कटिहार : कदवा के पूर्व विधायक अब्दुल जलील नहीं रहे. वे विगत कई महीनों से बीमार चल रहे थे. शनिवार की सुबह 6:30 बजे रेडिएंट अस्पताल कटिहार में अंतिम सांस ली. निधन की खबर फैलते ही समर्थकों में शोक की लहर दौड़ पड़ी. बड़ी संख्या में लोग आजमनगर स्थित उनके आवास पर चाहनेवालों व समर्थकों का पहुंचना शुरू हो गया. अस्पताल से शव को घर लाया जा रहा है.आजमनगर दक्षिण टोला स्थित आवास पर उनके अंतिम दर्शन के लिए समर्थकों का तांता लगा है. शव कुछ ही देर में पहुंचने की बात कही गयी है.
कदवा विधानसभा क्षेत्र में ‘हीरो‘की मिली थी उपाधि
पूर्व विधायक अब्दुल जलील सीमांचल में मरहूम पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के बाद सीमांचल का गांधी कहे जानेवाले दूसरे शख्स थे. कटिहार संसदीय क्षेत्र के कदवा विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने जलील को ‘हीरो’ की उपाधि दी थी. अब्दुल जलील कदवा विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक रहे. वह लगातार 24 वर्ष तक मुखिया के पद पर भी काबिज रहे. जलील ने राजनीति की पारी शुरुआत वह 1990 में निर्दलीय चुनाव लड़े. कदवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में भाजपा के भोला राय को करारी शिकस्त देते हुए पहली बार विधायक बने. वहीं, 1995 में सेहत का साथ नहीं मिलने से चुनाव लड़ नहीं पाये थे. फिर वर्ष 2000 के चुनाव में उन्होंने पूर्णिया के अमौर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी. इसके बाद वह वर्ष 2005 का चुनाव जीते. फिर वर्ष 2010 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. वर्ष 2011 तक वह विधायक रहे. पुनः तबीयत बिगड़ने की वजह से चुनाव नहीं लड़ पाये.