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जल का स्तर बढ़ने से फसल बरबाद

कुरसेला: गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से मलेनियां दियारा क्षेत्र में लगभग दो सौ एकड़ में फुट, ककड़ी, तरबूजा, खीरा के पौधे डूब कर बरबाद हो गये हैं. फसल डूबने से कृषकों में हताशा की स्थिति बनी हुई है. किसानों का कहना है कि जलस्तर में वृद्धि जारी रहने से बांकी के पांच सौ एकड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2015 10:44 AM

कुरसेला: गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से मलेनियां दियारा क्षेत्र में लगभग दो सौ एकड़ में फुट, ककड़ी, तरबूजा, खीरा के पौधे डूब कर बरबाद हो गये हैं. फसल डूबने से कृषकों में हताशा की स्थिति बनी हुई है. किसानों का कहना है कि जलस्तर में वृद्धि जारी रहने से बांकी के पांच सौ एकड़ की खेती भी डूब कर नष्ट हो जायेगी.

उन्होंने अभी से इसकी चिंता सता रही है. मलेनियां दियारा क्षेत्र में गंगा नदी के छारण व आसपास बालू रेत पर सैकड़ों किसानों ने तरबूजा, फुट, ककड़ी, खीरा की खेती कर रखी है. पौधा बड़ा होकर फलने के कगार पर है. अचानक गंगा नदी में जलस्तर वृद्धि से फैलाव पौधा डूबने लगा है. फसल के पौधे डूबने से अब तक किसानों को लाखों की क्षति हुई है.

खेती करने वाले किसान सुपन महतो, टिम्हल महतो, कुंदन महतो, मंटू महतो, ललन महतो, बिनोद महतो, फुलचन महतो, निरंजन मंडल, बच्ची मंडल, भुमेश्वर मंडल, प्रमोद राम, शुकर महतो, जिरक्षण महतो, चंदन महतो, राधे महतो, रामप्रीत महतो, कामेश्वर महतो, शिवदानी महतो, हारो महतो, पांचू महतो, उपेंद्र महतो आदि ने डूबे फसलों को दिखाते हुए कहा कि असमय बाढ़ प्रकोप ने सैकड़ों किसानों के लाखों की खेती नष्ट कर दी है.

इस क्षति ने किसानों को पैमाल कर दिया है. खेती पर प्रति एकड़ तकरीबन पच्चीस हजार का खर्च आया है. ऐसे में किसानों के खेत के पौधे डूबने से पच्चीस हजार से लेकर लाख की लागत पूंजी भी डूब गयी है. मामले में लोक कल्याण समिति के मनोज जायसवाल ने कहा कि फरक्का का फाटक बंद होने से गंगा नदी में असमय बाढ़ खतरा बढ़ा है. इससे दियारा के गरीब किसानों के फसल नष्ट होने की परिस्थिति बन आयी है. उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से दियारा के कृषकों को फसल क्षति का मुआवजा देने का मांग किया है. साथ ही जलस्तर कमी के लिए फरक्का का फाटक खोलने का आग्रह किया है.

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