राजेश कुमार ओझा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Election Results) के लिए मतगणना जारी है. चुनाव के नतीजे (karnataka chunav ke natije) और रुझानों में कांग्रेस (congress) यहां अपनी सरकार बनाते दिख रही है. वहीं कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा को यहां तगड़ा झटका लगा है. बीजेपी 70 से 75 सीटों पर सिमटती दिख रही है. वहीं जेडीएस 25 से 30 सीटों के बीच नजर आ रही है. नतीजे और रुझानों के सामने आने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी बजरंगबली के मंदिर पहुंची और पूजा अर्चना कर उनका आर्शीवाद लिया. इधर, सोशल मीडिया पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का बजरंगबली के गदा के साथ एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रहा है. बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने ताजा रुझानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘लंपटों के एक गिरोह की तुलना बजरंगबली से करने वालों की बजरंगबली ने लंका लगा दी’
कर्नाटक विधान सभा चुनाव प्रचार में बजरंग बली की एंट्री के बाद भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दे पीछे रह गए थे. बीजेपी की चुनावी सभा में बजरंगबली के जयकारों की गूंज सुनाई देती रही. राजनीतिक पंडितों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा कि बीजेपी को कांग्रेस एक बड़ा मुद्दा दे दिया. पार्टी को इससे बड़ा नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पीएफआई और बजरंग दल जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी. इसके बाद से ही कर्नाटक में सियासी तूफान आ गया था. भाजपा को इस मुद्दे में अपनी जीत दिखने लगी. यही कारण है कि बीजेपी ने इसे ऐसा मुद्दा बनाया और उसे प्रचारित किया. खुद पीएम मोदी ने भी अपनी चुनावी सभा में बजरंग बली को ताले में बंद करने जैसी बातें करने लगे थे.
बीजेपी के इस आक्रमक चुनाव प्रचार के कारण प्रदेश के अल्पसंख्य वोटर गोलबंद हुए और क्राइम, करप्शन, गरीबों को राशन, महिलाओं के कल्याण की योजनाएं, युवाओं के लिए रोजगार को फोकस करके चुनाव प्रचार करने वाली कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दे दिया. दिलचस्प बात यह थी कि भाजपा ने इन मुद्दों को काटने के लिए बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़ा.’ कांग्रेस को इसका पूरा लाभ मिला. कांग्रेस के परंपरागत वोट के साथ-साथ अल्पसंख्यकों ने बीजेपी के इस प्रचार के खिलाफ अपना कांग्रेस को समर्थन दे दिया. कुल मिलाकर कर्नाटक में कांग्रेस ने मुस्लिम बाहुल सीटों पर भी बाजी मार कर राजनीतिक समीकरण को ही बदल दिया. इसकी बानगी जेडीएस के मुस्लिम उम्मीदवारों की हार के रुप में दिखी. कर्नाटक में मुस्लिम आबादी की संख्या तकरीबन 13 प्रतिशत है. विधान सभा के 20 से 25 सीटों पर वह निर्णायक भूमिका में रहते हैं. पिछली बार राज्य में मुस्लिम समुदाय से 7 विधायक चुन कर आए थे. जीतने वाले सभी मुस्लिम विधायक कांग्रेस के थे. इस बार मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ जेडीएस ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को ही उतारा था. मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई में कांग्रेस ने बाजी मार ली और प्रदेश में अपनी सरकार बनाने में कामयाब होती दिख रही है. दूसरी ओर बीजेपी बजरंगबली के नाम पर कर्नाटक में वोटों का ध्रुवीकरण नहीं करा सकी. जिसके कारण उसे यहां हार का सामना करना पड़ा.
भारतीय जनता पार्टी के बजरंगबली कार्ड पर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान ने तंज कसते हुए कहा, इनका बजरंग बली का मुद्दा उल्टा पड़ गया.आगे उन्होंने कहा कि कर्नाटक नार्थ इंडिया नहीं है. जहां आप कम्युनल कार्ड खेल कर सत्ता प्राप्त कर लेंगे. इसी कारण से बीजेपी के बजरंगबली वाले कार्ड पर कर्नाटक की जनता ने कोई इम्पोर्टेंस नहीं दिया.