मूर्ति बेचकर करते हैं परिवार का भरण पोषण
मूर्ति बेचकर करते हैं परिवार का भरण पोषण-वर्षों से मूर्ति बनाने के काम से जुड़े हैं कारिगरी फोटो नं. 4 कैप्सन-दुर्गा प्रतिमा को तैयार करते कारीगर.प्रतिनिधि, कटिहार विरासत में मिली कारीगरी के बल पर विगत 40 वर्ष से संतोष पाल विभिन्न प्रकार के मूर्त्तियों को बना कर बेचते हैं. संतोष मूर्ति दुकान राम कृष्ण मिशन […]
मूर्ति बेचकर करते हैं परिवार का भरण पोषण-वर्षों से मूर्ति बनाने के काम से जुड़े हैं कारिगरी फोटो नं. 4 कैप्सन-दुर्गा प्रतिमा को तैयार करते कारीगर.प्रतिनिधि, कटिहार विरासत में मिली कारीगरी के बल पर विगत 40 वर्ष से संतोष पाल विभिन्न प्रकार के मूर्त्तियों को बना कर बेचते हैं. संतोष मूर्ति दुकान राम कृष्ण मिशन रोड में स्थापित है. यहां मां दुर्गा, मां सरस्वती, बाबा विश्वकर्मा व भगवान कृष्ण आदि की मूर्ति का निर्माण किया जाता है, जिसे बाजार में बेचा जाता है. कारीगर संतोष पाल बताते हैं कि मूर्ति बना कर बेचना इनके जीविका का आधार है. यहां मां दुर्गा की सबसे कीमती मूर्ति 40 हजार व सबसे कम कीमत की मूर्ति 15 हजार की होती है. यहां से तैयार मूर्ति दूर-दूर तक के ग्राहक खरीदते हैं. वहीं ऑर्डर की मूर्ति भी बनायी जाती है. -अनाथालय रोड में मूर्ति शॉप पति-पत्नी मिल कर विभिन्न प्रकार की मूर्ति बना कर बाजार में बेच कर अपनी जीविका चलाते हैं. जबकि इसमें अपने परिवार के अन्य लोगों का सहयोग भी प्राप्त करते हैं. कारीगर समल दाम अपनी पत्नी सेफाली दाम के साथ मिल कर मां दुर्गा, मां सरस्वती, बाबा विश्वकर्मा व भगवान गणेश आदि की मूर्ति बनाते हैं. बाजार की आवश्यकता के अनुसार मूर्ति निर्माण कर बिक्री करते हैं. मूर्तिकार समल दाम कहते हैं कि इनके दुकान में मां दुर्गा की मूर्ति सबसे महंगी 11 हजार व सबसे कम कीमत की मूर्ति छह हजार की है. मुख्य रूप से ऑर्डर की मूर्ति बनाते हैं. वहीं अनाथालय रोड स्थित छोटी-छोटी मूर्ति बनाने वाले रमेश चंद्र पाल है, जो कहते हैं कि अस्वस्थ रहने के कारण अब बड़ी मूर्ति नहीं बनाते हैं बल्कि छोटी साइज की मूर्ति बना कर ही व्यवसाय करते हैं, जिससे उनका रोजी-रोटी चलता है.