माता-पिता और गुरु हंै परमात्मा का स्वरूप : सुदर्शन महाराज

भक्तों को देव ऋण, पितृ ऋण व गुरु ऋण से मुक्ति का बताया मार्गबारसोई में तीनदिवसीय रामकथा का आयोजनफोटो नं. 35,36 कैप्सन – प्रवचन देते सुदर्शन जी महाराज, प्रवचन का लाभ उठाते श्रद्धालुप्रतिनिधि, बारसोईआज लोग परमात्मा की खोज में इधर-उधर भटकते हैं. परंतु उन्हें परमात्मा नहीं मिलते. मिलेंगे कैसे, वो तो आपके घर में हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2015 8:03 PM

भक्तों को देव ऋण, पितृ ऋण व गुरु ऋण से मुक्ति का बताया मार्गबारसोई में तीनदिवसीय रामकथा का आयोजनफोटो नं. 35,36 कैप्सन – प्रवचन देते सुदर्शन जी महाराज, प्रवचन का लाभ उठाते श्रद्धालुप्रतिनिधि, बारसोईआज लोग परमात्मा की खोज में इधर-उधर भटकते हैं. परंतु उन्हें परमात्मा नहीं मिलते. मिलेंगे कैसे, वो तो आपके घर में हैं. परंतु उन पर किसी की नजर नहीं पड़ती. उनकी आंखों में लोभ, मोह, अहंकार का परदा जो पड़ गया है. आज के युग में माता-पिता व गुरु ही परमात्मा का स्वरूप हैं. उक्त बातें अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य सुदर्शन जी महाराज ने बारसोई में चल रहे तीनदिवसीय संगीतमय रामकथा में कही. उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म लेते ही तीन प्रकार के ऋण से दबा होता है. देव ऋण, पितृ ऋण एवं गुरु ऋण. देव जिसने हमें जन्म दिया, पिता जिसने हमे पाला-पोषण किया तथा गुरु जिसने हमें ज्ञान दिया. इन तीनों का हमें सम्मान करना चाहिए तथा इनके प्रति श्रद्धा भाव होना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी को अपना गुरु अवश्य बनाना चाहिए. गुरु के बिना मनुष्य अधूरा होता है. स्वामी विवेकानंद विद्वान व्यक्ति थे. उन्होंने भी रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु बनाया था. मुश्किल घड़ी में गुरु का स्मरण करना चाहिए. इससे मुसीबत टल जाती है. वहीं आचार्य जी की कथा सुनने हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे थे. बीच-बीच में भक्ति संगीत में श्रद्धालु झूमते रहे. सभी वर्ग, धर्म के लोगों ने आचार्य जी की कथा का लाभ उठाया.

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