नालों में भर जाता है कचरा

सूरत-ए-हाल . शहर में कचरे के निस्तारण की नहीं समुचित व्यवस्था शहरी क्षेत्र के लोग प्लास्टिक की थैलियों में घरों का कचरा भर कर सड़कों पर फेंक जाते हैं. नगर निगम कचरे का उठाव नहीं किये जाने से यह सड़कों पर फैलने के साथ ही नालों में जमा हो जाता है. इसके कारण नाले का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2016 6:15 AM

सूरत-ए-हाल . शहर में कचरे के निस्तारण की नहीं समुचित व्यवस्था

शहरी क्षेत्र के लोग प्लास्टिक की थैलियों में घरों का कचरा भर कर सड़कों पर फेंक जाते हैं. नगर निगम कचरे का उठाव नहीं किये जाने से यह सड़कों पर फैलने के साथ ही नालों में जमा हो जाता है. इसके कारण नाले का पानी सड़कों पर ओवरफ्लो होता रहता है और सभी को इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है.
कटिहार : मतौर पर नगर निगम क्षेत्र के हर हिस्से में प्लास्टिक कचरे का ढेर आसानी से देखने को मिल जायेगा. प्लास्टिक कचरा न सिर्फ प्रदूषण फैलाता है, बल्कि नाला जाम होने का सबसे बड़ा कारण भी है. खासकर बरसाती दिनों में तो प्लास्टिक कचरे के जमाव के चलते उफनती नालियों से गंदा पानी सड़कों पर भर जाता है और आमजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. जिले में सॉलिड वेस्ट के निबटान की समुचित व्यवस्था नहीं है. इस वजह से यह समस्या अब वृहद रूप से ले रही है.
हर-गली मोहल्ले में फैला है कचरा
अमूमन हर गली मोहल्ले में प्लास्टिक कचरे का नजारा देखने को मिल जाता है.
शहर के बुद्धिजीवियों का कहना है कि जिले में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की दरकार है, ताकि कचरे का निबटान हो सके. रामपाड़ा के मो इलियास खान, मो परवेज आलम, प्रो विद्यानंद झा, राकेश अग्रवाल, मोहित वर्मा समेत अन्य कहते हैं कि नगर निगम को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट स्थापित करना चाहिये. शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़े शहरों की तर्ज पर प्लास्टिक कचरा जमा कर उसे रिसाइकिल करने की व्यवस्था करनी चाहिये, ताकि समस्या से लोगों को छुटकारा मिल सके. उन्होंने कहा कि प्लांट लगने से साफ-सफाई के साथ साथ रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.
फुटपाथी दुकानदार भी फैलाते हैं कचरा
प्लास्टिक कचरा फैलाने में आमजनों का ही विशेष रोल होता है. शहरी क्षेत्र के लोग प्लास्टिक की थैलियों में घरों का कचरा भरकर सड़कों पर फेंक जाते हैं और नगर निगम द्वारा इन कचरों का उठाव नहीं किये जाने से सड़कों पर बेतरतीब ढंग से यह फैल जाता है. कभी कभार तो इन प्लास्टिक की थैलियों में घर का बासी खाना भी होता है, जो कि आवारा पशुओं का निवाला बनता है. इन निवाले के साथ प्लास्टिक की छोटी-छोटी थैलियां भी गाय और अन्य आवारा पशुओं के पेट में चला जाता है. इससे ये पशु न सिर्फ बीमार पड़ते हैं,
बल्कि मर भी जाते हैं और बीमारी फैलने का खतरा तक मंडराने लगता है. रही सही कसर शहर का व्यापारी तबका पूरा कर देता है. फुटपाथी दुकानदार अपनी दुकानों का कचरा सड़कों पर फेंक जाते हैं. इससे शहर में कचरे का अंबार लग जाता है. शहर के रेलवे ओवरब्रिज के निचले हिस्से, सब्जी मंडी, शहीद चौक, एमजी मार्ग समेत अन्य स्थानों पर प्लास्टिक कचरे का अंबार लगा रहता है, लेकिन सफाई नहीं होने के कारण आमतौर पर लोग इन गलियों से होकर गुजरना तक पसंद नहीं करते.
लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत
नगर निगम क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे की सफाई होती है. खासकर रिहायशी इलाके में तो कंटेनर भी रखे गये हैं, ताकि लोग इन कंटेनर का इस्तेमाल करें. पर, आमतौर पर लोग प्लास्टिक कचरे को सड़कों पर ही फेंक जाते हैं. लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है, ताकि सफाई अभियान में उनका सहयोग मिल सके.
अजय ठाकुर, नगर आयुक्त

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