घाटों की सफाई खुद के भरोसे
कुरसेला : क्षेत्र में छठ महापर्व अनुष्ठान के लिए घाटों की सफाई आमजनों के भरोसे होता है. सरकारी स्तर पर सफाई व रोशनी आदि की व्यवस्थाएं नदारद रहती है. सूर्य उपासना के पर्व करने के लिए प्रखंड क्षेत्र के नदियों, जलाशयों के तटों की साफ-सफाई का कार्य व्रत धारियों के परिजन खुद करते हैं. अनेकों […]
कुरसेला : क्षेत्र में छठ महापर्व अनुष्ठान के लिए घाटों की सफाई आमजनों के भरोसे होता है. सरकारी स्तर पर सफाई व रोशनी आदि की व्यवस्थाएं नदारद रहती है. सूर्य उपासना के पर्व करने के लिए प्रखंड क्षेत्र के नदियों, जलाशयों के तटों की साफ-सफाई का कार्य व्रत धारियों के परिजन खुद करते हैं. अनेकों जलाशय व नदियों के तट ऐसे होते हैं,
जहां गंदगियों और जंगली घासों, जलकुंभी का फैलाव बना रहता है, जिसके सफाई कार्य में लोग कई दिन पूर्व से लग जाते हैं. नदियों, जलाशयों के कई तटों पर अनहोनी खतरे की स्थितियां बनी रहती है, जिसके लिए सरकारी स्तर पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्थाएं नहीं की जाती है.
खास कर गंगा नदी के तटों पर सूर्य अर्घ्य के बीच खतरे का अंदेशा बना रहता है.गंगा नदी किनारे खेरिया, तीनधरिया सहित कई ऐसे तट हैं, जहां बड़ी संख्या में व्रती छठ पर्व संपन्न करते हैं. जलकुम्भी से भरे जलाशयों में व्रत अनुष्ठान करने वाले को खतरे के साथ कई तरह की परेशानियां झेलने पड़ती है. अमूमन औसत जलाशय व नदियों के तट सुविधा युक्त और सुरक्षित नहीं है.