मॉनसून. झमाझम बारिश से किसान खुश, पर
रविवार को हुई झमाझम बारिश से जहां किसानों के चेहरे पर रौनक आ गयी है, वहीं उमस भरी गरमी से भी राहत मिली है. पर, इसके साथ ही बारिश से शहरवासियों की परेशानी बढ़ गयी है. नालों की सफाई नहीं होने से नाले का पानी बारिश के पानी के साथ सड़कों पर ओवरफ्लो हो रहा है और लोगों इसी पानी के बीच से आवागमन को मजबूर हैं व नगर निगम को कोस रहे हैं
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कटिहार : अबकी बार मॉनसून किसानों के लिए खुशियां बरसा रहा है. रविवार को हुई झमाझम बारिश ने किसानों के चेहरे पर एक बार फिर रौनक ला दी है. पिछले कुछ दिनों से सूख रहे खेतों में पानी भर जाने से किसान गदगद हैं. उन्हें अब पटवन की चिंता नहीं सता रही है. हालांकि मॉनसून को कुछ दिनों तक मेहरबान रहने की जरूरत है, ताकि खेतों में लगायी गयी नयी फसलें लहलहा जायें. मौसम विज्ञानियों ने भी अच्छे मॉनसून के संकेत दिये हैं.
लिहाजा, अबकी बार किसानों की बल्ले-बल्ले है और अच्छी पैदावार के कयास लगाये जा रहे हैं. कृषि पदाधिकारियों की मानें, तो यह बारिश खेतों में तैयार बिचड़ा उखाड़ने और रोपनी के लिए बेहद उपयोगी साबित हुई. किसानों को खरीफ की रोपनी के लिए पटवन की दरकार नहीं पड़ेगी. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से नहीं हो रही बारिश से किसान बेहद चिंतित थे और इस बात की चिंता सता रही थी कि खेतों में तैयार बिचड़ा उखाड़ने के लिए भी उन्हें जेबें ढीली करनी पड़ेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इंद्रदेव मेहरबान हुए और झमाझम बारिश के साथ किसानों के चेहरे भी खिल उठे. कृषि विभाग से मिली जानकारी अनुसार, 29.5 एमएम बारिश हुई, जो कि खेती के लिहाज से बेहद उपयोगी है. वहीं दूसरी ओर इस बारिश से शहरी क्षेत्र का बुरा हाल है. बारिश के बाद सड़कों पर नालों का पानी बहता नजर आया. लोग जुगाड़ तंत्र का सहारा लेकर ही पैदल चलते नजर आये.
शहरी क्षेत्र का हाल बेहाल
एक ओर जहां झमाझम बारिश से ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का चेहरा खिला हुआ है, वहीं शहरी क्षेत्र के लोगों का चेहरा इस बात को लेकर उतरा है कि अब वो गली मोहल्ले की सड़कों पर पैदल कैसे चलेंगे. लबालब भरी नालियां बरसाती पानी से उफनती नजर आयीं. गंदा पानी सड़कों पर बहने लगा और नगर निगम की सफाई व्यवस्था को सरेआम करने लगा.
शहर के कई हिस्सों में गंदगी से अटी नालियां लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन चुकी हैं. इस दिशा में नगर निगम द्वारा समुचित कदम नहीं उठाये जाने से आमजनों में नाराजगी है. लोगों का कहना है कि बरसात पूर्व ही नालों की सफाई होती, तो आज लोगों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती.