कटिहार : ले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के लिए मुफ्त संचालित एंबुलेंस सेवा 102 की स्थिति काफी खराब है. जिले में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा 25 एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है. इसमें से 07 एंबुलेंस वर्षों से खराब होकर गैरेज में पड़ी हुई हैं. वहीं एक एंबुलेंस दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से गैरेज में पड़ी है.
एंबुलेंस संचालन को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति की मार्गदर्शिका का भी अनुपालन नहीं किया जा रहा है. सूत्रों की मानें, तो स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता की वजह से पात्र मरीजों को एंबुलेंस का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि जून में राज्य स्वास्थ्य समिति ने जिला स्तर पर जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक के नेतृत्व में एंबुलेंस कोषांग गठित किया है.
माना जा रहा है कि इस कोषांग के गठन के बाद जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा एंबुलेंस संचालन को लेकर प्रतिदिन रिपोर्टिंग की जा रही है. ऐसे में एंबुलेंस संचालन में सुधार की गुंजाइश नजर आ रही है. यद्यपि अब तक की स्थिति को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि कटिहार जिले के सरकारी अस्पतालों में चलने वाले एंबुलेंस भगवान भरोसे हैं. सूत्रों की माने तो एंबुलेंस संचालन में भी कई तरह की अनियमितता है.
पांच के बदले मात्र दो-दो ट्रिप ही चलती हैं एंबुलेंस : जून की विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 25 में से 17 एंबुलेंस कार्यरत हैं. राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा एंबुलेंस संचालन संबंधित मार्गदर्शिका के अनुसार, एक एंबुलेंस को प्रतिदिन पांच ट्रिप लगाना है. पर, इस रिपोर्ट के अनुसार जिले में औसतन एक एंबुलेंस दो-दो ट्रिप ही लगाती हैं. पीएचसी कोढ़ा व पीएचसी कदवा में संचालित एंबुलेंस ही राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा निर्धारित किये गये ट्रिप का अनुपालन की हैं. इन दोनों पीएचसी में क्रमश: 5.6 व 5.3 ट्रिप प्रतिदिन लगाया गया है. शेष अन्य पीएचसी, अनुमंडलीय अस्पताल बारसोई व सदर अस्पताल की स्थिति बदतर है. सदर
अस्पताल 3.2 ट्रिप व बारेसाई अनुमंडल अस्पताल 2.8 ट्रिप ही प्रतिदिन लगा सकी है. जून में मनसाही में एक भी दिन एंबुलेंस नहीं चली, जबकि बलरामपुर पीएचसी में पूरे महीने में 0.2 ट्रिप ही लगा. कमोबेश दूसरे अन्य पीएचसी की स्थिति भी यही रही है.
कहते हैं सीएस : सिविल सर्जन डॉ श्याम चंद्र झा ने कहा कि खराब एंबुलेंस को जल्दी ठीक करा लिया जायेगा. इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. एंबुलेंस सेवा को दुरुस्त करने के लिए सभी सरकारी अस्पताल के प्रभारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं.
कहते हैं नोडल पदाधिकारी : एंबुलेंस संचालन के नोडल पदाधिकारी सह डीपीएम निलेश कुमार ने बताया कि पिछले महीने राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर एंबुलेंस कोषांग का गठन किया गया है. जल्दी ही एंबुलेंस संचालन व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी. हर दिन के ट्रिप को बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.
वर्षों से गैरेज में पड़ी हैं एंबुलेंस
जून की विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोढ़ा के पास दो एंबुलेंस की व्यवस्था है. इसमें एक एंबुलेंस जून 2014 से ही खराब होकर गैरेज में पड़ी हुई है. यही स्थिति प्राणपुर की है. यहां का भी एक एंबुलेंस जुलाई, 2014 से खराब पड़ी है. बरारी की भी एक एंबुलेंस फरवरी से खराब पड़ी है. पीएचसी समेली का भी एक एंबुलेंस सितंबर, 2014 से, जबकि मनिहारी का एक एंबुलेंस मई से खराब है. मनसाही पीएचसी के पास एक एंबुलेंस ही है. वह भी खराब स्थिति में है. अमदाबाद की एक एंबुलेंस जुलाई, 2014 से ही खराब पड़ी है. हालांकि खराब हुई एंबुलेंस कहां हैं, इस बात का जिक्र रिपोर्ट में नहीं है. दूसरी तरफ आजमनगर का एक एंबुलेंस मई, 2015 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसके बारे में रिपोर्ट में जिक्र है कि यह एंबुलेंस गैरेज में है.
पात्र मरीजों को नहीं मिलता एंबुलेंस का लाभ
सरकार द्वारा 102 एंबुलेंस सेवा गर्भवती माता, नवजात शिशु, वरिष्ठ नागरिक, बीपीएल मरीज आदि के लिए मुफ्त उपलब्ध कराया गया है. जून की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न पीएचसी, अनुमंडल अस्पताल व सदर अस्पताल में संचालित 17 एंबुलेंस ने 545 गर्भवती माताओं को सेवा दी है, जबकि इसी महीने में 3121 गर्भवती माताओं का सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव कराया गया. वहीं इसी रिपोर्ट के आधार पर 439 नवजात शिशु को सेवा दी गयी. जून महीने में मात्र पांच वरिष्ठ नागरिकों को सेवा दी गयी है. अन्य मरीजों में 142 ऐसे हैं, जिन्हें एंबुलेंस ने सेवा दी है. यानी कुल 1131 मरीजों को एंबुलेंस ने सेवा दी गयी है, जबकि एंबुलेंस संचालन में सरकार का हर महीने लाखों रुपये खर्च हो रहा है.