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राजनीतिक रूप से उथल-पुथल भरा रहा 2015

कटिहार : जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में 2015 राजनीतिक रूप से उथल-पुथल भरा रहा. 2015 की विदाई का समय आ गया है. ऐसे में हर तबके के लोग 2015 के नफा-नुकसान का अपने-अपने नजरिये से आकलन कर रहे हैं. 2015 की सियासी उथल-पुथल पर नजर डालने से यही प्रतीत होता है कि 2015 […]

कटिहार : जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में 2015 राजनीतिक रूप से उथल-पुथल भरा रहा. 2015 की विदाई का समय आ गया है. ऐसे में हर तबके के लोग 2015 के नफा-नुकसान का अपने-अपने नजरिये से आकलन कर रहे हैं. 2015 की सियासी उथल-पुथल पर नजर डालने से यही प्रतीत होता है कि 2015 कटिहार जिले के लिए सियासी रूप से काफी चर्चित रहा.
सियासी उतार-चढ़ाव के बीच शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ. दूसरी तरफ इसी वर्ष त्रिस्तरीय पंचायती राज के कोटे से विधान परिषद सदस्य के लिए भी चुनाव हुआ. यह चुनाव भी दो सियासी ध्रुवों के बीच होने की वजह से चर्चा में रहा.
कांग्रेस के लिए रहा फायदेमंद
2015 सियासी रूप से कांग्रेस के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ. जिले में कांग्रेस हाशिये पर चली गयी थी. लेकिन महागंठबंधन में शामिल कांग्रेस को कोटे के तहत जिले के सात विधानसभा सीटों में से चार पर दावेदारी का मौका मिला. और कांग्रेस चार सीट में से तीन सीट जीतने में सफल रही.
कांग्रेस ने कदवा व कोढ़ा सीट भाजपा से छीन कर अपने कब्जे कर लिया. जबकि मनिहारी विधानसभा सीट पर जदयू विधायक ने इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर विजय हासिल की. इस तरह कटिहार जिले में कांग्रेस सर्वाधिक तीन सीट जीतने में सफल रही है. जबकि एक-एक विधानसभा सीट राजद व भाकपा माले तथा दो सीट भाजपा की झोली में गयी.
एनसीपी को लगा झटका
2014 में भाजपा को शिकस्त देकर लोकसभा चुनाव में परचम लहराने वाली एनसीपी को 2015 में करारा झटका लगा. विस चुनाव में एनसीपी ने महागंठबंधन से अलग होकर कटिहार के सातों सीट पर प्रत्याशी उतारा.
इसके साथ ही एनसीपी ने सीट जीतने के उम्मीद में कई अयातित नेताओं को टिकट दिया, लेकिन एक भी सीट एनसीपी नहीं जीत पायी. विधानसभा चुनाव परिणाम की वजह से एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव व स्थानीय सांसद तारिक अनवर के नेतृत्व पर उनके ही दल के लोग सवाल उठाने लगे. सियासी जानकारों का मानना है कि इस परिणाम से उनके सियासी कैरियर पर प्रभाव पड़ा है. कुल मिला कर 2015 एनसीपी के लिए झटका देने वाला वर्ष साबित हुआ. इसके साथ ही भाजपा के लिए भी यह वर्ष नुकसानदायक रहा है. 2010 में जिले की पांच विस सीटों पर कब्जा करने वाली भाजपा किसी तरह दो सीट बरकरार रख सकी.
सियासी दिग्गज के आने से सुर्खियों में रहा कटिहार
इस साल 16वीं विधानसभा चुनाव होने की वजह से कटिहार सियासी रूप से सुर्खियों में रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद, लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान, केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, रामकृपाल यादव, जदयू प्रमुख, शरद यादव, फिल्म अभिनेत्री सह सांसद हेमामालिनी, अभिनेत्री नगमा, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, गुलाम नबी आजाद, लोकसभा के पूर्व स्पीकर मीरा कुमार सहित भाजपा, कांग्रेस, राजद, जदयू आदि सियासी दिग्गजों का आगमन जिले में हुआ. सभी ने अपने पक्ष में मतदाताओं को करने का प्रयास किया. खासकर विकास के मुद्दे से इतर महागंठबंधन व एनडीए नेताओं के जुबानी जंग लोगों के बीच चर्चा में रही.
मतदान में अव्वल रहा कटिहार
विधानसभा में सर्वाधिक मतदान की वजह से भी कटिहारजिला इस वर्ष सुर्खियों में रहा. बिहार में सर्वाधिक मतदान कराने का श्रेय कटिहार जिला का ही मिला. जिले के करीब 66 फीसदी लोगों ने विधानसभा चुनाव में मतदान किया. हालांकि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कटिहार जिला मतदान के मामले में बिहार में अव्वल रहा था.

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