मनिहारी में चुनावी मुकाबला दिलचस्प
मनिहारी में चुनावी मुकाबला दिलचस्प फोटो नं. 2 कैप्सन – गंगा नदी स्टीमर से पार करते लोग.प्रतिनिधि, कटिहारगंगा नदी के किनारे बसा मनिहारी विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तसवीर रोमांचक बनती जा रही है. चुनाव प्रचार समाप्त होने में अब मात्र तीन दिन बचे हैं. पांच नवंबर को अंतिम चरण के तहत इस विधानसभा क्षेत्र में […]
मनिहारी में चुनावी मुकाबला दिलचस्प फोटो नं. 2 कैप्सन – गंगा नदी स्टीमर से पार करते लोग.प्रतिनिधि, कटिहारगंगा नदी के किनारे बसा मनिहारी विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तसवीर रोमांचक बनती जा रही है. चुनाव प्रचार समाप्त होने में अब मात्र तीन दिन बचे हैं. पांच नवंबर को अंतिम चरण के तहत इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव होगा. वर्ष 2008 में परिसीमन के तहत इस सीट को अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया. बिहार के 243 विधानसभा सीटों में से दो सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. इसमें कटिहार जिले का एक सीट मनिहारी भी है. पहली बार 2010 का विधानसभा चुनाव सुरक्षित सीट के रूप में हुआ. 16 वीं विधानसभा चुनाव को लेकर यहां फिर परंपरागत प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने हैं. चुनावी शतरंज की बिसात बिछ गयी है. शह और मात का खेल भी जारी है. इस विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी अपने-अपने जीत को लेकर मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं. परिसीमन के बाद पहली बार सुरक्षित सीट के रूप में 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां से भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे मनोहर प्रसाद सिंह ने जदयू प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. तब जदयू को भाजपा का समर्थन प्राप्त था. उस चुनाव में एनसीपी के गीता किस्कू दूसरे स्थान पर थी. इस बार भी दोनों प्रत्याशी फिर आमने-सामने हैं. अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार जदयू व भाजपा अलग-अलग हैं. जदयू-राजद-कांग्रेस महागंठबंधन होने की वजह से यह सीट कांग्रेस के खाते में गयी है. निवर्तमान जदयू विधायक श्री सिंह इस बार जदयू के बजाय कांग्रेस के पंजा को लेकर चुनाव मैदान में हैं. जबकि एनसीपी ने गीता किस्कू को फिर से उम्मीदवार बनाया है. पिछले चुनाव में राजद-लोजपा की ओर से लोजपा प्रत्याशी चंपई किस्कू मैदान में थी. इस बार एनडीए का हिस्सा बन कर लोजपा ने यहां से चंपई किस्कू के बजाय नये चेहरे के रूप में अनिल कुमार उरांव को अपना प्रत्याशी बनाया है. हालांकि श्री किस्कू बागी उम्मीदवार के रूप में निर्दलीय चुनाव लड़ रही है. इनकी स्थिति भी काफी अच्छी बतायी जा रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने अच्छा खासा वोट प्राप्त किया था. इसके अलावा इस सीट से भाकपा के अनिरुद्ध प्रसाद सिंह, बसपा के अभिलाषिता उरांव, राष्ट्र सेवा दल के छोटे लाल चौड़े, बीएमपी के तल्लू हेंब्रम, शिवसेना के नगेंद्र चंद्र मंडल, एसडीपीआइ के प्रभुलाल उरांव, जेएमएम के फूलमणि हेंब्रम, जन अधिकार पार्टी के लीला मरांडी के अलावा निर्दलीय दिलीप कुमार मंडल, निरमा देवी, ब्रजलाल सोरेन, शंभू कुमार सुमन, शिव कुमार साह, सिकंदर मंडल चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. -जारी है शह और मात का खेल बाढ़-कटाव से हर साल जूझता यह विधानसभा क्षेत्र में कमोवेश सभी जाति और समुदाय के लोग रहते हैं. यद्यपि, गंगा नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र विकास के मामले में काफी पिछड़ा है. खासकर अमदाबाद प्रखंड विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है. सड़क, बिजली, पानी, आवास, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. तमाम झंझावतो के बीच चुनावी फिजा परवान चढ़ रहा है. बढ़ती चुनावी तपिश के बीच जदयू के निवर्तमान विधायक मनोहर प्रसाद सिंह इस बार कांग्रेस के टिकट पर अपनी सीट बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. जबकि श्री प्रसाद को एनसीपी के गीता किस्कू, लोजपा के अनिल उरांव व निर्दलीय चंपई किस्कू से टक्कर मिल रही है. इस सीट से जीत का सेहरा किसके सिर होगा, यह पांच नवंबर के मतदान के बाद आठ नवंबर को होने वाला मतगणना से साफ होगी. कुल मतदाता – 247205पुरुष मतदाता – 131629महिला मतदाता – 115566अन्य मतदाता – 10कुल मतदान केंद्र – 235कुल प्रत्याशी – 18अब तक हुए विधायक—————- वर्ष – विधायक —- ———–1957 – पार्वती देवी (कांग्रेस)1962 – युवराज (पीएसपी)1967 – युवराज (पीएसपी)1969 – युवराज (पीएसपी)1972 – युवराज (एसपी)1977 – राम सिपाही यादव (जनता पार्टी)1980 – राम सिपाही यादव (जनता पार्टी)1985 – मोबारक हुसैन (कांग्रेस)1990 – विश्वनाथ सिंह (जद)1995 – मोबारक हुसैन (कांग्रेस)2000 – विश्वनाथ सिंह (राजदा)2005 (फरवरी) – मोबारक हुसैन (कांग्रेस)2005 (नवंबर) – मोबारक हुसैन (कांग्रेस)2006 (उप चुनाव) – विश्वनाथ सिंह (जदयू)2010 – मनोहर प्रसाद सिंह (जदयू)