पत्नी व तीन वर्षीया बेटी को जिंदा जलाने वाले को उम्रकैद की सजा

मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मुर्गियाचक का 27 दिसंबर, 2013 की घटना, 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया कटिहार : जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की अदालत ने शुक्रवार को पत्नी तथा तीन वर्षीय पुत्री को जिंदा जला दिये जाने के अभियुक्त दिलीप पासवान को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. न्यायालय ने यह सजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2017 5:52 AM

मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मुर्गियाचक का

27 दिसंबर, 2013 की घटना, 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया
कटिहार : जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की अदालत ने शुक्रवार को पत्नी तथा तीन वर्षीय पुत्री को जिंदा जला दिये जाने के अभियुक्त दिलीप पासवान को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. न्यायालय ने यह सजा भादवि की धारा 302 के तहत सुनायी. मुफस्सिल थाना अंतर्गत मुर्गियाचक निवासी अभियुक्त दिलीप पासवान ने 27 दिसंबर, 2013 को पत्नी गीता देवी तथा तीन वर्षीया पुत्री निशा कुमारी को जिंदा जला दिया था. न्यायालय में अभियुक्त को दस हजार रुपये का अर्थदंड का भुगतान का आदेश भी दिया है. अर्थदंड नहीं देने की स्थिति में अभियुक्त को छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.
अभियुक्त का दूसरी लड़की से था नाजायज संबंध
भागलपुर जिला अंतर्गत आदमपुर थाना के अंतर्गत डीएन सिंह घाट रोड निवासी भैरो पासवान ने दिये फर्द बयान में कहा था कि उसकी पुत्री की शादी मार्च 2005 में अभियुक्त दिलीप पासवान पिता स्व चंदर पासवान के साथ हुई थी. दामाद दिलीप पासवान उसकी पुत्री के साथ शराब पीकर मारपीट किया करता था. इसकी सूचना उसकी पुत्री बराबर दिया करती थी. कुछ दिन पहले दिलीप पासवान उसकी पुत्री के साथ मारपीट किया था. इस कारण वह अपनी पुत्री को अपने घर ले आये थे. बाद में जब वे अपनी पुत्री के विदाई से इंकार कर गये, तो दामाद के माफी मांगने पर वह मान गये और दामाद दिलीप पासवान एवं उसका मित्र वकील ठाकुर उसकी पुत्री को वापस कटिहार ले आये और दिलीप पासवान, उसके दोस्त वकील ठाकुर तथा सास विद्या ने उसकी पुत्री गीता देवी तथा नतिनी निशा कुमारी को आग के हवाले कर दिया. अपने फर्द बयान में भैरो पासवान ने कहा था कि उसका दामाद दिलीप पासवान का नाजायज संबंध आदिवासी टोला की एक लड़की के साथ था. इस कारण उसकी उसकी पुत्री व नतिनी को दामाद ने जिंदा जला दिया. वाद के अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इस सत्र वाद में लोक अभियोजक शंभू प्रसाद ने आठ साक्षियों का न्यायालय में परीक्षण कराया.

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