आयरनयुक्त पानी पीकर अपंग हो रहे लोग

आयरनयुक्त पानी पीकर अपंग हो रहे लोग दूध की तरह पानी खरीद कर पीने लगे हैं लोग नगर निगम क्षेत्र में लाखों की आबादी को शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं, करोड़ों की लागत से बने दो-दो जल मीनार से नहीं टपका एक बूंद भी पानी फोटो संख्या-4 कैप्सन-लोगों को इस पानी टंकी का नहीं मिल रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2015 6:44 PM

आयरनयुक्त पानी पीकर अपंग हो रहे लोग दूध की तरह पानी खरीद कर पीने लगे हैं लोग नगर निगम क्षेत्र में लाखों की आबादी को शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं, करोड़ों की लागत से बने दो-दो जल मीनार से नहीं टपका एक बूंद भी पानी फोटो संख्या-4 कैप्सन-लोगों को इस पानी टंकी का नहीं मिल रहा लाभ. प्रतिनिधि, कटिहार शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका है. लोग आयरन युक्त पानी पीने को विवश हो रहे हैं. इससे लोग विभिन्न तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, जबकि करोड़ों की लागत से शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर पानी टंकी का निर्माण कार्य कराया गया है. इसके बावजूद शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है. कटिहार को नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा मिले करीब साढ़े चार साल गुजर गये, लेकिन इसके बावजूद शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका है. निगम का दर्जा मिलने के बाद शहर वासियों को उम्मीद जगी थी कि जल्द ही पेयजल सहित अन्य समस्याओं का समाधान होगा, परंतु किसी समस्या का समाधान तो नहीं हुआ लेकिन विभिन्न तरह के भारी-भरकम टैक्स जरूर चुकाने पड़ रहे हैं. सवाल उठता है कि निगम क्षेत्र के लोगों को आखिर शुद्ध पेयजल क्यों नहीं नसीब हो रहा है. इसके लिए जिम्मेवार कौन है. प्रभात खबर ने रविवार को पेयजल की समस्या का पड़ताल किया है और जानने का प्रयास किया है कि इससे लोगों को किस तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. आयरन युक्त पानी से निजात दिलाने के लिए फिल्टर युक्त चापाकल हो गया बेकारआयरनयुक्त पानी पीने से निजात दिलाने के लिए पांच वर्ष पूर्व प्रत्येक वार्ड में एक से अधिक फिल्टरयुक्त चापाकल लगाया गया था. मंशा यह थी कि लोगों को आयरन मुक्त पीने की पानी मिल सके. लेकिन यह फिल्टरयुक्त चापाकल भी लोगों के लिए ज्यादा दिनों तक कारगर साबित नहीं हुआ. कुछ चापाकल के यंत्र पर चोरों ने हाथ साफ कर लिए है तो कुछ से शुद्ध पानी निकलना बंद हो गया है. देख-रेख व सुरक्षा के अभाव में यह चापाकल भी बेकार हो गया. करोड़ों की लागत दो पानी टंकी का कराया गया है निर्माण शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शहर के दो अलग-अलग स्थानों पर करोड़ों की लागत से दो पानी टंकी का निर्माण कराया गया है. इस कार्य को पूरा करने का कार्य पीएचइडी को सौंपा गया है. वर्ष 2013 में ही शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना थी. वर्ष 2015 गुजरने को है. दोनों ही जलमीनार शहर में शोभा बढ़ाने का कार्य कर रहा है. एक जलमीनार मिरचाईबाड़ी व दूसरा पीएचईडी कार्यालय के निकट बनाया गया है. मिरचाईबाड़ी स्थित आईटीआई के निकट फिल्टर प्लांट लगाने का काम दो वर्ष पूर्व ही पूरा हो चुका है. इसी प्रकार गामी टोला में भी फिल्टर प्लांट लगाने का काम लगभग पूरा हो गया है, लेकिन अभी तक पानी की आपूर्ति शुरू नहीं की जा सकी है. 