आइसीयू की स्थिति बदतर
जिले की तीस लाख की आबादी, रेल मंडल के अलावे तीन-तीन नेशनल हाइवे के किनारे बसे इस जिले की स्वास्थ्य सुविधा की तसवीर ही कुछ ऐसी है कि यहां आने वाला हर शख्स यहां की व्यवस्था को कोसे बगैर नहीं रह पाता. कटिहार : जिले के बेलवा पंचायत से इलाज कराने सदर अस्पताल आये मरीज […]
जिले की तीस लाख की आबादी, रेल मंडल के अलावे तीन-तीन नेशनल हाइवे के किनारे बसे इस जिले की स्वास्थ्य सुविधा की तसवीर ही कुछ ऐसी है कि यहां आने वाला हर शख्स यहां की व्यवस्था को कोसे बगैर नहीं रह पाता.
कटिहार : जिले के बेलवा पंचायत से इलाज कराने सदर अस्पताल आये मरीज सुनील कुमार के परिजनों की व्यथा है कि उन्हें यहां समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है. सुनील डायरिया से पीड़ित है और लगातार उलटी और शौच की वजह से उसकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी.
उसे तत्काल इमरजेंसी स्वास्थ्य सुविधा की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल में मौजूद एकमात्र डॉ मनोज कुमार पोस्टमार्टम करने गये हुए थे. डॉक्टर के अलावा अस्पताल में न तो कोई स्टाफ मौजूद था और न ही कोई केयरटेकर. ऐसे में सुनील परिजन हाल बेहाल थे और रोते बिलखते इधर उधर भटक रहे थे. हालांकि बाद में डॉ मनोज कुमार की तत्परता से मरीज का इलाज किया गया और सुनील के परिजनों ने चैन की सांस ली.
ऐसे हालात अक्सर सदर अस्पताल में देखने को मिलते हैं. यदि डॉक्टर हैं, तो स्टाफ नहीं और स्टाफ हैं तो डॉक्टर नहीं. बहरहाल, जिले की तीस लाख की आबादी, रेल मंडल के अलावा तीन-तीन नेशनल हाइवे के किनारे बसे इस जिले की स्वास्थ्य सुविधा की तस्वीर ही कुछ ऐसी है कि यहां आने वाला हर शख्स यहां की व्यवस्था को कोसे बगैर नहीं रह पाता है.
रविवार को नहीं मिल पाती हैं सुविधाएं
आमतौर पर प्रतिदिन सदर अस्पताल में मरीजों का तांता लगा रहता है, लेकिन रविवार के दिन मरीजों को अस्पताल परिसर में कुछ भी सुविधा नहीं मिल पाती है. मरीजों का हाल बेहाल रहता है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इन तमाम बातों से कोई इत्तेफाक नहीं रखता. तभी तो अमूमन हरेक काउंटर पर ताला जड़ा दिखता है और मरीजों के चेहरे पर मायूसी. पड़ताल करने के बाद बात सामने आयी कि रविवार के दिन छुट्टी होने के कारण अधिकांश स्टाफ और डॉक्टर नहीं आ पाते.
विशेषज्ञ डॉक्टर के अभाव में वेंटिलेटर बेकार
लाखों की लागत से सदर अस्पताल परिसर में बने आइसीयू की स्थिति बदतर हो चुकी है. रखरखाव के अभाव में महंगे उपकरणों में जंग लगने लगे हैं. उपेक्षा का आलम यह है कि अब तक लोगों को आइसीयू का लाभ नहीं मिल सका है जबकि आइसीयू निर्माण के बाद लोगों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की उम्मीद जगी थी कि अब स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी.
सदर अस्पताल में पर्याप्त सुविधा रहने के बावजूद विशेषज्ञ चिकित्सक की व्यवस्था नहीं रहने के कारण मरीजों को बैरंग लौटना पड़ता है. इस वजह से कई मरीजों की जान इलाज के लिए अन्यत्र ले जाने के क्रम में हो जाती है. हालांकि अस्पताल के पदाधिकारी का कहना है कि आईसीयू के उपकरणों को दुरुस्त किया गया है, लेकिन वेंटिलेटर की सुविधा विशेषज्ञ चिकित्सक के नहीं रहने के कारण मरीजों को नहीं मिल पा रही है.
कहते हैं सिविल सर्जन : इस संदर्भ में सीएस डॉ एससी झा कहते हैं कि रविवार के दिन छुट्टी रहती है, लेकिन इमरजेंसी पेसेंट के लिए हर सुविधा उपलब्ध होती है, जो कि अन्य दिनों भी मिलती है.