लापरवाही. शोभा की वस्तु बनी हाइमास्ट लाइट

रोशनी पर लाखों खर्च फिर भी शहर में अंधेरा शहर को रोशन करने के उद्देश्य से तत्कालीन सांसद निखिल कुमार चौधरी ने विभिन्न चौक-चौराहों पर सांसद निधि के तहत हाइमास्ट लाइट लगाया. लेकिन इसका फायदा शहरवासियों को नहीं मिला. हाइमास्ट लाइट शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. स्थानीय लोगों की मानें तो ढाई- तीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2016 6:23 AM

रोशनी पर लाखों खर्च फिर भी शहर में अंधेरा

शहर को रोशन करने के उद्देश्य से तत्कालीन सांसद निखिल कुमार चौधरी ने विभिन्न चौक-चौराहों पर सांसद निधि के तहत हाइमास्ट लाइट लगाया. लेकिन इसका फायदा शहरवासियों को नहीं मिला. हाइमास्ट लाइट शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. स्थानीय लोगों की मानें तो ढाई- तीन साल से हाइमास्ट लाइट जली भी नहीं है. जबकि इसे लगाने में लाखों की राशि खर्च की गयी है.

कटिहार : तत्कालीन सांसद श्री चौधरी ने शहर को रोशनी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कई सार्वजनिक स्थल व चौक-चौराहों पर हाइमास्ट टावर लगाया. लगाने के कुछ माह तक यह जला भी. उसके बाद बस दर्शनीय ही रह गया. गांव से जब लोग शहर आते हैं तो उस टावर को निहारते जरूर हैं. रात में भी लोग इस उम्मीद से यहां आते हैं कि इससे कभी शहर रोशन हुआ करता था.

आज यह हाइमास्ट टावर पूरी तरह से उद्देश्य से भटक गया है. नगर निगम प्रशासन व जनप्रतिनिधि के उदासीनता के वजह से वर्तमान में हाइमास्ट टावर सफेद हाथी साबित हो रहा है.

शीघ्र िनकलेगा टेंडर रोशनी की होगी व्यवस्था

शहर को रोशनी देने की उद्देश्य से हाइमास्ट टावर लगाया गया था. इसके रख-रखाव की जिम्मेवारी नगर निगम की है. नगर निगम की मेयर से उनकी बात हुई है. मेयर ने उन्हें आश्वस्त किया है कि शीघ्र ही उसका टेंडर निकालकर हाइमास्ट टावर के रख-रखाव व जलाने की व्यवस्था की जायेगी.

निखिल कुमार चौधरी, पूर्व सांसद

वर्तमान में जो हाइमास्ट टावर लगा है, वह सफल नहीं है. निगम प्रशासन हाइमास्ट टावर को एलइडी में परिवर्तित कर उसको जलायेगा. इसके लिए टेंडर की प्रकिया शीघ्र ही शुरू की जायेगी.

विजय सिंह, मेयर

केस स्टडी- एक

शहर के पानी टंकी चौक स्थित हाइमास्ट टावर पिछले तीन वर्षो से नहीं जला है. स्थानीय निवासी पंकज कुमार, प्रवीण साहा, रौशन दास, अरूण कुमार साह, सुमन गुप्ता ने बताया कि इस हाइमास्ट लाइट से चौक व उसके आसपास के लोगों को काफी उम्मीद थी. लेकिन उस उम्मीद पर पानी फिर गया अब तो यह शोभा की वस्तु बन गया है. यहां हाइमास्ट टावर रहने के बावजूद रात में अंधेरा छाया रहता है. इससे लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. जबकि दुकानदारों को भी इसी समस्या से दो चार होना पड़ रहा है.

केस स्टडी-दो

शहर का पुराना बाटा चौक पर लगा हाइमास्ट टावर भी सफेद हाथी बनकर रह गया. जबकि बाटा चौक से रेलवे स्टेशन व बस स्टेंड की ओर आने जाने का मुख्य मार्ग है. ऐसे में यहां हाइमास्ट लाइट लगना जरूरी था. लेकिन अब बिल्कुल बेकार साबित हो रहा है. शाबिर हुसैन, मुमताज, असीम भौमिक, महेंद्र मंडल, गुडडू दास ने बताया कि हाइ मास्ट टावर के रूप में सिर्फ राशि का दुरूपयोग हुआ है. स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. इतने महत्वपूर्ण चौक पर हाइमास्ट टावर नहीं जलने से रात में स्टेशन आने-जाने वाले लोगों, वहां के दुकानदारों, स्थानीय लोगों को घोर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

केस स्टडी – तीन

शहर के दुर्गा स्थान चौक, हरदयाल चौक, शिवमंदिर चौक, काली बाड़ी रोड, शहीद चौक, अड़गड़ा चौक, एफसीआई चौक, हवाई अड्डा चौक, गौशाला, मिड़चाई बाड़ी आदि स्थानों पर लगे हाइमास्ट लाइट कब जला स्थानीय लोगों को याद भी नही है. इन स्थानों के लोग नगर निगम प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को कोसने के सिवा कुछ नहीं कर पा रहे हैं.

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