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अल्पसंख्यक छात्रावास में छात्राएं नहीं, रहते हैं मवेशी

कटिहार : जिले के अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सवा दो करोड़ की राशि से राज्य सरकार ने नगर स्थित एमजेएम महिला कॉलेज से सटे एक अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण कराया है. जिसे गत वर्ष 2013 के अगस्त में महिला कॉलेज के नियंत्रण में सुपुर्द किया गया. लेकिन, इस छात्रावास में अल्पसंख्यक छात्राएं तो नहीं, […]

कटिहार : जिले के अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सवा दो करोड़ की राशि से राज्य सरकार ने नगर स्थित एमजेएम महिला कॉलेज से सटे एक अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण कराया है.

जिसे गत वर्ष 2013 के अगस्त में महिला कॉलेज के नियंत्रण में सुपुर्द किया गया. लेकिन, इस छात्रावास में अल्पसंख्यक छात्राएं तो नहीं, बल्कि मवेशी का पालन, अनाज सुखाने और चार पहिया वाहनों के रखने के काम में जरूर हो रहे हैं. इसकी तहकीकात करने जब प्रभात खबर की टीम महिला कॉलेज व अल्पसंख्यक छात्रावास पहुंची, तो पाया कि छात्रावास भवन टूट-फूट गया है. इस छात्रावास में छात्राओं की बजाय केयर टेकर सह गार्ड अमित कुमार सिंह द्वारा देख-रेख व उपयोग करने के लिए किसी महिला परिवार को दे रखा है. लगभग 33 लाख की आबादी वाले इस जिले में 15 से 16 लाख अल्पसंख्यक निवास करते हैं.

उस लहजे से जिले में अच्छी खासी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राएं स्कूल व कॉलेजों में पढ़ती हैं. लेकिन, ढाई तीन साल में एक भी अल्पसंख्यक छात्रा इस छात्रावास में ना तो रहती है और न ही इस दिशा में कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल अब-तक की गयी है.

कहते हैं महिला कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य. इस अल्पसंख्यक छात्रावास में छात्राओं के नहीं रहने के मामले में प्रभारी प्राचार्य प्रभात कुमार झा कहते हैं कि जबसे यह छात्रावास कॉलेज को सुपुर्द किया गया है. तब से आज तक अल्पसंख्यक समुदाय की किसी छात्रा ने छात्रावास के लिए आवेदन नहीं किया है. ऐसी स्थिति में कॉलेज द्वारा केवल देखभाल हो रहा है.

करोड़ों का भवन पड़ा है बेकार

जिले का एक मात्र महिला कॉलेज एमजेएम कॉलेज है. जिले में अल्पसंख्यकों की आबादी को देखते हुए महिला छात्रावास तो बनाया गया लेकिन उसमें एक भी छात्रा नहीं रह रही है. ऐसे में करोड़ों की लागत से बने छात्रावास की उपयोगिता पर ही प्रश्न चिन्ह उठ खड़ा हुआ है. सवाल उठता है कि जब छात्राएं यहां पढ़ने के लिए रहेंगी ही नहीं तो करोड़ों के भवन बनाने का क्या फायदा.

दरअसल एमजेएम महिला कॉलेज प्रशासन की ओर से भी अल्पसंख्यक छात्राओं को रहकर पढ़ाई करने की दिशा में कोई जागरूकता नहीं फैलायी गयी है. अल्पसंख्यकों को इसकी जानकारी ही नहीं है कि एमजेएम कॉलेज में अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए छात्रावास का भी निर्माण कराया गया है. यदि इसका प्रचार-प्रसार ठीक ढंग से किया जाता तो निश्चित रूप से दो वर्षों में बड़ी संख्या में छात्राओं को पढ़ने का मौका मिलता.

कहते हैं पदाधिकारी

मामले में अल्पसंख्यक जिला कल्याण पदाधिकारी अनीश अख्तर से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि एमजेएम महिला कॉलेज प्रबंधन को व्यवस्था एवं नामांकन संबंधी मामले के लिए अधिकृत किया गया. लेकिन महिला कॉलेज प्रबंधन इस मामले में उदासीन रवैया अपनाये हुए हैं.

आज प्रबंधन ने कोई केरिटेरिया निर्धारित नहीं किया है और न ही किसी प्रकार की प्रचार-प्रसार के लिए कोई संज्ञान लिया है. जिसके कारण यह स्थिति बरकरार है. जबकि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सामने अल्पसंख्यक छात्राओं की मांग बराबर आ रही है. महिला कॉलेज द्वारा सही व्यवस्था एवं घोषणा के अभाव में उन छात्राओं को छात्रावास भेजा नहीं जा पा रहा है.

अल्पसंख्यक छात्रावास की अव्यवस्था की जानकारी मिलते ही इसकी जांच करायी गयी है तथा विभाग द्वारा जिला पदाधिकारी के स्तर से कॉलेज प्रबंधन को पत्र भेजा जा रहा है. यदि इसके बाद भी किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया तो उक्त छात्रावास का प्रबंधन बदल कर किसी दूसरे कॉलेज को दिया जायेगा.

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