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जांच करने की जहमत नहीं उठायी

पंचायत चुनाव . स्टांप वेंडरों ने लाखों रुपये कोर्ट फी का लगाया चूना फ्रेंकिंग मशी पर कम दिखी भीड़ कोर्ट फी स्टांप जारी करने के लिए बिहार सरकार के निबंधन विभाग ने राज्य के सभी जिले मुख्यालयों में व्यवहार न्यायालय में फ्रेंकिंग मशीन से कोर्ट फी जारी करने की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य यह […]

पंचायत चुनाव . स्टांप वेंडरों ने लाखों रुपये कोर्ट फी का लगाया चूना

फ्रेंकिंग मशी पर कम दिखी भीड़

कोर्ट फी स्टांप जारी करने के लिए बिहार सरकार के निबंधन विभाग ने राज्य के सभी जिले मुख्यालयों में व्यवहार न्यायालय में फ्रेंकिंग मशीन से कोर्ट फी जारी करने की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य यह था कि आम लोगों को कोर्ट फी स्टांप से वेंडरों से मुक्त करना. चूंकि उन दिनों राज्य में फर्जी नन जूडिशियल स्टांप की कालाबाजारी बड़े पैमाने पर की जा रही थी. सरकार यह नहीं समझ कि बदलते टेक्नोलॉजी में फ्रेंकिंग मशीन से जारी होने वाले कोर्ट फी स्टांप भी इस क्षेत्र के जुड़े लोगों द्वारा स्कैनिंग कर सरकार को बड़ी राशि का बंटाधार करेंगे.

मामला प्रकाश में आया तो होगी कार्रवाई

लिखित रूप से इसकी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. यदि ऐसा मामला प्रकाश में आता है, तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जायेगी.

कटिहार : जिले में पंचायत चुनाव के दौरान लगने वाले विभिन्न शपथ पत्रों पर जिले से लेकर विभिन्न जिलों से आये फर्जी कोर्ट फी पर जिला प्रशासन का किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं दिखा. फलस्वरूप रुपये रुपये का फर्जी स्कैनिंग कोर्ट फी का वारा न्यारा शपथ पत्रों के माध्यम से कर दिया गया. इसको लेकर न तो स्टांप वेंडरों को किसी भी तरह का भय दिखा और न ही जिला प्रशासन के किसी पदाधिकारी ने लगातार खबरों में आने के बावजूद इस पर जांच कराने की आवश्यकता समझी.
क्या है फर्जी कोर्ट फी : जिले में व्यवहार न्यायालय स्थित फ्रेकिंग मशीन से जारी होने वाले कोर्ट फी जो एक रुपये से लेकर लाख रुपये तक एक बार में जारी करता है. पंचायत चुनाव के दौरान शपथ पत्रों पर लगने वाला कोर्ट फी सौ रुपये निर्धारित है. इस कोर्ट फी का हु ब हू नकल कर स्थानीय वेंडरों एवं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों एवं दलालों ने जम कर प्रशासन की निष्क्रियता का लाभ उठाया. कोर्ट फी का स्कैनिंग कर उसे शपथ पत्रों पर लगा दिया जाता है, जो महज पचास पैसे से एक रुपये तक में तैयार हो जाता है. ऐसे कोर्ट फी का दलालों ने ब्लैंक एफीडेविट के माध्यम से पंचायत चुनाव में प्रखंड कार्यालय से लेकर गांवों तक उम्मीदवारों को पहुंचाने का काम किया.
प्रखंड कार्यालयों के समीप चलता रहा खेल : पंचायत चुनाव में अलग-अलग तिथियों को लेकर विभिन्न प्रखंड कार्यालयों में दलालों ने ब्लैंक एफीडेविट पहुंचाने के काम को बखूबी अंजाम दिया. इस एफीडेविट पर लगने वाले कोर्ट फी की बारीकियों की जानकार से उम्मीदवार दूर रहे, लेकिन दलाल फर्जी कोर्ट फी ब्लैंक एफीडेविट के एक सेट को उम्मीदवारों से 12 सौ रुपये से लेकर 15 सौ रुपये तक में सौदा तय करते देखे गये. प्रखंड कार्यालय के पास हो रहे इस धंधे में स्थानीय गांव स्तर के छुटभैये नेताओं की भी भूमिका अच्छी रही.
हाल ही में मामला हुआ था दर्ज : फर्जी स्कैनिंग कोर्ट फी को लेकर प्रभात खबर ने ही प्रथम बार खबर का प्रकाशन किया था, लेकिन जिला प्रशासन ने इस पर किसी भी तरह की जांच पड़ताल या इससे जुड़े लोगों के बीच कार्रवाई करना उचित समझा. लेकिन ऐसे फजी स्कैनिंग कोर्ट फी के मामले में सहरसा जिले के व्यवहार न्यायालय के एक अधिवक्ता स्टांप वेंडर तथा कुछ दलालों को इसमें संलिप्त होने के कारण जेल की हवा खानी पड़ी थी.

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