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मिल खुलने की बाट जोह रहे मजदूर

आरबीएचएम. 2011 में पहली बार पर दो साल के लिए ठेके पर चालू कराया गया था जनवरी 15 में राहुल इंटरप्राइजेज के द्वारा मजदूरों के बकाया पीएफ, ईएसआई, बोनस इत्यादि की मांग करने पर मिल बंद कर दिया गया था, जो अब तक बंद है.इस मिल के बंद हो जाने से हजारों मजदूरों के परिवार […]

आरबीएचएम. 2011 में पहली बार पर दो साल के लिए ठेके पर चालू कराया गया था

जनवरी 15 में राहुल इंटरप्राइजेज के द्वारा मजदूरों के बकाया पीएफ, ईएसआई, बोनस इत्यादि की मांग करने पर मिल बंद कर दिया गया था, जो अब तक बंद है.इस मिल के बंद हो जाने से हजारों मजदूरों के परिवार कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.
कटिहार : एनजेएमसी की इकाई आरबीएचएम जूट मिल (नया जूट मिल) पिछले 08 जनवरी 15 से बंद है. छह माह गुजरने को हैं, लेकिन अब तक मिल के नहीं खुलने से मजदूर मायूस होने लगे हैं. मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. मिल खुलने की आस भी धीरे-धीरे टूटती जा रही है. जनवरी 15 में राहुल इंटरप्राइजेज के द्वारा मजदूरों के बकाया पीएफ, ईएसआई, बोनस इत्यादि की मांग करने पर मिल बंद कर दिया गया था, जो अब तक बंद है.
हालांकि बीच-बीच में खबर आती रहती है कि मिल खुल रहा है. तय सीमा बीत जाने पर मजदूर फिर से मायूस हो जाते हैं. इस मिल के बंद हो जाने से हजारों मजदूरों के परिवार कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. मिल बंद होने के बाद स्थानीय नेताओं द्वारा मिल गेट पर प्रदर्शन किया गया था. साथ ही मिल खुलवाने की दिशा में डीएम को भी मांग पत्र सौंपा गया था, लेकिन मिल खुल नहीं सका. इस मिल में काम करने वाले मजदूर प्रत्येक दिन मिल का चक्कर काटकर घर लौट आते हैं. इनको तसल्ली देने वाला भी कोई नहीं है.
ठेकेदारी प्रथा से मिल का हुआ बुरा हाल
आरबीएचएम जूट मिल जब भारत सरकार के द्वारा संचालित था तब मजदूरों को सभी सरकारी सुविधा मुहैया हुआ करता था. रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी मिलता था. लेकिन जब से मिल प्रबंधन पर ठेकेदारी प्रथा हावी हुई है तब से न सिर्फ कार्य पर असर पड़ा है बल्कि मजदूरों का भी शोषण किया जा रहा है. वर्ष 2011 में पहली बार दो साल के लिये ठेके पर मिल को चालू कराया गया था. उस वक्त मिल प्रबंधन द्वारा मजदूरों से पीएफ का पैसा जमा तो लिया जाता था लेकिन पीएफ जमा राशि की रसीद उपलब्ध नहीं करायी जाती थी. काफी हो-हल्ला करने पर मजदूरों को रसीद दी गयी. दो साल खत्म होने के बाद फिर दो साल के लिये निविदा निकाली गयी. जिसमें दो साल के लिये राहुल इण्टरप्राईजेज को कार्य करने के लिये दिया गया. ठेकेदार द्वारा मजदूरों से कार्य तो करा लिया गया लेकिन मजदूरों का पीएफ, बोनस, मजदूरी, ईएसआई इत्यादि का भुगतान नहीं किया गया और मिल बंद कर ठेकेदार रफ्फू चक्कर हो गया. जिस वजह से अब तक मिल में कार्य की शुरूआत नहीं हो सकी है.

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