14 करोड़ का सरकारी अनाज किया हजम, नहीं हुई कार्रवाई

अबतक पांचों मिलरों के मिल व आवास पर छापेमारी नहीं नामजद अभियुक्त की नहीं हो पायी है गिरफ्तारी कटिहार : जिले के गरीब, बीपीएल कार्ड धारक, मीड डे मील के बच्चों सहित अन्य योजनाओं में मिलने वाले चावल को मिलर ने अपने मिल में ही बेच कर करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिया. इस मामले में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2016 3:55 AM

अबतक पांचों मिलरों के मिल व आवास पर छापेमारी नहीं

नामजद अभियुक्त की नहीं हो पायी है गिरफ्तारी
कटिहार : जिले के गरीब, बीपीएल कार्ड धारक, मीड डे मील के बच्चों सहित अन्य योजनाओं में मिलने वाले चावल को मिलर ने अपने मिल में ही बेच कर करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिया. इस मामले में जिला प्रशासन मुकदर्शक बनी हुई है. कई बार उन मिलरों को नोटिस व अन्य प्रकार से सूचना भेजी गयी, लेकिन मिलर की ओर से कोई जवाब नहीं मिल पाने के कारण फुड कॉरपोरेशन के पदाधिकारी ने उक्त मिलर के विरुद्ध तकरीबन 14.75 करोड़ की राशि गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराया है.
लेकिन अब तक न तो उन मिलर से राशि ही बरामद जिला प्रशासन कर पायी है और न ही उनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई ही हुई है. हालांकि विभाग के अधिकारी ने उक्त मिलर के विरुद्ध प्राथमिकी तो दर्ज करायी है लेकिन पुलिस भी उन मिलरों के विरुद्ध कार्रवाई करने में गुरेज कर रही है. मामला जो भी हो लेकिन पूर्ण रूपेण यह कहा जा सकता है कि मिलर पूरे जिला पुलिस प्रशासन पर हावी हैं और उन मिलरों पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी का भी भय नहीं है.
सनद हो कि जिला प्रबंधक बिहार स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाईज कॉपरेशन के द्वारा जिले के राईस मिलर को आवंटित धान की बकाया राशि वसूलने के मामले में प्रशासन सुस्त नजर आ रही है. इस संदर्भ में बिहार स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाईज कॉपरेशन ने पांच मिलर के विरुद्ध जिले के विभिन्न थाना में तकरीबन 14.75 करोड़ की राशि गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. लेकिन उक्त राईस मिलर के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई एकदम लुंज-पूंज दिख रहा है.
अबतक उक्त मिलर के मिल व आवास पर छापेमारी कर नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी भी नहीं हो पायी है या फिर उनके संपत्ति नीलाम की प्रक्रिया व कुर्क जब्त को लेकर जिला पुलिस की ओर से न्यायिक दंडाधिकारी से आदेश प्राप्त करने की जहमत उठा रही है. इसका अभिप्राय: यह है कि जिला प्रशासन राज्य सरकार के बकाये राशि के गबन के मामले में सिर्फ खानापूर्ति में जुटी है.

Next Article

Exit mobile version