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अब हमारे लाल नहीं होंगे बेहाल, हो रही मुकम्मल देखभाल

न्यू बर्न केयर यूनिट से गरीब तबके के मरीजों को मिलेगा लाभ, महंगे इलाज से मिलेगी मुक्ति कटिहार : गरीब परिवारों के लिए खुशखबरी है, बीमार नवजात शिशु को लेकर इधर-उधर भटकने की जरुरत नहीं है. सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए विशेष इकाई एसएनसीयू सुचारू ढंग से चल रहा है. शिशुओं […]

न्यू बर्न केयर यूनिट से गरीब तबके के मरीजों को मिलेगा लाभ, महंगे इलाज से मिलेगी मुक्ति

कटिहार : गरीब परिवारों के लिए खुशखबरी है, बीमार नवजात शिशु को लेकर इधर-उधर भटकने की जरुरत नहीं है. सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए विशेष इकाई एसएनसीयू सुचारू ढंग से चल रहा है. शिशुओं के लिए 16 बेड का वार्ड बनाया गया है. जिसमें नवजात शिशु की समस्त बीमारी व देखभाल विशेषज्ञ चिकित्सक व आधुनिक उपकरण द्वारा किया जाता है. एक माह तक के शिशुओं की सबसे ज्यादा गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है.
ऐसे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं के बेहतर चिकित्सा के लिए न्यू बोर्न केयर यूनिट खोला है. नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल के लिए एसएनसीयू में सरकार की ओर से नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था किया गया है. शिशुओं के विशेष देखभाल के लिए इन यूनिट की हर मशीन की व्यवस्था है. प्रत्येक यूनिट में दो हिस्से हैं. एक इन बोर्न तथा दूसरा आउट बोर्न प्रत्येक यूनिट में नवजात शिशुओं के लिए ऑक्सीजन, ओपन केयर, वार्मर, फोटोथेरेपी एवं इंक्लूजन पंप सहित तमाम चिकित्सा मुहैया कराया गया है.
इसके अलावा हर यूनिट में बाल रोग विशेषज्ञ सहित पूर्ण प्रशिक्षित टीम को पदस्थापित किया गया है. विभाग के प्रभारी चिकित्सक एमके मनीष ने बताया कि राज्य में अधिकांश नवजात शिशुओं की मौत जन्म लेने के एक माह के भीतर ही होता है. इस यूनिट के माध्यम से एक माह के दौरान शिशुओं को विशेष देखभाल एवं चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराना है. यूनिट में तीन चिकित्सक, 12 जीएनएम, पांच वार्ड अटेंडेंट, एक कंप्यूटर डाटा ऑपरेटर को तैनात किया गया है, जो हर समय बच्चे की देखभाल और साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं.
बोतल से दूध पिलाना खतरनाक, स्तनपान कराने से परहेज न करें
सदर अस्पताल के न्यू बर्न केयर यूनिट की चिकित्सक डॉ पूनम मिश्रा का कहना है कि बच्चों को बोतल से दूध पिलाना खतरनाक है. आधुनिक माताएं बच्चों को स्तनपान कराने से परहेज करती हैं. शहर में ऐसी अधिकतर माताएं हैं, जो नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाना ही अधिक पसंद करती हैं. बोतल का दूध पिलाने से बच्चा उल्टी, दस्त, निमोनिया आदि रोग से ग्रस्त हो सकता है. इससे शिशु की जान भी जा सकती है. डॉ मिश्रा कहती हैं कि मां के दूध के सेवन से बच्चों की रोग से लड़ने की शक्ति अर्थात प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. पर, अधिकतर माताएं स्तनपान कराने के बजाय बोतल से दूध पिलाना पसंद करती हैं.
इस स्थिति में कटोरी में दूध डालकर बच्चे को चम्मच से दूध पिलाना चाहिए. चिकित्सक का कहना है कि ऐसी माताओं को अपनी आदत में बदलाव लाने की जरूरत है. एसएनसीयू की इंचार्ज रंजीता झा का कहना है कि एसएनसीयू की महिला डाटा ऑपरेटर फीजा फरहद नवजात शिशु की माताओं की समय-समय पर काउंसेलिंग करती रहती हैं. यहां तक कि दूरभाष पर भी माताओं की काउंसेलिंग नियमित रूप से की जाती है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सीएस डॉ श्यामा चंद्र झा ने बताया कि न्यू बोर्न केयर यूनिट में जन्म से 28 दिन के बच्चों का परीक्षण के साथ-साथ इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीन लगायी गयी है. यूनिट में बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के अलावा स्टाफ नर्स की भी तैनाती की गयी है. यहां पर एक माह तक के बच्चों की गंभीर बीमारी का इलाज किया जाता है. यूनिट में रेडियेंट वार्मर, फोटो थेरेपी यूनिट, वेंटिलेटर सहित कई प्रकार के आधुनिक चिकित्सकीय उपकरण लगाये गये हैं. यहां अलग से स्टाफ की तैनाती भी की गयी है. सीएसपी तथा पीएचसी से रेफर बच्चों का यहां इलाज किया जाता है. बच्चों की उचित देखरेख व इलाज नियमित रूप से की जा रही है. यहां नवजात का इलाज नि:शुल्क होता है.

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