जूट प्रशिक्षण के लिए 30 किसान जायेंगे कोलकाता

20 हजार हेक्टेयर में खस की खेती पर दिया गया बल

By Prabhat Khabar News Desk | May 15, 2024 11:24 PM

कटिहार. आत्मा प्रबंधन समिति की बैठक मंगलवार को डीएओ सह अध्यक्ष आत्मा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुधीर कुमार की अध्यक्षता में बैठक आहूत की गयी. बैठक के दौरान राज्य स्तर से मिले नये वित्तीय वर्ष 2024-25 के टारगेट को हर हाल में प्रखंड वाइज पूरा करने का निदेश डीएओ द्वारा दिया गया. आत्मा प्रबंधन समिति के सदस्यों का स्वागत करते हुए बैठक की शुरुआत की गयी. बैठक में आत्मा कटिहार के उप परियोजना सह सदस्य सचिव ने आत्मा के योजना 2024- 25 के भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य पर सभी प्रबंधन समिति के सदस्यों को बिंदुवार चर्चा किया गया. मुख्य रूप से जिसमें जिले में मखाना की खेती, जूट की खेती एवं नदियों के किनारे बेकार पड़ी हुई जमीन 20 हजार हेक्टेयर में खस की खेती के लिए एक सुझाव रखा गया. मौके पर प्रबंधन समिति के सदस्य जिला गव्य पदाधिकारी, डीडीएम नाबार्ड, जिला उद्योग, एलडीएम, उप परियोजना निदेशक शशिकांत झा, दो गैर सरकारी सदस्यों में कालीदास बनजी, पप्पू कुमार चौबे आदि मौजूद थे.

मौसम की बेरुखी से मखाना किसान हताशा व निराशा

कोढ़ा. तापमान में निरंतर वृद्धि के कारण जहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. कृषकों के समक्ष अपने विभिन्न फसलों को बचाना मानो एक चुनौती बनकर आ खड़ा हुआ है. क्षेत्र में मुख्य रूप से मखाना, केला, पटवा के अलावा धान की फसल बृहद पैमाने पर हुआ करता है. मौसम की बेरुखी के कारण किसानों का फसल जल रहा है. किसान अपने खेतों में पंपसेट से सिंचाई करते-करते परेशान होने लगे हैं. प्रखंड क्षेत्र की किसानों के द्वारा अगला फसल धान की रोकने करने को लेकर धान का नर्सरी बनाने का कार्य शुरू होना था. पर बारिश नहीं होने के कारण किसान निराश एवं परेशान नजर आ रहे हैं. किसानों ने बताया कि पंपसेट से पटवन कर धान रोपाई के लिए धान के बीज का बिचड़ा अब गिराया जाना है. सुखाड़ के कारण धान के बिचड़े (नर्सरी) को बचा पाना किसानों के लिए चिंता का सबब बन गया है. मखाना व केला की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है. दूर-दूर तक बारिश होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. जिस कारण कृषक अपने फसल को बचाने के लिए महंगे डीजल खरीद कर पटवन करने को विवश हैं. जबकि बिजली आपूर्ति व्यवस्था सुचारू नहीं रहने के कारण किसानों को पंपसेट के सहारे ही सिंचाई करना पड़ रहा है.

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