पूर्णिया : मौसम के बदलते मिजाज के साथ पशुओं में कई प्रकार के गंभीर रोग हो रहे हैं. विभाग दवा व इलाज के नाम पर पशु पालकों को ठेंगा दिखा रहा है.
लिहाजा विभाग के इस रवैये से परेशान पशुपालक बाजार की दवाओं पर निर्भर हैं. गरीब पशु पालक ऊपर वाले की रहमो करम पर हैं. विभाग लापरवाह बना हुआ है.
अस्पताल में दवा का अभाव : जैसे-जैसे मौसम का मिजाज बदल रहा है, पशुओं में मौसम जनित रोगों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. पशुओं में कफ, बुखार, डायरिया, सर्रा व अपच सहित तमाम प्रकार के रोग की समस्या बढ़ रही है.
पशु चिकित्सालयों में दवा उपलब्ध नहीं रहने के कारण पशुपालक परेशान हैं. उन्हें बाजार से मंहगी कीमतों में दवा खरीद कर पशुओं का इलाज करना पड़ता है. जिले में पशुओं के लिए कुल 32 प्रकार की दवा स्वीकृत हैं.
लेकिन बताया जाता है कि पशु अस्पतालों में पांच से छह प्रकार की दवा ही उपलब्ध है. दवा की किल्लत निविदा सफल नहीं होने के कारण बतायी जा रही है.
लिहाजा इन्हीं पांच से छह प्रकार की दवा के भरोसे पशुपालन विभाग पशुओं का इलाज कर रहा है.
निजी प्रैक्टिस परवान पर : दवा नहीं होने का बहाना बना कर सरकारी डॉक्टरों का निजी प्रैक्टिस का धंधा गुलजार हो रहा है. ऑन कॉल डॉक्टर पशुपालकों के घर पहुंचते हैं. सरकारी दवा ऑक्सी,एविल एवं बी कॉम्पलेक्स की सूई देकर पशुपालकों से तीन सौ से पांच सौ रुपये ऐंठ लेते हैं.
गरीब पशुपालक सरकारी पशु चिकित्सालयों में दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण मंहगा इलाज नहीं करा पा रहे हैं. न हीं ऑन कॉल डॉक्टर बुला पाते हैं. ऐसे में गरीबों के पशु ऊपर वाले की रहमो करम पर जिंदा हैं. पूरे जिले के पशुपालक दवा के लिए परेशान हैं, लेकिन पशुपालन विभाग अब तक उदासीन बना बैठा है.