कटिहार . केबीझा महाविद्यालय की विडंबना ही कहिए कि 15 वर्षों के दरम्यान कुल सात प्रिंसिपल पदभार ग्रहण किये हैं. जिसमें 7 वां प्रिंसिपल के रूप में प्रो इकराम ने पदभार ग्रहण किया. इस प्रकार प्रिंसिपल के लगातार बदले जाने से कॉलेज की पढ़ाई सहित विकास में धीमी गति अपरिहार्य है. छात्र-छात्राओं के अभिभावक एवं बुद्धिजीवी चिंतित हैं. विश्वविद्यालय का रवैया केबीझा महाविद्यालय के प्रति ठीक नहीं मान रहे हैं. जबकि केबीझा कॉलेज सभी संस्थानों से लैस होते हुए यह महाविद्यालय संसाधनों का पूर्ण रूपेण इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. क्योंकि एक प्रिंसिपल जितने समय तक कार्यरत रहते हैं, उतने समय में विकास कार्य के प्रति जब तक सक्रिय हो पाते हैं, तब तक उनका तबादला हो जाता है. यह भी एक कारण है कि केबीझा महाविद्यालय में महिला छात्रावास, पुरुष छात्रावास, स्वीमिंग पोखर आदि वर्षों से निर्माणाधीन है. वहीं अत्यंत पिछड़ी जाति के छात्रों का हॉस्टल बन कर तैयार रहते हुए आज तक उक्त हॉस्टल का उपयोग शुरू नहीं किया जा सका है. पढ़ाई के क्षेत्र में इस कॉलेज को जितना आगे बढ़ कर ख्याति प्राप्त करना था, वह नहीं हो पाया है. कॉलेज में छात्रों के पढ़ने के लिए उत्तम व्यवस्था तो है किंतु विश्वविद्यालय के इस रवैये से कार्य में रुचि का अभाव देखा जा रहा है.
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केबी झा कॉलेज में 15 वर्षों में बदल गये सात प्रिंसिपल
कटिहार . केबीझा महाविद्यालय की विडंबना ही कहिए कि 15 वर्षों के दरम्यान कुल सात प्रिंसिपल पदभार ग्रहण किये हैं. जिसमें 7 वां प्रिंसिपल के रूप में प्रो इकराम ने पदभार ग्रहण किया. इस प्रकार प्रिंसिपल के लगातार बदले जाने से कॉलेज की पढ़ाई सहित विकास में धीमी गति अपरिहार्य है. छात्र-छात्राओं के अभिभावक एवं […]
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