बच्चों को नहीं मिल रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

जिला व प्रखंड स्तर पर विभाग में कई पद हैं खाली कटिहार : प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार को लेकर राज्य सरकार की ओर से तरह तरह के उपाय किये जा रहे है. अब तो मोबाइल एप के जरिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग की भी व्यवस्था की गयी है. दरअसल शिक्षा अधिकार कानून लागू होने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2018 4:22 AM

जिला व प्रखंड स्तर पर विभाग में कई पद हैं खाली

कटिहार : प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार को लेकर राज्य सरकार की ओर से तरह तरह के उपाय किये जा रहे है. अब तो मोबाइल एप के जरिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग की भी व्यवस्था की गयी है. दरअसल शिक्षा अधिकार कानून लागू होने के बाद राज्य सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए कई तरह की पहल की है. समय-समय पर अधिसूचना व आदेश भी जारी किये जाते रहे हैं. पर जमीनी स्तर पर किसी तरह की सुधार की गुंजाइश नहीं दिख रही है. पटना में बैठे विभागीय अधिकारी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आदेश- निर्देश तो जारी करते हैं. पर उसके क्रियान्वयन को लेकर अधिकारी की तैनाती नहीं करते हैं. जिले के 16 प्रखंड में मात्र पांच प्रखंड में ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की तैनाती की गयी है. जिला मुख्यालय स्तर पर देखें तो जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की कमी भी है. जून में विभिन्न संभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी का स्थानांतरण तो कर दिया गया, पर उनके स्थान पर किसी की तैनाती नहीं की गयी.
फलस्वरूप वह पद अभी प्रभार में चल रहा है. जब अधिकारियों का टोटा रहेगा तो सरकार के आदेश, निर्देश व अधिसूचना के क्रियान्वयन का अनुश्रवण किस तरह हो सकेगा. इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. स्थानीय बुद्धिजीवी व बच्चों के शिक्षा पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की मानें तो सरकार सिर्फ कागजी खानापूर्ति में जुटी हुई है. जमीनी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कहीं नहीं दिख रही है. सरकार की व्यवस्था की वजह से ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. आने वाले समय में मौजूदा व्यवस्था काफी भयावह साबित होगी. इस तरह का आकलन भी स्थानीय स्तर पर बुद्धिजीवी कर रहे हैं. बिहार बाल आवाज मंच व अन्य कई संगठनों ने बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर सवाल उठाते हैं. ऐसे संगठनों के प्रतिनिधि सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हैं. पर जनप्रतिनिधि व राजनीतिक दल के लिए यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. उल्लेखनीय है कि जिले में करीब 2000 विद्यालय संचालित हैं.
जिले में कुल 16 प्रखंड हैं, पर मात्र पांच प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से ही काम चलाया जा रहा है. जिले में बाढ़ व कटान से प्रभावित कई इलाके में भी बच्चों के बच्चों को पढ़ाने के लिए विद्यालय संचालित है. बीइओ नहीं रहने से यहां बेहतर मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है तथा कई तरह के काम प्रभावित होता है. स्थानीय प्रारंभिक शिक्षा व सर्व शिक्षा समग्र शिक्षा अभियान के जिला कार्यालय की मानें, तो वर्तमान में मनिहारी कटिहार बरारी कुरसेला बारसोई में ही शिक्षा पदाधिकारी पदस्थापित हैं. इनको ही अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है. प्रखंड स्तर पर भी बेहतर मॉनीटरिंग का सर्वथा अभाव देखा जाता है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से बात करने पर वे दूसरे प्रखंड में होने की बात करते हैं. जानकारों की मानें तो प्रखंड साधनसेवी व संकुल समन्वयक ही अधिकतर कार्य निबटाते हैं. यह अलग बात है कि उसमें संबंधित बीइओ के हस्ताक्षर के बाद ही उसका संधारण होता है
जिले में सिर्फ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का ही टोटा नहीं है, बल्कि जिला मुख्यालय में भी जिला स्तरीय शिक्षा विभाग के पदाधिकारी का अभाव है. जून 2018 में बड़े पैमाने पर शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया. इस जिले से भी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी का स्थानांतरण हुआ. पर स्थानांतरित डीपीओ के स्थान पर किसी दूसरे अधिकारी की तैनाती अब तक नहीं हुई. फलस्वरूप जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना अजय कुमार सिंह को साक्षरता, प्रारंभिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान तथा मध्याह्न भोजन के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी संभालना पड़ रहा है. जिला स्तरीय ये तीनों संभाग अपने आप में महत्वपूर्ण है. शिक्षा विभाग के सारे अधिकारियों की कमी के बीच किस प्रकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को मिल रही होगी. इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
जिले में स्कूली बच्चों के लिए अब भी दिवास्वप्न है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
शिक्षा अधिकार कानून जब 2010 में लागू हुआ, तब राज्य सरकार ने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कई तरह की पहल करने का दावा किया. इसको लेकर विभागीय स्तर पर समय-समय पर पत्र के माध्यम से निर्देशित किया जाता रहा. अधिसूचना भी जारी हुई, पर अब तक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नसीब नहीं है. गुणवत्ता मिशन के तहत 20 सूत्री कार्य योजना भी बनायी गयी, पर वह विद्यालय के दीवारों तक ही सीमित रही. अब तो ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी सरकार ने कर दी है. इसके बावजूद ग्राउंड लेवल पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना अब भी एक दिवास्वप्न बना हुआ है. यह बात कितनी हास्यास्पद है कि सरकार एक तरफ शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिए कई तरह के आदेश व अधिसूचना जारी करती है. पर उसके अनुपालन के लिए पदाधिकारी की तैनाती नहीं होती है. एक-एक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के जिम्मे तीन-चार प्रखंड सौंप दिया गया है. जिला स्तर पर भी यही स्थिति है. एक जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तीन संभाग संभाल रहे हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार के दावे के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कहां ठहरती है.

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