कुरसेला . आपदाओं के शामत ने जन जीवन के मनोदशा पर भय का संचार कर रखा है. भूकंप प्रकोप बाद आंधी-तूफान वर्षा के आये आफतों से लोग सिहर उठे हैं. हर किसी के पास सवाल है. अब आगे क्या होने वाला है. अनुभव रखने वाले बुजुर्गों का कहना है कि इस तरह का लगातार प्रकृति प्रकोप कभी नहीं हुआ है. मौसम की विपरीत परिस्थितियां और प्राकृतिक रूप से झंझवातों ने भविष्य के मानव जीवन सुरक्षा के सवाल खड़ा कर दिया है. धरती झटकों के रूकने से राहत महसूस की जा रही है. मगर आपदाओं की आशंकाएं अभी भी बरकरार है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खौफ के आशंकाओं से घिरे हुए हैं. क्षेत्र में मंगलवार शाम आंधी के साथ आये वर्षा प्रकोप ने रबी फसल की तैयारी बाधित कर दिया है. मकई फसलों की कटनी और तैयारी विशेष रूप से प्रभावित हो गया है. किसानों का कहना है कि प्रकृति का आफत कृषि पर अधिक हो रहा है. आम, लीची के फलों को आंधी प्रकोप से क्षति हुई है. जिसने बागान मालिकों और इसके व्यापारियों को आहत किया है. माना जा रहा है कि आंधी से अब तक पच्चीस प्रतिशत फलों की क्षति हुई है. उधर मक्का के पौधे गिरने से फसलों के नुकसान होना बताया जाय.
आपदाओं के आफत में सिहर उठे हैं लोग
कुरसेला . आपदाओं के शामत ने जन जीवन के मनोदशा पर भय का संचार कर रखा है. भूकंप प्रकोप बाद आंधी-तूफान वर्षा के आये आफतों से लोग सिहर उठे हैं. हर किसी के पास सवाल है. अब आगे क्या होने वाला है. अनुभव रखने वाले बुजुर्गों का कहना है कि इस तरह का लगातार प्रकृति […]
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