कलाई फसल में दाना कम लगने से हताशा

कुरसेला : कलाई फसल में दाना (फरी) कम आने से किसान हताश हैं. दाना कम आने से कृषकों को खेती से आर्थिक नुकसान होने की संभावना बढ़ गयी है. फसल के पौधे बेहतर होने के बाद भी अनुपात में दाने के छिमड़ी (फरी) कम आया है. जबकि पौधे का ग्रोथ बढ़ कर खेतों में फैल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2015 6:54 PM

कुरसेला : कलाई फसल में दाना (फरी) कम आने से किसान हताश हैं. दाना कम आने से कृषकों को खेती से आर्थिक नुकसान होने की संभावना बढ़ गयी है. फसल के पौधे बेहतर होने के बाद भी अनुपात में दाने के छिमड़ी (फरी) कम आया है. जबकि पौधे का ग्रोथ बढ़ कर खेतों में फैल चुका है.

गंगा कोसी के दियारा क्षेत्रों में कृषकों द्वारा सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र में कलाई (उड़द) की खेती की गयी है. किसानों के अपेक्षा अनुरूप फसल के पौधे अच्छे हैं. पौधा अच्छा होने के बाद भी इसमें दाना के लिए फूल और फल कम आया है, जिसे लेकर किसान खेती को लेकर निराश हैं.

माना जा रहा है कि फसल के लिए मौसम की अनुकूलता नहीं होने से फसल पैदावार पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. अन्य वजहों में जमीन की उर्वरा शक्ति फसल अनुरूप अधिक होना कारण माना जा रहा है. दियारा क्षेत्र के कृषकों के लिए कलाई फसल की खेती अहम है. इसके पैदावार के लाभ से कृषकों की आर्थिक स्थिति सशक्त होती है.

फसल में दाना नहीं आने की स्थिति दियारा इलाके के कई क्षेत्रों में बताया जाता है. हालांकि क्षेत्र के कई भू-भागों में कलाई फसल में (फरी) दाना अनुकूल आया है, जिन फसलों में दाना आने की प्रक्रिया कम हुआ है.

उसके पौधे बढ़ कर लहलहा रहे हैं. इस बाबत किसानों का कहना है कि जिन फसल में दाना कम हुआ है. उसे पशुचारा के रूप में बेच कर लागत खर्च के भरपाई का प्रयास किया जायेगा.

Next Article

Exit mobile version