दो दिन मकर संक्रांति पर्व होने के बावजूद नहीं हो रही बक्रिी

दो दिन मकर संक्रांति पर्व होने के बावजूद नहीं हो रही बिक्री प्रतिनिधि, कटिहार, दो दिन मकर संक्रांति का पर्व होने के बावजूद भी दुकानदार के यहां बिक्री नहीं होने से ये लोग निराश हैं. दो दिन पर्व की बात करे तो खरमास होने के कारण कुछ लोग 14 तारीख की जगह पंद्रह तारीख को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 8:14 PM

दो दिन मकर संक्रांति पर्व होने के बावजूद नहीं हो रही बिक्री प्रतिनिधि, कटिहार, दो दिन मकर संक्रांति का पर्व होने के बावजूद भी दुकानदार के यहां बिक्री नहीं होने से ये लोग निराश हैं. दो दिन पर्व की बात करे तो खरमास होने के कारण कुछ लोग 14 तारीख की जगह पंद्रह तारीख को यह पर्व मना रहे हैं. जबकि कई लोग 14 जनवरी की मान्यता को लेकर इसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मना रहे हैं. दो दिन पर्व होने के बावजूद भी बिक्री परवान पर नहीं होने की बात दुकानदार कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बाजार में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री भी जोरों पर है. इनमें सबसे अधिक इस पर्व में मिलावटी चूड़ा की बिक्री हो रही है. आइये जानते हैं कि किस सामग्री की कीमत कितना है. कहते हैं दुकानदारदुकानदार महेंद्र बारिक, राकेश कुमार, अनिल महतो, सिंटू साह, उत्तम शर्मा इत्यादि ने बताया कि दो दिन पर्व होने के बावजूद भी बिक्री उस तरह की नहीं हो रही है. जिसकी अपेक्षा हमलोगों ने किया था. मकर संक्रांति के चीज की कीमततिलकुट – 200 रुपयागजक – 150 रुपयारेवड़ी – 70 रुपयातिल का लड्डू – 120 रुपया प्रति किलोतिल सादा – 80 रुपया प्रति किलोघेवर – 120 रुपया प्रति किलोचूड़ा साधारण – 20 रुपया प्रति किलोचूड़ा कतरनी – 60 रुपया प्रति किलोगुड़ – 35 रुपया प्रति किलोमिलावटी कतरनी चूड़ा की बिक्री जोरों परलोगों में यह सामान्य जानकारी है कि कतरनी धान की उपज भागलपुर जिले व उसके आसपास के क्षेत्रों में होती है. कतरनी धान से तैयार चूड़ा भागलपुर व उसके आसपास में सामान्य रूप से 70-80 रुपये तथा उच्च क्वालिटी के कतरनी चूड़ा 100 रुपये प्रति किलो तक भागलपुर में मिलता है. लेकिन जब कटिहार में यह कतरनी चूड़ा 60 रुपये प्रति किलो के दाम पर आसानी से प्राप्त हो तो सहज ही यह समझा जा सकता है कि ग्राहक असली कतरनी चूड़ा खरीद रहे हैं या मिलावटी. सामान्य रूप से इन क्षेत्रों में कतरनी चूड़ा के नाम पर दुकानदार लोकल चूड़ा में इलाइची पाउडर से लेकर अन्य सुगंधित पदार्थ चूड़ा में मिला कर उसे कतरनी चूड़ा बोल कर बेच देते हैं और ग्राहक को इस प्रकार से मौसमी त्योहार में आसानी से दुकानदार ग्राहकों का जेब काट रहे हैं.

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