Kargil Diwas: सालगिरह छोड़ कारगिल की युद्ध भूमि पहुंचे गणेश प्रसाद, जानें दुश्मनों का हौसला तोड़ने की कहानी

Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल में 28 मई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ युद्ध की शुरूआत की गई. इसमें गणेश प्रसाद यादव चार्ली कंपनी के नायक थे. यह आक्रमण दल में सबसे आगे थे. अपनी जान की परवाह किए बिना यह दुश्मनों के किले में घूस गए थे. इन्होंने दुश्मनों के हौसले तोड़े थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2023 10:38 AM
an image

Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल में 28 मई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ युद्ध की शुरूआत हुई थी. इसमें गणेश प्रसाद यादव चार्ली कंपनी के नायक थे. इन्हें आक्रमण दल में सबसे आगे रखा गया था. यह बिहार के पटना में स्थित बिहटा के रहने वाले थे. यह वह जाबाज थे जिन्होंने अपने सुरक्षा की परवाह नहीं की थी और दुश्मनों के किले में घूस गए. इन्होंने दुश्मनों के हौसले तोड़ दिए थे. कई दुश्मनों को इन्होंने मार गिराया. इन्हें पाकिस्तान की ओर से चलाई गई गोली लग गई और यह जख्मी भी हुए. लेकिन, इन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते गए. इसके बाद यह शहीद हो गए.

ऐसे हुई कारगिल युद्ध की शुरुआत

कारगिल में दुश्मनों के कब्जे की जानकारी 17 मई 1999 को हो गयी थी. उन दिनों बिहार रेजीमेंट की प्रथम बटालियन कारगिल जिले के बटालिक सेक्टर में पहले से ही तैनात थी. बटालिक सेक्टर की जुब्बार पहाड़ी पर भारी हथियार के साथ दुश्मनों ने कब्जा कर लिया था. बिहार रेजीमेंट को जुब्बार पहाड़ी को अपने कब्जे में लेने की जिम्मेदारी सौंपी गयी. 21 मई को मेजर एम सरावनन अपनी टुकड़ी के साथ रेकी पर निकल गये. इसी दौरान करीब 14,229 फीट की ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी. मेजर सरावनन ने 90 एमएम राकेट लांचर अपने कंधे पर उठाकर दुश्मनों पर हमला बोल दिया. पाकिस्तानी दुश्मनों को इससे भारी नुकसान हुआ. पहले ही हमले में पाक के दो घुसपैठिए मारे गए. यहीं से कारगिल युद्ध की शुरुआत हुई थी.

Also Read: बिहार में मानसून की बेरुखी से लोग परेशान, किसानों को सूखे की आशंका, जानें कब होगी झमाझम बारिश
गणेश यादव को सेना ने वीर चक्र से नवाजा

करगिल युद्ध के दौरान बटालिक सेक्टर के प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुवाई कर रहे बिहटा के पाण्डेयचक गांव के नायक गणेश यादव ने हंसते-हंसते अपनी जान न्योछावर कर दी थी. ऑपरेशन विजय के दौरान उनके पराक्रम और बुलंद हौसलों के लिए सेना ने उन्हें वीर चक्र से नवाजा. चार्ली कंपनी में नायक गणेश प्रसाद यादव को आक्रमण दल में सबसे आगे रखा गया था. छिपते-छिपाते वे दुश्मनों के बनाये किलेबंदी तक पहुंचे और अचानक से हमलाबोल दिया, जिससे पाकिस्तानी सेना को सोचने तक का मौका नहीं मिला. करगिल दिवस जब भी आता है, उन्हें जरुर याद किया जाता है.

शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव एवं माताबच्चियां देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है. पत्नी पुष्पा करगिल युद्ध के संस्मरण को याद करते हुए बताती हैं कि वो अप्रैल में छुट्टी लेकर घर आये थे और 29 मई को हमारी शादी की सालगिरह पर आने की बात कह कर गये थे. इसी दौरान युद्ध छिड़ गयी और वह शहीद हो गये. उनकी कमी आज भी खलती है. उनकी पत्नी कहती हैं, इस शहादत के भले ही 24 साल गुजरने को हैं, लेकिन अपने ही घर में सरकार ने शहीद को सम्मान नहीं दिया.

Also Read: बिहार: औरंगाबाद में फोन पर पति से झगड़ रही महिला बच्चों संग ट्रेन के आगे कूदी, मां की मौत, दो मासूम गंभीर
शहादत पाने वाले बिहार-झारखंड के 18 सपूत, इन जवानों ने बढ़ाई देश की शान

नायक गणेश प्रसाद यादव – पटना, सिपाही अरविंद कुमार पांडेय – मुजफ्फरपुर, सिपाही अरविंद पांडेय-पूर्वी चंपारण, सिपाही शिव शंकर प्रसाद गुप्ता – औरंगाबाद, लांस नायक विद्यानंद सिंह – भोजपुर, सिपाही हरदवे प्रसाद सिंह – नालंदा, नायक बिशुनी राय – सारण, नायक सूबे. नागेश्वर महतो – रांची, सिपाही रम्बूसिंह – सिवान, गनर युगबं र दीक्षित – पलामू, मेजर चंद्रभूषण द्विवदेी – शिवहर, हवलदार रतन कुमार सिंह – भागलपुर, सिपाही रमण कुमार झा – सहरसा, सिपाही हरिकृष्ण राम – सीवान, गनर प्रभाकर कुमार सिंह – भागलपुर, नायक सुनील कुमार सिंह – मुजफ्फरपुर, नायक नीरज कुमार – लखीसराय, लांस नायक रामवचन राय – वैशाली.

बता दें कि 26 जुलाई यानि ‘कारगिल विजय दिवस’ हम सभी के लिए गौरव का दिन है. क्योंकि इसमें ‘बिहार रेजीमेंट’ की पहली बटालियन ने अदम्य साहस, शौर्य और वीरता का परिचय देकर पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए करगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था. लगभग दो महीने तक चले इस युद्ध में बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने अतिदुर्गम परिस्थितियों में बटालिक सेक्टर में दुश्मनों के कब्जे से पोस्टों को मुक्त कराया, जो सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण थे. इस लड़ाई में बिहार के कई वीर सपूत थे, जो देश के रियल हीरो के तौर पर जाने जाते हैं. युद्ध के दौरान बिहार रेजीमेंट को ‘किलर मशीन’, ‘जंगल वॉरियर्स’ व ‘बजरंग बली आर्मी’ नाम से भी जाना जाता था.

Exit mobile version