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मजबूर होकर बाहर से मंगानी पड़ती है दवा

सदर अस्पताल में कुव्यवस्था बनी हुई है. मरीजों को बेहतर उपचार की बात तो दूर उन्हें दवा, सूई भी बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है. यही नहीं घटिया भोजन परोसने की वजह से कई मरीज अपने घर का खाना बेहतर समझते हैं. ऐसे में सरकार की ओर से स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर […]

सदर अस्पताल में कुव्यवस्था बनी हुई है. मरीजों को बेहतर उपचार की बात तो दूर उन्हें दवा, सूई भी बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है. यही नहीं घटिया भोजन परोसने की वजह से कई मरीज अपने घर का खाना बेहतर समझते हैं. ऐसे में सरकार की ओर से स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर प्रतिमाह हो रहे लाखों रुपये के खर्च का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा. सदर अस्पताल में सुविधा नहीं मिलने की वजह से लोग बड़ी संख्या में निजी क्लिनिक में इलाज करा रहे हैं. पेयजल का नल व टंकी खराब है. चापानल से पानी पीने की लाचारी है. लोग बाहर से खरीद कर पानी पीते हैं. स्वास्थ्य सेवा की जानकारी लेने प्रभात खबर की टीम बुधवार को सदर अस्पताल पहुंची. स्थिति काफी बदतर पायी गयी.मरीजों से मिलने और बातचीत करने पर अस्पताल की स्थिति तो बयां हुई. अव्यवस्था की पोल खुली.

बेड पर नहीं बदली जाती चादर
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज करा रहे मनिहारी के मिर्जापुर बघार निवासी धनेजर यादव ने कहा कि वे तीन दिनों से इस बेड पर हैं. ठीक से देखरेख नहीं होती. जबकि उसी वार्ड में बरमसिया निवासी पंकज कुमार अपने घर का खाना ही पसंद करते हैं. इधर महिला वार्ड के मरीज कमली देवी पति कल्लू मुमरू निवासी भगोड़ा-रौतारा ने कहा कि वे बेड नंबर 7 पर पिछले चार दिनों से हैं. अस्पताल की ओर से चादर नहीं मिला है. निजी चादर बिछा कर रहना मजबूरी है. रसूलपुर मनिहारी की सड़क दुर्घटना में घायल बच्ची अपने पिता मो सफीक के साथ इलाज करा रही है. बच्ची के पिता ने बताया कि पिछले चार दिनों से इलाज चल रहा है लेकिन कोई प्रगति नहीं देखी जा रही है. जब उक्त वार्ड में बेड पर चादर नहीं थी. कई बेड खराब पड़े हैं. इधर पुरुष शल्य वार्ड में कोढ़ा प्रखंड के बहरखाल निवासी भूदेव प्रसाद महतो ने बताया कि अस्पताल की ओर से सुबह पाव रोटी, एक अंडा एवं एक केला नाश्ता के रूप में दिया जाता है. दिन में चावल, दाल एवं सब्जी दी जाती है. रात में रोटी-सब्जी खाना के रूप में दिया जाता है. डेहरिया निवासी शकुंतला देवी पति बैद्यनाथ चौधरी ने भी अपनी समस्या बतायी.
कैदी का न इलाज, न रेफर
महिला वार्ड में बेड नंबर 2 की उषा देवी पति राजेश चौधरी अमदाबाद ने कहा कि अस्पताल की दवा के अतिरिक्त, सूई बाहर से खरीदना पड़ता है. रफिया बताती है कि दवाई (सूई) बाहर से खरीदना पड़ता है. इतना ही नहीं चिकित्सकों द्वारा अस्पताल से बाहर इलाज कराने की सलाह भी दी जाती है. मंडल कारा के कैदी रविंद्र उर्फ वीरेंद्र रविदास का पैर टूटा हुआ है. उसे इलाज के लिए अन्यत्र रेफर किया गया है. किंतु कई दिनों से ना तो उसकी देखभाल की जा रही है और ना ही बाहर भेजा जा रहा है. वह चिंतित हैं.

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