पूजा पंडालों में नहीं है आपदा प्रबंधन
पूजा पंडालों में नहीं है आपदा प्रबंधन फोटो संख्या-1 कैप्सन-पूजा पंडाल का हाल. प्रतिनिधि, कटिहारजिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्गापूजा को लेकर लोगों का उत्साह बढ़ने लगा है. एक तरफ जहां प्रमुख बाजारों में खरीदारी को लेकर भीड़ उमड़ने लगी है. वहीं दूसरी तरफ पूजा पंडाल व दुर्गा मंदिरों को सजाने-संवारने का काम […]
पूजा पंडालों में नहीं है आपदा प्रबंधन फोटो संख्या-1 कैप्सन-पूजा पंडाल का हाल. प्रतिनिधि, कटिहारजिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्गापूजा को लेकर लोगों का उत्साह बढ़ने लगा है. एक तरफ जहां प्रमुख बाजारों में खरीदारी को लेकर भीड़ उमड़ने लगी है. वहीं दूसरी तरफ पूजा पंडाल व दुर्गा मंदिरों को सजाने-संवारने का काम अंतिम चरण में हैं. शिल्पकार मां दुर्गा व अन्य देवी-देवता की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. हालांकि विगत 13 अक्तूबर से मां दुर्गा की आराधना की जा रही है. वहीं नवरात्रा को लेकर भक्ति का माहौल बना हुआ है. रविवार को षष्ठी पूजा के साथ मध्यरात्रि के बाद मां दुर्गा के दर्शन के लिए पट भी खुल जायेगा. यद्यपि हर साल दशहरा में लोग पूरे अनुष्ठान के साथ नवरात्रा करते हैं व मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में तल्लीन रहते हैं. दशहरा में शहरी क्षेत्रों में होने वाले पूजा को लेकर खासा उत्साह रहता है. शहर में बड़े-बड़े पंडाल हर साल की भांति इस साल भी बनाया गया है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मां दुर्गा की प्रतिमा व पंडाल का दर्शन करने के लिए उमड़ पड़ते हैं, लेकिन इस तरह पूजा पंडाल व मंदिरों में आपदा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए, वैसी व्यवस्था नहीं रहती है. अगर कोई बड़ा हादसा इस दौरान हो जाय तो इसके बचाव के लिए मुकम्मल व्यवस्था नहीं दिखती है. -आपदा से निबटने की तैयारी कमशहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों की लागत से बनने वाले पूजा पंडाल में अपेक्षाकृत आपदा से निबटने की तैयारी कम रहती है. ऐसे पूजा पंडालों में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी किये गये गाइड लाइन का भी अनुपालन नहीं होता है. पिछले कुछ वर्षों से तो शहरी क्षेत्र के पूजा पंडालों में बिजली की अत्यधिक सजावट होती है. साथ ही पूजा अनुष्ठान में धूप, अगरबत्ती सहित कई ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग किया जाता है. ऐसे में एहतियात के तौर पर जो सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए, उस तरह की व्यवस्था पूजा पंडालों में नहीं हाती है. -आपदा प्रबंधन विभाग भी उदासीनपूजा पंडालों में किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए. आपदा प्रबंधन विभाग की क्या गाइड लाइन है. इसको लेकर जिला आपदा प्रबंधन विभाग कभी भी पूजा पंडाल के प्रतिनिधियों के साथ बैठक नहीं करती है. पूजा पंडाल के मालिकों को भी किन-किन बिंदुओं पर सुरक्षा को लेकर तैयारी करनी है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग पूजा पंडाल के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जागरूक करने की जरूरत है, लेकिन इस मामले में विभाग अब तक उदासीन रहा है. -बेबस लाचार फायर-ब्रिगेड जिला मुख्यालय स्थित अग्निशामक दस्ता स्वयं बदहाली पर आंसू बहाता है. संसाधनों की कमी से जूझता अग्निशामक विभाग जब तक घटनास्थल पर पहुंचती है, तब तक बहुत कुछ जल कर राख हो जाता है. अग्निशामक विभाग के द्वारा पूजा पंडाल व दुर्गा मंदिरों में संचालकों को अग्निकांड से बचाव को लेकर क्या दिशा-निर्देश दिये हैं, इसकी जानकारी तो नहीं लेकिन किसी पूजा पंडाल या दुर्गा मंदर में कोई घटना होती है तो इससे निबटने के लिए न तो पूजा पंडाल के पास मुकम्मल व्यवस्था है और न ही अग्निशामक विभाग ही पूरी तरह सक्षम है.-भीड़-भाड़ से बचे, स्वयं रहे सतर्कसुरक्षा के लुंज-पूंज व्यवस्था को देखते हुए पूजा पंडाल व मां दुर्गा के दर्शन करने वाले लोगों को न केवल भीड़-भाड़ से बचना चाहिए बल्कि स्वयं ही सतर्कता बरतनी चाहिए. भीड़-भाड़ रहने की वजह से कई तरह की अफवाहें भी फैलती है, इससे भी सतर्क रहने की जरूरत है. मेला व पूजा पंडाल के आसपास शरारती तत्व मौके की तलाश में रहते हैं. इससे भी सावधान रहने की जरूरत है. -कहते हैं अधिकारीजिला अग्निशामक पदाधिकारी अरविंद प्रसाद ने इस संबंध में बताया कि सभी पूजा पंडाल के संचालकों को 12 बिंदु पर सुरक्षा को लेकर मुस्तैद रहने का निर्देश दिया गया है. साथ ही जिला स्तरीय बैठक व शांति समिति की बैठक में भी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह एहतिहात बरतने का निर्देश दिया गया है.