सावधान‍! पूर्ण शराबबंदी के बाद प्रशासन रख रही खुफिया नजर

सावधान‍! पूर्ण शराबबंदी के बाद प्रशासन रख रही खुफिया नजर प्रतिनिधि, कटिहार. राज्य सरकार द्वारा पूर्ण शराबबंदी के फैसले का व्यापक असर दिखने लगा है. एक तरफ महिलाओं व शराब से दूर रहने वाले लोग राज्य के नीतीश सरकार के पूर्ण शराबबंदी के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए स्वागत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2016 6:57 PM

सावधान‍! पूर्ण शराबबंदी के बाद प्रशासन रख रही खुफिया नजर प्रतिनिधि, कटिहार. राज्य सरकार द्वारा पूर्ण शराबबंदी के फैसले का व्यापक असर दिखने लगा है. एक तरफ महिलाओं व शराब से दूर रहने वाले लोग राज्य के नीतीश सरकार के पूर्ण शराबबंदी के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए स्वागत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ शराब पीने वाले लोगों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गयी है. शराब के बगैर नहीं रहने वाले सक्षम लोग शराब की उपलब्धता के लिए अलग-अलग रणनीति बनाने में जुट गये हैं. वहीं राज्य सरकार ने पूर्ण शराबबंदी का फैसला ऐसे समय में लिया है, जब कटिहार जिला सहित बिहार में पंचायत चुनाव पूरे शबाब पर है. प्रथम चरण के लिए पंचायत चुनाव का मतदान 28 अप्रैल को होना है. खासकर ब्रांडेड शराब पीने के शौकीन लोग अब विकल्प की तलाश में है. पूर्ण शराबबंदी के तहत मिलिट्री कैंटीन को अलग रखा गया है, तो वहीं कटिहार का सीमावर्ती इलाका यानी झारखंड, पश्चिम बंगाल व नेपाल से शराब मंगाने की रणनीति पर ऐसे लोग विचार कर रहे हैं. हालांकि नये उत्पाद नीति के तहत पूर्ण शराबबंदी को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार शराब के उत्पादन, भंडारण, सार्वजनिक स्थानों पर उपभोग आदि को प्रतिबंधित किया गया है. पकड़े जाने पर सजा व जुर्माने का भी प्रावधान है. प्रत्याशी की बढ़ी परेशानीपहली अप्रैल से देसी व मसालेदार शराब की बिक्री, उत्पादन व भंडारण को प्रतिबंधित किया गया है. पंचायत चुनाव के दंगल में उतरे प्रत्याशी व उनके समर्थक यह मानकर चल रहे थे कि सरकार द्वारा खुलने वाली दुकान से विदेशी शराब लेकर पंचायत चुनाव में वोट को अपने पक्ष में करेंगे. पर, मंगलवार को पूर्ण शराबबंदी का फैसला लेकर राज्य सरकार ने ऐसे प्रत्याशियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है. यह सर्वविदित है कि पिछले कुछ चुनाव से प्रत्याशियों की जीत-हार पर शराब की अहम भूमिका होती रही है. इस बार शराब के जरिये वोट बटोरने वाले प्रत्याशी एवं उनके समर्थक परेशान हैं, जबकि अधिकांश सामान्य प्रत्याशी सरकार के पूर्ण शराबबंदी के फैसले का स्वागत करते हुए अब यह कहने से नहीं चूकते हैं कि चुनाव में अच्छे लोग जीतकर आयेंगे.सीमावर्ती इलाकों पर नजरपहली अप्रैल से शराबबंदी होने से खासकर गरीब मजदूर वर्ग के शराबियों को झटका लगा है. वहीं मंगलवार को पूर्ण शराबबंदी होने से ब्रांडेड शराब पीने वाले आर्थिक सम्पन्न लोगों को झटका लगा है. ऐसे लोग अब शराब की उपलब्धता के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं. दरअसल जिले के सीमावर्ती इलाका झारखंड के साहेबगंज, पश्चिम बंगाल के मालदा, उत्तरी दिनाजपुर, सिलीगुडी तथा नेपाल में शराब उपलब्ध है. कटिहार के सक्षम व ब्रांडेड शराब पीने के शौकीन लोग इन जगहों से चोरी छुपे शराब मंगाने की तैयारी में लगे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने सीमावर्ती क्षेत्र के दोनों राज्यों के प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारियों के साथ बिहार में शराबबंदी को लेकर सीमा क्षेत्र से शराब की आवाजाही पर रोक लगाने में सहयोग करने की अपील की है.प्रशासन रख रही है खुफिया नजरपूर्ण शराबबंदी के बाद उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने पत्र के माध्यम से सभी डीएम, एसपी व उत्पाद अधीक्षक सहित विभिन्न विभागीय पदाधिकारियों को पूर्ण शराबबंदी को प्रभावी बनाने का निर्देश दिया है. सरकार के निर्देश के बाद जिला प्रशासन के अधिकारी व पुलिस विभिन्न स्तरों से शराबबंदी को कारगर बनाने में जुटे हैं. शराब की आवाजाही सहित अवैध बिक्री व पंचायत चुनाव में शराब के उपयोग तथा सक्षम लोगों द्वारा शराब की आपूर्ति पर खुफिया नजर रख रही है.

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