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व्यवहार न्यायालय के निर्माण को नये स्थल का प्रस्ताव

दूर-दराज से आने वाले फरियादियों को होगी परेशानी कटिहार : बारसोई अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय तथा न्यायिक पदाधिकारियों के आवास के लिए भवन निर्माण का प्रस्ताव नये स्तर पर अंचल कार्यालय द्वारा तैयार किया गया है. नये प्रस्ताव के तैयार होने के बाद बारसोई में फिलहाल अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय के निर्माण संबंधी पूर्व के कई कयासों […]

दूर-दराज से आने वाले फरियादियों को होगी परेशानी

कटिहार : बारसोई अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय तथा न्यायिक पदाधिकारियों के आवास के लिए भवन निर्माण का प्रस्ताव नये स्तर पर अंचल कार्यालय द्वारा तैयार किया गया है. नये प्रस्ताव के तैयार होने के बाद बारसोई में फिलहाल अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय के निर्माण संबंधी पूर्व के कई कयासों पर फिलहाल विराम लग गया है. सूत्रों के अनुसार बारसोई अंचल स्थित मनोहरि ग्राम के समीप निजी भूमि को लीज पर लेकर न्यायालय सह आवासीय परिसर के निर्माण के लिए अंचल कार्यालय द्वारा प्रस्ताव तैयार कर उसे मूर्त रूप देने की तैयारी चल रही है.
पर, नये प्रस्तावित भूमि पर अभी से ही कई तरह की आशंकायें एवं प्रतिक्रियाऐं व्यक्त की जाने लगी हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बारसोई अंचल में सरकारी बड़े-बड़े भूखंड उपलब्ध रहने के बावजूद मुख्यालय तथा रेलवे स्टेशन से काफी दूर निजी जमीन को लीज पर लेकर न्यायालय के भवन के लिए प्रस्ताव पर कहीं न कहीं निजी स्वार्थ एवं स्थानीय भूमि माफियाओं के शामिल होने की संभावना सभी स्तरों पर शामिल हो.
आवागमन की नहीं है सुविधा
पटना हाइकोर्ट ने जून, 2015 में बारसोई अनुमंडल में व्यवहार न्यायालय के शुरुआत की घोषणा की थी. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी ने कहा था कि बारसोई अनुमंडल के लोगों को अब 40 किलोमीटर दूर न्याय के लिए नहीं जाना पड़ेगा. पर, अनुमंडल के कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनकी जनता को कटिहार आना आज भी आसान लगता है, लेकिन बारसोई अनुमंडल में न्यायालय आना उन्हें काफी दूर लगता है.
इसी तरह यदि नये प्रस्ताव मुख्यालय से आवागमन की सुविधा को देखते हुये वर्तमान प्रखंड मुख्यालय से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर मनोहरि गांव में राजन साह के भूमि को लीज पर लेने की बात जानकारी प्राप्त हुई. लोगों को मानना है कि बारसोई स्टेशन से यह क्षेत्र लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर है. जहां सीधे आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बारसोई अनुमंडल एवं उसके आस पास के क्षेत्रों के निवासियों के लिए ट्रेन जीवन रेखा का कार्य करती है.
अंचल में ही कई भूखंड उपलब्ध
जानकारी के अनुसार रेलवे स्टेशन के समीप रघुनाथपुर मौजा में काफी बड़ा सरकारी भूखंड है. जो कि मृत प्राय नदी एवं उसके आसपास से खाली जमीन सरकार के खाते में दर्ज है. इस भूखंड के लिए पूर्व में भी अंचल कार्यालय के स्तर से भौतिक रूप से प्रस्ताव लिया गया था. लेकिन यह प्रस्ताव फाइलों में ही दब जाने की खबर है. यह जमीन पर यदि न्यायालय का निर्माण सरकारी स्तर पर प्रयास कर किया जाता, तो बारसोई में अनुमंडल न्यायालय के बनने का लाभ वहां के लोगों एवं आस पास के क्षेत्रों के लोगों को सीधा-सीधा मिल पाता.
भूमि के चयन में होगी परीक्षा
सामान्य प्रशासन से लेकर न्यायालय प्रशासन तक भूमि के चयन एवं उसके सभी सुविधाओं को देखकर ही अंतिम रूप से निर्णय लिए जाने की संभावना है. चूंकि न्यायालय के निर्माण एवं उसमें न्यायिक पदाधिकारियों के आवासीय परिसर के निर्माण, सुरक्षा के दृष्टिकोण, दूर दराज से आने वाले लोगों की सुविधा, आवागमन की सुविधा आदि कई ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जिसे स्थल के चयन में मुख्य रूप से ध्यान में रखकर विचार किया जाना आवश्यक होगा.

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