाथ का ज्योतिर्लिंग. भोलेनाथ के भक्त बिहार के सुल्तानगंज में बह रही उत्तरवाहिनी गंगा का जल लेकर बाबा बैद्यनाथ पर अर्पण करते हैं. यूं तो सावन माह में कांवरियों का हुजूम बाबा धाम की ओर कूच करता है. लेकिन बसंत पंचमी के दिन पूजा करने मिथिलांचल के कांवरियों का विशेष जत्था बाबाधाम पहुंचता है. इस साल 2023 में भी देवघर में कांवरियों की भीड़ उमड़ी हुई है. मिथिलांचल के इन कांवरियों को ‘तिलकहरू’ कांवरिया कहते हैं.
मिथिलांचल के ‘तिलकहरू’ कांवरियों का हुजूम बाबाधाम देवघर पहुंचने लगा है. बसंत पंचमी के दिन विशेष पूजा करने श्रद्धालु देवघर जाते हैं. बसंत पंचमी पर देवघर जाने वाले मिथिलांचल के ये कांवरिए ‘तिलकहरू’ कहे जाते हैं. ‘तिलकहरू’ यानि कन्या की ओर से वर को तिलक चढ़ाने जो जाए.
दरअसल, शिवरात्रि से पहले बसंत पंचमी के दिन देवघर में बाबा बैद्यनाथ को विशेष तिलक चढ़ता है. भोलेनाथ के इस तिलकोत्सव का मिथिलांचलवासियों के लिए खास महत्व है. यहां ऐसी मान्यता है कि चूकि माता पार्वती हिमालय क्षेत्र की थीं और मिथिलांचल के लोग इसी क्षेत्र के करीब से आते हैं. इसलिए वो उन्हें अपनी बेटी मानते हैं और कन्या पक्ष की ओर से जाकर तिलक करते हैं.
तिलकहरू कांवरिये विशेष तरीके के कांवर लेकर आते हैं. बांस के इस विशेष कांवर को लेकर श्रद्धालु बाबाधाम में डेरा लगाना शुरू कर चुके हैं. बसंत पंचमी के दिन बाबा को तिलक लगाने के बाद वो भोग वगैरह लगाएंगे और अबीर-गुलाल एक दूसरे को लेकर झूमेंगे. इसे लेकर प्रशासन ने भी अपनी तैयारी कर ली है.
बता दें कि बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का जल लेकर कांवरिये बाबाधाम जाते हैं. भारी तादाद में कांवरिये पैदल यात्रा करके बाबानगरी पहुंचते हैं. इस दौरान कांवरिये करीब 120 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय करते हैं. वहीं सड़क मार्ग से भी भारी तादाद में श्रद्धालु बाबानगरी पहुंचते हैं और पूजा करते हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan