पत्नी की हत्या के मामले में पति को आजीवन कारावास

कटिहार : जिला व सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की अदालत ने सोमवार को दहेज लोभी पति को हत्या के मामले में दोषी पाये जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. कोढा थाना अंतर्गत कोलासी ओपी के मोहम्मद मोजीज के पुत्र मोहम्मद अख्तर को अदालत ने भादवि की धारा 302 के तहत दोषी पाया था. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2017 5:19 AM

कटिहार : जिला व सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की अदालत ने सोमवार को दहेज लोभी पति को हत्या के मामले में दोषी पाये जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. कोढा थाना अंतर्गत कोलासी ओपी के मोहम्मद मोजीज के पुत्र मोहम्मद अख्तर को अदालत ने भादवि की धारा 302 के तहत दोषी पाया था. अभियुक्त को 10000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. यदि अभियुक्त रुपये का भुगतान नहीं करते हैं तो उसे छह माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना होगा.

थाना कोढा के ग्राम तीनपनिया निवासी मोहम्मद जौहर ने एक अगस्त 2014 को अपनी मृत बहन मंजूषा खातून के घर ग्राम सिमरिया चामा पारा में पुलिस के समक्ष दिए फर्द बयान में कहा था कि उसकी बहन की शादी मोहम्मद अख्तर से करीब आठ माह पूर्व हुई थी. शादी के पांच छह माह बाद उसके पति मोहम्मद अख्तर व उनके परिवार के लोग दहेज के लिए उसकी बहन को प्रताड़ित करने लगे. दहेज की रकम ज्यादा होने के कारण सूचक ने दहेज देने पर असमर्थता व्यक्त किया.

30 जुलाई 2014 को बहनोई मोहम्मद अख्तर घर पर आकर सूचक की बहन मंजूषा खातून को किसी प्रकार की लड़ाई झगड़ा भविष्य में नहीं करने की बात कह कर ले गए . एक ही दिन बाद एक अगस्त 2014 को उसे मोबाइल पर सूचना मिली कि उसकी बहन मंजूषा की हत्या मारपीट कर की गयी है. खबर सुनकर सूचक मोहम्मद जोहर अपनी बहन के ससुराल गया. जहां उसने अपनी बहन मंजूषा को मृत अवस्था में बरामदे पर देखा. इस मामले में सूचक ने मोहम्मद अख्तर के अलावा ससुर मोहम्मद अजीज,

सास तस्लीमा खातून, मोहम्मद जमाल व मोहम्मद को अभियुक्त बनाया था. सूचक का दावा था कि उसकी बहन की हत्या अभियुक्तों ने मिलकर दहेज के लिए कर दिया है. इस मामले में न्यायालय में उभय पक्षों की दलील सुनने के पश्चात अभियुक्त मोहम्मद अख्तर को भादवि की धारा 302 के तहत दोषी पाया तथा अन्य अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक शंभू प्रसाद ने सहायक अधिवक्ता राय के सहयोग से कुल 10 साक्षियों का न्यायालय में परीक्षण कराया.

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