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बिहार : हाल मंडल कारा कटिहार का, जहां बगैर पैसा दिये कैदी से नहीं मिल सकते हैं आप

कटिहार : बिहार के मंडल कारा कटिहार में अगर आप अपनों (कैदी) से मिलने जा रहे हैं तो अपने पास पर्याप्त राशि लेकर ही जायें. अन्यथा आपको अपने कैदी से मिलने की इजाजत नहीं मिल पायेगी. आपको मंडल कारा से बिना कैदी से मिले लौटना पड़ेगा. इतना ही नहीं मंडल कारा में अपने कैदी को […]

कटिहार : बिहार के मंडल कारा कटिहार में अगर आप अपनों (कैदी) से मिलने जा रहे हैं तो अपने पास पर्याप्त राशि लेकर ही जायें. अन्यथा आपको अपने कैदी से मिलने की इजाजत नहीं मिल पायेगी. आपको मंडल कारा से बिना कैदी से मिले लौटना पड़ेगा. इतना ही नहीं मंडल कारा में अपने कैदी को खाना देने में भी आपको जेल गेट पर ही राशि देनी पड़ेगी. अन्यथा आपका खाना भी आपके कैदी तक नहीं पहुंच सकेगा.

मंडल कारा से लौट रहे एक कैदी के परिजनों ने बताया कि बिना राशि का न तो कैदी से ही मिलने दिया जाता है और न ही खाना ही देने दिया जाता है. यहां तक कि मंडल कारा में मुख्य गेट के पास ही मोबाइल को अपने सहयोगी को देने पड़ते हैं. अगर आपके साथ कोई नहीं है तो उस मोबाइल रखने की भी राशि सुरक्षा बलों को देनी पड़ती है.

मंडल कारा में विचा राधीन कैदी सजा काटते हैं या फिर किसी भी अापराधिक घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस उक्त आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. जहां से उसे मंडल कारा में भेज दिया जाता है. मंडल कारा की सुरक्षा की बात की जाये तो अगर आप बाहर से देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि परिंदा भी पर नहीं मार पाये. लेकिन ज्योंही कारा के करीब जायेंगे त्योंही इसकी धीरे धीरे कलई खुलने लगती है.

कई बार कारा में मिला है मोबाइल
मंडल कारा में यू तो कैदी को सुधारने के लिए भेजा जाता है. लेकिन कारा कि कुव्यवस्था ऐसी की कैदी सुधरने के बदले बिगड़ते चले जाते है. इतना ही नहीं बीते दिन पूर्व मंडल कारा से एक कैदी ने यह फोन कह दिया कि उसकी जान खतरे में है. जब इस कॉल में कितनी सच्चाई है इस बात को लेकर प्रभात खबर ने काराधीक्षक को फोन पर संपर्क किया गया तो बात में काफी सत्यता दिखी.

जेल सुपरीटेंडेट ने कहा कि दो गुटों में झड़प हुई थी. उसे सुलझा लिया गया है. प्रभात खबर में छपे खबर का असर रहा कि कटिहार एसडीपीओ लाल बाबू यादव व एसडीओ सुभाष प्रसाद ने मंडल कारा में छापेमारी की तो दो मोबाइल व कई सीम भी कारा से बरामद की गयी. जिस बाबत सहायक थाना में प्राथमिकी दर्ज भी कराया गया. अब सवाल यह उठता है कि मंडल कारा में किस प्रकार मोबाइल व सीम पहुंचता है.

आखिर कारा के अंदर कैसे पहुंचता है मादक पदार्थ
पुलिस जब गिरफ्तार आरोपी को मंडल कारा लेकर पहुंचती है तो उसके हाथों में हथकड़ी रहती है. रस्सा पुलिसकर्मी के हाथ में रहता है. आरोपी के पास एक झोला रहता है. जिसमें कुछ खाने पीने के समान व कुछ कैदी के कपड़े रहते है. कटिहार कोढ़ा मुख्य मार्ग अवस्थित मंडल कारा का प्रथम गेट सड़क से महज कुछ फीट की दूरी पर है. विशाल गेट उसके दूसरी ओर मंडल कारा का सुरक्षाकर्मी तैनात रहता है.

जब कैदी को मंडल कारा लेकर जाया जाता है तो उसके समानों व उसकी तलाशी इस गेट पर की जाती है. कुछ दूरी पर जाने पर फिर एक गेट है. जहां सुरक्षाकर्मी तैनात रहते है. वहां पुन: कैदी की चेकिंग होती है. उसके बाद मुख्य गेट आता है. उक्त गेट को बाहर से किसी प्रकार की क्षति भी नहीं पहुंचाया जाता है. साथ ही गेट के बाहरी भाग से आवाज देने पर वह गेट खुलता है. जिसके अंदर के भाग तथा बाहरी भाग में मंडल कारा कर्मी, बीएमपी के सश्स्त्र बल तैनात रहते है. कैदी की उस आखिरी गेट के बाहरी हिस्से तथा अंदर में भी उक्त कैदी की सघन तलाशी लेकर वार्ड में भेजा जाता है. आखिर इतनी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मोबाइल, सीम सहित अन्य मादक पदार्थ का पहुंचना मंडल कारा सुरक्षाकर्मी की मिलीभगत को दर्शाता है.

क्या कहते हैं कारा अधीक्षक
इस मामले में जेल सुपरीटेंडेट ने कहा कि जेल में बंद विचाराधीन कैदी से मिलने या खाद्य सामग्री दिये जाने पर किसी प्रकार की राशि मंडल कारा में नहीं ली जाती है. अगर कोई सिपाही या सुरक्षाकर्मी कैदी के परिजन से राशि मांगते हैं तो उसकी शिकायत अविलंब करें उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

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