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दो दशकों के बाद भी नहीं मिल सकी जमीन

दो दशकों के बाद भी नहीं मिल सकी जमीनस्थापना काल से ही कोसी प्रोजेक्ट कुरसेला के निरीक्षण भवन में हो रहा है प्रखंड व अंचल कार्यालय का काम फोटो नं. 33 कैप्सन-प्रखंड व अंचल कार्यालय कुरसेला प्रतिनिधि, कुरसेलाप्रखंड, अंचल स्थापना के तकरीबन इक्कीस वर्षों के बाद भी इसे अपनी जमीन व भवन नसीब नहीं हो […]

दो दशकों के बाद भी नहीं मिल सकी जमीनस्थापना काल से ही कोसी प्रोजेक्ट कुरसेला के निरीक्षण भवन में हो रहा है प्रखंड व अंचल कार्यालय का काम फोटो नं. 33 कैप्सन-प्रखंड व अंचल कार्यालय कुरसेला प्रतिनिधि, कुरसेलाप्रखंड, अंचल स्थापना के तकरीबन इक्कीस वर्षों के बाद भी इसे अपनी जमीन व भवन नसीब नहीं हो सका है. वर्षों से प्रखंड अंचल के जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अधर में अटकी हुई है. इससे स्थायी तौर पर प्रखंड, अंचल भवन का निर्माण नहीं हो सका है. स्थापना काल से प्रखंड और अंचल कार्यालय का कार्य कोसी प्रोजेक्ट कुरसेला के निरीक्षण भवन में चल रहा है. भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाने की वजह से दोनों ही कार्यालयों और इससे जुड़े भवनों का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है. इस दिशा में राजनीतिक और प्रशासनिक स्तरों पर कई वर्षों से प्रयास किये जाते रहे हैं, पर परिणाम नहीं निकला है. ज्ञात हो कि संघर्षों के बाद कुरसेला को प्रखंड का दर्जा 8 अगस्त 1994 को प्राप्त हुआ था. लेकिन सरकार और प्रशासनिक तंत्रों के शिथिलता से स्थापना के दो दशकों के बाद भी दोनों ही कार्यालयों के लिए जमीन अधिग्रहण का काम ठंडे बस्ते में पड़ा है. कुरसेला बाजार और आसपास के क्षेत्र की जमीन लगातार महंगी होती जा रही है. इससे सरकार के तय दरों पर सरकारी कार्यालयों के लिए भूधारी जमीन अधिग्रहण के लिए तैयार नहीं होते हैं. इस वजह से भी भूमि अधिग्रहण में अढ़चने बन आती है. सरकार और प्रशासनिक स्तर पर इस दिशा में फौरी कार्रवाई नहीं होने के वजह से मामला खटाई में पड़ जाता है. भूमि अधिग्रहण पर किया गया था कार्यजानकारी अनुसार लगभग चार वर्ष पूर्व प्रखंड व अंचल कार्यालय निर्माण के लिए कुरसेला-बल्थी-महेशपुर के बीच एसएच-77 किनारे के एक बड़े भूखंड को उपयुक्त माना गया था. इस भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव तत्कालीन बीडीओ सह वरीय उपसमाहर्ता इंद्रवीर कुमार ने जिला प्रशासन के साथ सरकार को भेजा था. माना जा रहा था कि शीघ्र ही प्रस्तावित भूमि का अधिग्रहण कर प्रखंड व अंचल कार्यालय के लिए भवनों का निर्माण हो जायेगा. पर इस ओर सार्थक कार्य नहीं हो सका. बताया जाता है कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जिला प्रशासन से अनुमोदित होकर राज्य सरकार से अनुमोदन के लिए भेज दी गयी. पर वहां से मामला आगे नहीं बढ़ पाया. ऐसा कहा जाता है कि सरकार के कैबिनेट कमेटी से प्रस्तावित भूमि के अधिग्रहण को मंजूरी मिलनी थी. इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर प्रस्तावित भूमि की अधिग्रहण की प्रक्रिया होती, पर ऐसा नहीं हो पाया.आवास की समस्याकुरसेला के प्रखंड व अंचल अधिकारियों व कर्मियों के समक्ष सरकारी आवास का नहीं होना बड़ी समस्या है. सरकारी आवास के अभाव में अधिकारियों, कर्मियों के किराये पर मकान लेकर ठहरना पड़ता है. इस वजह से पचास किलोमीटर के दायरे के निवासी अधिकारी व कर्मी प्रतिदिन प्रखंड व अंचल आकर कार्य करते हैं. स्थानीय तौर पर प्रखंड, अंचल का भवन नहीं बनने से अधिकारियों, कर्मियों के सरकारी आवास का निर्माण नहीं हो सका है. कई विकल्प हैं सामनेभूधारी के निजी भूमि अधिग्रहण के अलावे प्रखंड अंचल निर्माण के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. बताया जाता है कि अयोध्यागंज बाजार के समीप मृत मौसमी नदी की गड्ढे वाली जमीन बिहार सरकार के अधीन है. इस पर मिट्टी भराई कर प्रखंड व अंचल कार्यालय का निर्माण किया जा सकता है. इसके अलावा भी बिहार सरकार के अधीन कुछ स्थानों पर जमीन है. जल संसाधन विभाग अंतर्गत पड़ने वाला कुरसेला स्थित कोसी प्रोजेक्ट कई एकड़ में फैला है. इसमें अधिकारियों, कर्मियों के आवास, कार्यालय व गोदाम बने हैं. यहां कोसी प्रोजेक्ट का कार्य मृतप्राय हो गया है. विभागीय अधिकारियों, कर्मियों के अधिकतर आवास खाली पड़े हैं. इस जमीन व भवन को कोशी योजना प्रोजेक्ट स्थानांतरित कर प्रखंड, अंचल को देकर उपयोग में ला सकता है. इसके अलावा भी यहां सरकार के दूसरे विभागों की जमीन परती पड़ी है. बहरहाल जो भी हो प्रखंड अंचल के लिए जमीन व भवन निर्माण के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर इच्छा शक्ति और सक्रियता का होना जरूरी है.

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