जलमीनार के बावजूद अशुद्ध जल पी रहे लोग

नगर में शुद्ध जलापूर्ति के लिए 4 करोड़ 88 लाख की लागत से बना है जलमीनार, लेिकन अब तक नहीं हुआ उद्घाटन कटिहार : शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं, लेकिन इसका कोई लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है. हालत यह है कि दो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2016 2:15 AM

नगर में शुद्ध जलापूर्ति के लिए 4 करोड़ 88 लाख की लागत से बना है जलमीनार, लेिकन अब तक नहीं हुआ उद्घाटन

कटिहार : शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं, लेकिन इसका कोई लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है. हालत यह है कि दो पानी टंकी में एक पानी टंकी का निर्माण कार्य एक वर्ष पूर्व ही पूरा हो चुका है. इसके बावजूद यहां से एक बूंद भी पानी नहीं टपका है, जबकि दूसरा पानी टंकी का निर्माण कार्य चल ही रहा है.
दरअसल नगर में शुद्ध जल आपूर्ति के लिए चार करोड़ अठासी लाख का मिरचाईबाड़ी जल मीनार महीनों से उद्घाटन एवं चालू होने के लिए बाट जोह रहा है. जबकि यहां विभाग द्वारा लगाये गये स्टाटर भी उद्घाटन से पूर्व ही जल गया है. महीनों पूर्व पीएचइडी कटिहार द्वारा इसके सुपुर्दगी संबंधी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए पत्राचार नगर निगम प्रशासन से किया है. किंतु अभी तक नगर निगम प्रशासन द्वारा कोई जवाब विभाग को प्राप्त नहीं कराया गया है. जबकि यह जलमीनार जल आपूर्ति के लिए पूरी तरह तैयार है.
मिरचाईबाड़ी जोन में पानी की आपूर्ति के लिए अंडरग्राउंड पाइप आदि भी बिछाया जा चुका है. देर सिर्फ स्टार्ट होने की है. करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी मिरचाईबाड़ी क्षेत्र के निवासी आयरन युक्त पानी पीने के लिए बाध्य है. इस मामले में जिला प्रशासन, नगर प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है. जोन-8 मिरचाईबाड़ी जल मीनार का हाल प्रभात खबर की टीम द्वारा जायजा लिये जाने पर पाया गया कि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस योजना का शिलान्यास किया गया था. इस योजना के अंतर्गत जल मीनार सहित पाइप लाइन बिछाने सहित करोड़ों की राशि से निर्माण किया गया. लेकिन वर्षों से निर्माण हो रहे जल मीनार के साथ जल शुद्ध करने के लिए लगे प्लांट क्षेत्र में आज बड़े-बड़े जंगल एवं घास आदि उग आये हैं. उस प्लांट क्षेत्र में बने चाहरदिवारी का प्लास्टर आदि भी झड़ने लगा है. मुख्य द्वार में ताला जरा है. ऐसा प्रतीत होता है कि जलमीनार खंडहर बन गया है.
कहते हैं अधिकारी
इस मामले में पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता ई प्रदुमन शर्मा कहते हैं कि विभाग द्वारा निर्माण कार्य पूरा करने उपरांत संचालन के लिए नगर निगम को सुपुर्द करना था. प्लांट एवं जलमीनार निर्माण सहित प्लांट आदि लगाये जाने के बाद महीनों पूर्व नगर निगम को हेंड ओवर करने के लिए पत्राचार किया गया है. लेकिन अभी तक निगम द्वारा कोई प्रत्योत्तर नहीं मिला है. इसके कारण सरकार द्वारा विभाग संचालन एवं नियंत्रण के लिए कोई निर्देश भी प्राप्त नहीं हुआ है. जिसके चलते यह स्थिति है.
कहते हैं मेयर
उपरोक्त मामले में निगम के मेयर विजय सिंह कहते हैं कि पीएचइडी विभाग से जलमीनार की सुपुर्दगी के मामले में कोई पत्र नहीं मिला है. जिसके कारण नगर निगम उक्त जलापूर्ति करने में असमर्थ है.

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