पानी से होकर होता है आवागमन कई दिनों से पुल की मांग कर रहे हैं स्थानीय लोगरोजाना नदी को पैदल पार करना लोगों की मजबूरी फोटो नं. 3 कैप्सन-इसी तरह पानी में चलकर आते जाते हैं लोग.प्रतिनिधि, कटिहारजिला मुख्यालय से महज चार से पांच किलोमीटर की दूरी पर बसे पेकहा गांव के लोगों को नदी के पानी में चल कर घर आना-जाना पड़ रहा है. आजादी के 65 वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन व सरकार का इस ओर ध्यान नहीं गया है. इसके कारण शहर के स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी नदी में चल कर आना-जाना पड़ रहा है. उसी प्रकार रोजी-रोटी कमाने वाले चाहे वह महिला या पुरुष हो देर सबेर नदी पार कर ही आना-जाना पड़ता है. हाट-बाजार आदि के कार्यों के चलते भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. पेकहा गांव में समुचित शिक्षा व्यवस्था नहीं रहने के कारण छात्र-छात्राओं को मध्य विद्यालय, उच्च विद्यालय एवं कॉलेज की शिक्षा पाने के लिए रोजाना शहर आना-जाना पड़ता है. बुद्धूचक घाट पैदल पार करती हरिशंकर नायक उच्च विद्यालय मिरचाईबाड़ी के दसवीं की छात्रा पूजा कुमारी अपनी साइकिल के साथ नदी के पानी में प्रवेश करते हुए बताया कि रोजाना इसी प्रकार नदी पार करना मजबूरी है. बावजूद इसके पढ़ाई की जिम्मेदारी पूरा करने के लिए यह परेशानी झेलना पड़ता है. जबकि मीना देवी एवं लक्ष्मी महतो उसी गांव का निवासी नदी पार करते हुए कहा कि इस परेशानी से कोई भी उबार नहीं पा रहा है. चाहे जिला प्रशासन हो या जनप्रतिनिधि किसी का ध्यान इस ओर नहीं है.
पानी से होकर होता है आवागमन
पानी से होकर होता है आवागमन कई दिनों से पुल की मांग कर रहे हैं स्थानीय लोगरोजाना नदी को पैदल पार करना लोगों की मजबूरी फोटो नं. 3 कैप्सन-इसी तरह पानी में चलकर आते जाते हैं लोग.प्रतिनिधि, कटिहारजिला मुख्यालय से महज चार से पांच किलोमीटर की दूरी पर बसे पेकहा गांव के लोगों को नदी […]
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