अाक्रोश . चिटफंड कंपनियों के विरोध में सड़क पर उतरे लोग, कहा
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जमा रुपये वापस दिलाये सरकार
अाक्रोश . चिटफंड कंपनियों के विरोध में सड़क पर उतरे लोग, कहा कहा, निवेशकों का पैसा दिलाने को लेकर राज्य सरकार बनी है उदासीन चिटफंड कंपनी द्वारा करोड़ों रुपये गबन कर भाग जाने तथा राशि वापस दिलाने की मांग को लेकर बिहार उपभोक्ता मंच के संरक्षक समरेंद्र कुणाल के नेतृत्व में शनिवार को हजारों लोगों […]
कहा, निवेशकों का पैसा दिलाने को लेकर राज्य सरकार बनी है उदासीन
चिटफंड कंपनी द्वारा करोड़ों रुपये गबन कर भाग जाने तथा राशि वापस दिलाने की मांग को लेकर बिहार उपभोक्ता मंच के संरक्षक समरेंद्र कुणाल के नेतृत्व में शनिवार को हजारों लोगों ने रैली निकाली व डीएम को मांगपत्र सौंपा.
कटिहार : शहर के राजेंद्र स्टेडियम से रैली पूरे शहर का भ्रमण करते हुए समाहरणालय पहुंची. वहां पर रैली सभा में तब्दील हो गयी. श्री कुणाल ने कहा कि कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया सहित पूरे राज्य से करीब 25 लाख निवेशकों का दर्जनों चिटफंड कंपनियों यथा प्रयाग ग्रुप कंपनी, शारदा, पर्ल्स, रोजवेली, प्रतिज्ञा, एक्टिव, विश्वामित्र, आइकोर सिलिकॉन, वसुंधरा आदि ने रियल स्टेट, मछली पालन, मुर्गी पालन उद्योग,
फिल्म सिटी, होटल व्यवसाय, अस्पताल आदि के नाम पर निवेश करा कर ठगी की है. उपरोक्त कंपनियों ने लोगों को कम समय में अमीर बनाने का ख्वाब दिखाकर ठगी की है. इस कार्य में साजिश के तहत राज्य के हजारों गरीब शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार का प्रलोभन देकर एजेंट के रूप में शामिल किया गया. वर्ष 2006-2013 तक उपरोक्त कंपनियां लोगों को निर्बाध रूप से लूटती रहीं. बाद में सरकार द्वारा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर प्रतिबंध तो लगाया गया, पर निवेशकों का पैसा वापस दिलाने के लिए किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस ठगी प्रकरण से पीड़ित दर्जनों लोग राज्य के अंदर आत्महत्या कर चुके हैं और आगे भी ऐसी घटनाएं होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि चिटफंड कंपनियाें द्वारा राज्य के गरीब एवं मध्यवर्गीय लोगों का पैसा ठग कर अकूत संपत्ति बनायी गयी है. जिसे कालाधन के रूप में देखा जा सकता है.
जांच के लिए गठित हो एसआइटी
मंच के संरक्षक समरेंद्र कुणाल के नेतृत्व में लोगों ने डीएम ललन जी को मांगपत्र सौंप कर कारवाई की मांग की. मांगों में मुख्यत: चिटफंड के कंपनियों की संपत्ति को कालाधन घोषित कर गरीब निवेशकों का पैसा वापस दिलाने, चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जांच के लिए राज्य सरकार से एसआइटी गठित करने, सेबी की गलत नीतियों व नियमावली पर रोक लगाने आदि शामिल हैं. डीएम की ओर से प्रतिनियुक्त डीएसओ ने मांग पत्र को प्राप्त कर आवश्यक कारवाई करने का भरोसा दिलाया.
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