जानकार बताते हैं कि साल में 50 लाख की अधिक राशि आवारा कुत्ता गटक रहा है. अब यह तो जांच का विषय है कि वास्तविक में लोग आवारा कुत्ते के शिकार बन रहे हैं या फिर रैबीज सूई को खपाने की कोशिश सरकारी राशि का चुना लग रहा है. जिला स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2014 से जनवरी 2015 तक कटिहार जिले में 4200 लोग आवारा कुत्ते का शिकार हुए हैं. जिनका उपचार सदर अस्पताल सहित विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में हुई है.
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उफ! 306 दिन में 4200 लोग हुए शिकार
कटिहार: जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्ताें का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिले में हर माह औसतन 400 लोग आवारा कुत्ते का शिकार हो रहे हैं. आवारा कुत्ताें के काटने पर रैबीज की सूई लगायी जाती है. माह में करीब तीन लाख रुपये से अधिक की खर्च सरकारी […]
कटिहार: जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्ताें का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिले में हर माह औसतन 400 लोग आवारा कुत्ते का शिकार हो रहे हैं. आवारा कुत्ताें के काटने पर रैबीज की सूई लगायी जाती है. माह में करीब तीन लाख रुपये से अधिक की खर्च सरकारी खजाने से आवारा कुत्ताें की वजह से हो रहा है.
प्रतिदिन 14 लोग हो रहे हैं आवारा कुत्ताें के शिकार
जिला स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो जनवरी 2015 में 427 लोग आवारा कुत्ते के शिकार बने हैं. सिविल सजर्न कटिहार के पत्रंक 321 के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल 14 से जनवरी 15 तक जिले में 4200 लोग कुत्ता के शिकार बने हैं. आवारा कुत्ते के शिकार हुए लोगों को विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में उपचार किया गया. सभी प्रभावित लोगों को रैबीज का सूई दिया गया है.
10 हजार से अधिक रैबीज का हुआ उपयोग
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार जून 2014 में दस हजार तथा जनवरी 15 में दस हजार रैबीज का वायल की आपूर्ति विभाग के द्वारा कटिहार जिले को किया गया. दो फरवरी 15 तक करीब 10 हजार वायल का उपयोग किया जा चुका है. जानकार बताते हैं कि रैबीज के एक वायल की कीमत 300 रुपया के आसपास होती है. कुत्ता काटने वाले एक मरीज को कम से कम तीन डोज देने का प्रावधान है. अगर इस हिसाब को देखें तो कुत्ता की वजह से अब तक करीब 30 लाख की राशि खर्च हो चुकी है.
कहते हैं चिकित्सक
स्थानीय बच्च हॉस्पिटल के वरीय चिकित्सक डॉ कुमार शंभु नाथ ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुत्ता ने लोगों को काट कर किस तरह जख्म किया है, उसके आधार पर रैबीज वायल का उपयोग किया जाता है. अमूमन कुत्ता काटने के तुरंत बाद, तीसरे दिन, सातवें, चौदहवें व तीस दिन पर सूई पीड़ित व्यक्ति के मांस में दिया जाता है. भारत में डब्ल्यूएचओ के अनुसार ही पीड़ित व्यक्ति को रैबीज दिया जाता है. फिलहाल तीन डोज दिया जाता है. कुत्ता काटने के तुरंत बाद एक साथ दो डोज तथा सातवें व 14 वें दिन पर दूसरा व तीसरा डोज दिया जाता है.
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