बाढ़ में रहे भूखा, फिर भी घर सूखा
धांधली . बाढ़ राहत सूची बनाने में किया गया खेल, हैं कई गड़बड़ियां बाढ़ का पानी एक घर में घुसा, जबकि बगल वाले घर को छोड़ दिया. ऐसा कैसे संभव है, क्या बाढ़ का पानी कुछ घरों को फांद कर कुछ घरों में घुस गया और बाकी को छोड़ िदया. जिले में बाढ़ राहत सूची […]
धांधली . बाढ़ राहत सूची बनाने में किया गया खेल, हैं कई गड़बड़ियां
बाढ़ का पानी एक घर में घुसा, जबकि बगल वाले घर को छोड़ दिया. ऐसा कैसे संभव है, क्या बाढ़ का पानी कुछ घरों को फांद कर कुछ घरों में घुस गया और बाकी को छोड़ िदया. जिले में बाढ़ राहत सूची में दर्ज नाम को देख कर तो एेसा ही लगता है.
कटिहार : जिले में बाढ़ आने के बाद प्रशासन द्वारा प्रभावित प्रखंडों में बाढ़ सहायता राशि दिये जाने को लेकर जो सूची तैयार की गयी है, उसमें कई तरह की खामियां साफ दिख रही हैं. प्रशासन द्वारा बनायी गयी सूची पर गौर करें, तो ऐसा प्रतीत होता है कि बाढ़ का पानी उछल-उछल कर लोगों के घरों में प्रवेश किया है. तात्पर्य यह है कि बनाये गये बाढ़ राहत सूची में जिन गांवों को बाढ़ से प्रभावित दिखाया गया है. उस गांव के कुछ लोगों का नाम सूची में दर्ज है.
प्रभावित गांव के लोगों की सूची में नाम दो घर, चार घर छोड़ कर जोड़ा गया है. इससे साफ जाहिर होता है कि बाढ़ का पानी एक घर में प्रवेश किया है, जबकि उससे सटे घर को छोड़कर दूसरे घर में पानी प्रवेश किया है. कई प्रखंडों के बाढ़ राहत सूची को देखने से ऐसा लगता है कि चारा घोटाला के क्रम में जिस तरह पशुओं को मोटरसाइकिल व स्कूटर से ले जाया गया था, उसी तरह कटिहार जिले में बाढ़ का पानी लोगों के घरों में उछल-उछल कर गया है. उल्लेखनीय है कि जिले में महानंदा व गंगा नदी के उफान की वजह से दो चरणों में बाढ़ आयी. इससे लाखों की आबादी प्रभावित हुई. महानंदा नदी के बाढ़ से जिले के सात प्रखंड प्रभावित हुए,
जबकि गंगा नदी के उफान से आधा दर्जन प्रखंड प्रभावित हुए. महानंदा नदी के बाढ़ से जो प्रखंड प्रभावित हुए हैं, वहां सर्वेक्षण के बाद बाढ़ राहत सूची तैयार कर आरटीजीएस के माध्यम से प्रत्येक लाभुक 6000 रुपये भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. वहीं गंगा नदी के बाढ़ के बाद प्रभावित प्रखंडों में लाभुकों के सर्वे का काम चल रहा है. इस बीच महानंदा नदी के बाढ़ से प्रभावित प्रखंडों में मुफ्त सहायता (जीआर) के लिए बनायी गयी सूची में व्यापक अनियमितता सामने आ रही है.
बाढ़ राहत सूची में ऐसे-ऐसे लोगों का नाम है, जिनके घरों में बाढ़ का पानी घुसा ही नहीं. डंडखोरा, प्राणपुर, कदवा आदि प्रखंडों में बाढ़ राहत सूची में व्यापक अनियमितता सामने आयी है. डंडखोरा में बाढ़ राहत सूची में अनियमितता की बात सामने आने पर डीएम ने सदर एसडीओ को जांच का आदेश दिया था.
सात प्रखंडों के 107 पंचायतों के 660 गांव प्रभािवत
महानंदा नदी के बाढ़ से जिन सात प्रखंडों के लोग प्रभावित हुए थे. उसके लिए विभाग से राशि भी आवंटित हुई है. जिला आपदा प्रबंधन प्रशाखा के अनुसार, महानंदा से आयी बाढ़ को लेकर बाढ़ सहायता राशि के मद में कुल 76, 34, 58, 000 रुपये प्राप्त हुए हैं. इसमें से 74,60,22,000 रुपये प्रभावित सातों अंचलों को आवंटित कर दिये गये हैं. आपदा प्रबंधन प्रशाखा के अनुसार, बलरामपुर प्रखंड के 13 पंचायतों के अंतर्गत 89 गांवों के 18056 परिवार बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
वहीं बारसोई प्रखंड के 22 पंचायतों के 156 गांवों के 24670 परिवार, डंडखोरा प्रंखड के पांच पंचायतों के 36 गांवों में 4099, आजमनगर में 12 पंचायतों के 49 गांवों में 15267, कदवा के 29 पंचायतों के 212 गांवों के 48480, प्राणपुर के 12 पंचायतों के 85 गांवों के 7014 तथा अमदाबाद के 14 पंचायतों के 35 गांवों के 6872 परिवारों को बाढ़ प्रभावित की श्रेणी में रखा गया है. यानी कुल सात प्रखंड के 107 पंचायतों के 660 गांवों के तहत 124458 परिवार बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
जांच के नाम पर हो रही है खानापूर्ति
जिले में प्राणपुर, कदवा, डंडखोरा सहित कई प्रखंडों में बाढ़ राहत सूची तैयार करने में अनियमितता की शिकायत आला अधिकारी तक पहुंचती रही है. कई मामलों में डीएम द्वारा जांच के आदेश भी दिये गये हैं. कदवा प्रखंड के कुरसेल पंचायत में बाढ़पीड़ितों के नाम पर अपनों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा है. इसी तरह का आरोप प्राणपुर प्रखंड में भी बाढ़ राहत सूची को लेकर लगा है.
डीएम ने दिया था जांच का अादेश
डंडखोरा प्रखंड में अनियमितता का मामला सामने आने पर डीएम ने जांच करने का आदेश एसडीओ सुभाष नारायण को दिया था. शिकायतकर्ताओं का दावा है कि सीओ डंडखोरा द्वारा भी जांच के नाम पर खानापूर्ति की गयी. एक-एक परिवार के कई सदस्यों का नाम सूची में शामिल किया गया है. कदवा प्रखंड अंतर्गत कुरसेल में राहत सूची को लेकर डीएम सहित सीएम व आला अधिकारी को आवेदन देकर लालमुनि देवी, पूरणी देवी, कामेश्वर राय सहित बड़ी संख्या में लोगों ने जांच की मांग की है.
एसडीओ आये ही नहीं, तो जांच कैसे हुई
डंडखोरा प्रखंड के द्वाशय पंचायत के उप मुखिया मनोज कुमार मंडल, महेशपुर के सिकंदर मंडल आदि ने कहा कि एसडीओ कटिहार जांच के लिए आये ही नहीं थे. वे लोग इंतजार कर रहे थे कि एसडीओ डंडखोरा प्रखंड में आकर बाढ़ राहत सूची की जांच करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्हें जानकारी मिली है कि सूची में सुधार करने के नाम पर एक-एक परिवार के दो-दो तीन-तीन सदस्यों का नाम जोड़ दिया गया है.