लापरवाही: लक्ष्य से 48 फीसदी कम हुआ बंध्याकरण

कटिहार: बढ़ती आबादी कई समस्याओं की जननी है. जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकार कई योजनाएं शुरू की है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से परिवार कल्याण कार्यक्रम चलाया जाता है. लेकिन विभाग इस कार्यक्रम के प्रति संजीदा नहीं है. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2015 8:29 AM
कटिहार: बढ़ती आबादी कई समस्याओं की जननी है. जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकार कई योजनाएं शुरू की है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से परिवार कल्याण कार्यक्रम चलाया जाता है. लेकिन विभाग इस कार्यक्रम के प्रति संजीदा नहीं है.

स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो वित्तीय वर्ष 2014-15 में परिवार कल्याण कार्यक्रम कटिहार जिले में फिसड्डी ही रहा. एक साल में लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 48 फीसदी ही पूरा किया जा सका. परिवार कल्याण कार्यक्रम में बंध्याकरण एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. इसमें लक्ष्य से 52 फीसदी कम बंध्याकरण हुआ. दूसरी तरफ सरकार द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति भी अपेक्षा से कम ही हुआ है. परिवार कल्याण कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण आदि कार्यक्रमों में कटिहार लक्ष्य से काफी पीछे रहा. प्रभात खबर द्वारा स्वास्थ्य योजनाओं के पड़ताल की दूसरी किस्त प्रस्तुत है.

48 फीसदी हुआ बंध्याकरण
परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत यूं तो बंध्याकरण, आइयूडी, सीसी यूजर्स (ओरल पिल्स), सीसी सुजर्स (निरोध) व एमटीपी है. इसमें सबसे प्रमुख कार्यक्रम बंध्याकरण है. वित्तीय 2014-15 में 32412 महिलाओं का बंध्याकरण कराने का लक्ष्य रखा गया था. इसके विरुद्ध 15661 महिलाओं का बंध्याकरण किया गया. यानी लक्ष्य का 48 फीसदी ही हासिल हो सका. हालांकि परिवार कल्याण कार्यक्रम के दूसरे विकल्प के प्रति बंध्याकरण से अधिक रुझान रहा. आइयूडी में 53 फीसदी तथा सीसी यूजर्स (ओरल पिल्स) में 102 फसदी लक्ष्य के विरुद्ध उपलब्धि रही. जबकि लक्ष्य के विरुद्ध 99 फीसदी लोगों ने निरोध का इस्तेमाल किया.
69 फीसदी बच्चों का नियमित टीकाकरण
जिले में करीब 31 फीसदी बच्चे नियमित टीकाकरण से वंचित रहे हैं. अप्रैल 14 से मार्च 15 तक लक्ष्य के विरुद्ध करीब 69 फीसदी टीकाकरण हुआ. आरआइ के तहत दो वर्ष तक के बच्चों को बीसीजी मिजिल्स, डीपीटी (अब पैंटावैलेंट), ओपीभी एवं हेपेटाइटिस-बी दिया जाता है. जबकि गर्भवती माताओं को दो बार टीटी दिया जाता है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में 88644 बच्चों का प्रतिरक्षित करने का लक्ष्य था. इसके विरुद्ध 99 फीसदी यानी 88017 बच्चों को बीसीजी भी दिया गया. जबकि 45952 बच्चों को मिजिल्स का टीका दिया गया. मिजिल्स प्राप्त करने वाले बच्चे 52 फीसदी रहे. डीपीटी 90 फीसदी, ओपीभी 81 फीसदी एवं हेपेटाइटिस-बी 89 फीसदी बच्चों को दिया. 69 फीसदी बच्चों का ओवर ऑल पूर्ण टीकाकरण हुआ. कुल 95112 गर्भवती माताओं को प्रतिरक्षित करना था. इसके विरुद्ध 84 फीसदी यानी 79951 महिलाओं को प्रतिरक्षित किया गया.
हर दिन 5 व्यक्ति हुए टीबी से ग्रसित
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014-15 में टीब्ी रोग की तादाद भी बढ़ा है. सिविल सजर्न के रिपोर्ट पर यकीन करें, तो औसतन हर दिन पांच नये टीबी रोग चिह्न्ति किये गये हैं. इस वर्ष कुल 14680 लोगों का बलगम जांच हुआ, जिसमें 1899 लोग पॉजिटिव पाये गये. इनका उपचार किया जा रहा है.

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