1.35 लाख गैलन पानी की होगी आपूर्ति मिरचाईबाड़ी व गामी टोला दोनों स्थानों पर बनाये गये जलमीनार से 1.35 लाख गेलन शुद्ध पानी शहर में आपूर्ति किये जाने का लक्ष्य रखा गया है. शुद्ध पेयजल मिलने में हो रही देरी पर लोग पूछ रहे हैं कि आखिर शुद्ध पेयजल कब नसीब होगा. इस दिशा में तेजी से काम क्यों नहीं हो रहा है. प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस मामले को बेहतर ढंग से क्यों नहीं उठा रहे हैं. शहर में जो पानी का इस्तेमाल लोग कर रहे हैं वह कही से भी पीने के योग्य नहीं है. यदि उस पानी से कपड़ा साफ किया जाता है तो कपड़ा खराब हो जाता है. वैसे पानी का इस्तेमाल लोग पीने के रूप में कर रहे हैं. पूर्व में होती थी पानी की सप्लाई शहर के कुछ हिस्सों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति 20 वर्ष पूर्व में होती थी, लेकिन पिछले लगभग 20 वर्षों से पानी देना बंद कर दिया है. यह पानी की आपूर्ति पानी टंकी चौक के रूप में मशहूर पानी टंकी से होता था. उस समय कटिहार को नगर परिषद का ही दर्जा प्राप्त था. अब नगर निगम का दर्जा प्राप्त होने से इसका और ज्यादा विकास होना चाहिए. लोगों को मूलभूत सुविधा प्रदान होना चाहिए था, लेकिन यहां तो शुद्ध पेयजल पर भी आफत है. पानी का रंग हो जाता है पीला शहर के लोग किस तरह का पानी पीने को विवश हो रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ देर तक बरतन में पानी रखने पर पानी पीला हो जाता है. यही नहीं कपड़ा साफ करने पर वह भी पीला हो जाता है. चापाकल के आसपास पीला टाइप का कजली पड़ जाता है. लोग वैसे पानी को पीने को विवश हो रहे हैं. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों के स्वास्थ्य पर किस तरह का असर पड़ रहा होगा. निगम प्रशासन को देना होगा ध्यान अगले वर्ष 2016 में नगर निगम के चुने गये वार्ड पार्षदों का समय सीमा समाप्त हो जायेगा. यानी नये सिरे से चुनाव होगा. ऐसे में शहर वासी अपने प्रतिनिधियों से सवाल जरूर करेंगे कि पांच वर्षों में आपने हमें क्या दिया. शुद्ध पेयजल की भी बात उठेगी. ऐसे में निगम प्रशासन, मेयर, उप मेयर, वार्ड पार्षदों को संयुक्त रूप से शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस पहल करना होगा. इसके साथ ही पीएचइडी विभाग को पर दबाव बनाना होगा. अन्यथा शहर के लोग विभिन्न तरह की बीमारियों की चपेट में आकर यों ही बीमार होते रहेंगे. शहर में पानी का बहुत बड़ा है व्यापारशहर वासियों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलने की वजह से लोग बंद बोतल या फिल्टर वाटर का बड़ा जार खरीदकर लोग अपनी प्यास बुझाने को विवश हो रहे हैं. यही वजह है कि शहर में कुकरमुत्ते की तरह फिल्टर वाटर का प्लांट खुल गया है. पानी के बड़े जार के माध्यम से घर, दुकान, ऑफिस सहित अन्य स्थानों पर पहुंचाने का काम हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक शहर में प्रतिदिन लाखों का कारोबार पानी का होता है. कहते हैं मेयरनगर निगम के मेयर विजय सिंह ने कहा कि शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में शीघ्र ही एक बैठक बुलायी जायेगी. इसमें पानी टंकी को चालू कराने की दिशा में रणनीति तैयार की जायेगी.

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